NHM Drug Scam: सरकार ने एनएचएम घोटाले की जांच विजिलेंस को सौंपी, जानिए पूरा मामला
NHM Drug Scam एनएचएम दवा खरीद घोटाले के मामले में सीबीआइ द्वारा आरोपित कर्मचारियों पर कार्रवाई की अनुमति देने के अनुरोध को दरकिनार करते हुए यह जांच सरकार विजिलेंस को सौंप दी।
By Edited By: Updated: Tue, 18 Aug 2020 08:07 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकार ने एनएचएम दवा खरीद घोटाले के मामले में सीबीआइ द्वारा आरोपित कर्मचारियों पर कार्रवाई की अनुमति देने के अनुरोध को दरकिनार करते हुए यह जांच विजिलेंस को सौंप दी है। संभवतया यह पहला प्रकरण है, जिसमें जांच सीबीआइ से हटाकर स्थानीय एजेंसियों को सौंपी गई है। सोमवार को सचिव गृह नितेश झा द्वारा इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। आदेश में विजिलेंस को यह जांच जल्द पूरा कर सरकार को रिपोर्ट देने को कहा गया है।
उत्तराखंड में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, यानी एनआरएचएम (अब एनएचएम, नेशनल हेल्थ मिशन) दवा घोटाले का मामला वर्ष 2010 में सामने आया था। रुड़की के एक नाले में बड़ी मात्रा में दवाइयां मिलने के बाद इसकी जांच शुरू की गई। विभागीय जांच में किसी को दोषी नहीं पाया गया। इस बीच मामला सूचना आयोग तक पहुंचा। आयोग के निर्देश पर शासन स्तर से मामले की जांच कराई, लेकिन इसमें भी कोई स्पष्ट रिपोर्ट नहीं आई। ऐसे में आयोग ने इसकी जांच सीबीआइ से कराने की संस्तुति कर दी।
आयोग के निर्देश पर सरकार ने वर्ष 2014 में सीबीआइ को जांच के लिए पत्र लिखा, मगर सीबीआइ की ओर से इसका कोई जवाब नहीं मिला। सितंबर 2019 में अचानक सीबीआइ ने यह मामला हाथ में लेते हुए सरकार को एक पूर्व सीएमओ समेत सात लोगों के नामों की सूची देते हुए इन पर कार्रवाई करने की अनुमति मांगी। इस पर सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। तब से ही सीबीआइ लगातार सरकार को रिमाइंडर भेज रही है। इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने इस पूरे प्रकरण की पत्रावली मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी। इस पर उच्च स्तरीय बैठक भी हुई।
इस बैठक में बताया गया कि मामले में जिन लोगों को आरोपित बनाया गया है, उनमें से कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं। माना जा रहा है कि इसी बैठक में यह जांच सीबीआइ से हटाकर विजिलेंस को देने का निर्णय लिया गया। इसके बाद अब आधिकारिक रूप से यह जांच विजिलेंस को सौंपने का निर्णय लिया गया है।
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