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विजय बहुगुणा की डिनर डिप्लोमेसी से सूबे की सियासत में हलचल

पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता विजय बहुगुणा ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले डिनर आयोजित किया है। इससे सूबे की सियासत में हलचल मच गई।

By Edited By: Updated: Fri, 18 Jan 2019 11:46 AM (IST)
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विजय बहुगुणा की डिनर डिप्लोमेसी से सूबे की सियासत में हलचल
देहरादून, राज्य ब्यूरो। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले डिनर डिप्लोमेसी का दौर शुरू होते ही सूबे में सियासी हलचल महसूस की जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता विजय बहुगुणा ने यह डिनर आयोजित किया है। हालांकि यह आयोजन नगर निकाय के नव निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के लिए रखा गया है, लेकिन दावत की टाइमिंग को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर आरंभ हो गया है। माना जा रहा है कि बहुगुणा लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। 

पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा मार्च 2016 में कांग्रेस में हुई टूट के सूत्रधार रहे हैं। उनके ही नेतृत्व में तब नौ विधायकों ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था। हालांकि बाद में इस फेहरिस्त में दो और विधायक रेखा आर्य और यशपाल आर्य के नाम भी जुड़ गए थे। इन सभी को भाजपा ने पूरा सम्मान दिया। 

कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं में से अधिकांश ने भाजपा टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन स्वयं विजय बहुगुणा और पूर्व मंत्री अमृता रावत चुनावी दावेदारी से दूर रहे। विजय बहुगुणा ने तब अपने पुत्र सौरभ बहुगुणा को टिकट दिलाया और वह विधायक चुन लिए गए। 

पूर्व मंत्री अमृता रावत के स्थान पर पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज ने विधानसभा चुनाव लड़कर जीत दर्ज की। बहुगुणा के विधानसभा चुनाव न लड़ने पर माना गया कि वह राज्यसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन पिछले साल राज्य की एक राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव में बहुगुणा को मौका नहीं मिला। 

महत्वपूर्ण बात यह भी है कि विजय बहुगुणा पिछले दो साल के दौरान सूबे की सियासत में बहुत ज्यादा सक्रिय भी नहीं दिखे। अब लोकसभा चुनाव नजदीक हैं, तो अचानक बहुगुणा ने राजधानी देहरादून में रात्रिभोज का आयोजन करने का फैसला किया। इसके निमंत्रण पत्र बंटते ही चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया। 

दरअसल, भाजपा में पौने तीन साल पहले ही शामिल होने के बावजूद मौजूदा समय में विजय बहुगुणा खेमे के विधायकों की संख्या भाजपा में ठीकठाक है। यानी, भाजपा में नए होने के बावजूद उनकी कद्दावर सियासी शख्सियत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सियासी हलकों में माना जा रहा है कि बहुगुणा की अचानक सक्रियता का कारण आगामी लोकसभा चुनाव ही हैं। 

हालांकि उन्होंने अभी स्वयं लोकसभा चुनाव लड़ने का दावा तो नहीं पेश किया है, लेकिन अगर बहुगुणा अपनी दावेदारी पेश करें तो भाजपा को उन्हें दरकिनार करना मुश्किल ही होगा। वैसे भी बहुगुणा टिहरी संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व पूर्व में कर चुके हैं। 

उधर, पूर्व मुख्यमंत्री बहुगुणा के करीबी माने जाने वाले राज्य के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि बहुगुणा हर साल ही नववर्ष के मौके पर दावत देते हैं। इस बार निकायों के नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ ही अन्य लोगों को उन्होंने आमंत्रित किया है। उनियाल ने कहा कि इस दावत को लेकर सियासी निहितार्थ नहीं निकाले जाने चाहिए।

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