अखरोट और बादाम से संवरेगी उत्तराखंड के ग्रामीणों के आर्थिकी, पढ़िए पूरी खबर
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड समेत चार पर्वतीय राज्यों में अखरोट और बादाम को ग्रामीण आर्थिकी संवारने का अहम जरिया बनाने का निर्णय लिया है।
By Edited By: Updated: Mon, 07 Oct 2019 08:53 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। केंद्र सरकार ने चार पर्वतीय राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल और जम्मू-कश्मीर में अखरोट और बादाम को ग्रामीण आर्थिकी संवारने का अहम जरिया बनाने का निर्णय लिया है। इस क्रम में इन राज्यों के लिए अखरोट व बादाम की आठ नर्सरियां स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से दो उत्तराखंड के हिस्से में आई हैं।
सरकारी स्तर पर राज्य में बादाम की नर्सरी को पहली बार कसरत होगी, जबकि अखरोट के लिए विभाग तैयारियां कर चुका है। इसके लिए राज्य में ब्रिटिशकाल से चले आ रहे कागजी अखरोट के 70 पेड़ छांटे गए हैं, जिनसे प्लांटिंग मटीरयल (पौध) तैयार की जाएगी।अखरोट व बादाम की खेती को बढ़ावा देने के लिए गत दिवस केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने दिल्ली में चारों राज्यों की बैठक बुलाई। बैठक से भाग लेकर लौटे राज्य के हार्टिकल्चर टेक्नोलॉजी मिशन के प्रभारी निदेशक संजय श्रीवास्तव ने बताया कि अखरोट व बादाम की खेती के लिए जम्मू- कश्मीर को कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। वह जल्द ही इसे केंद्र के समक्ष रखेगा। उन्होंने जानकारी दी कि केंद्र ने आठ नर्सरियां भी चारों राज्यों के लिए मंजूर की हैं, जिनमें से दो उत्तराखंड के लिए स्वीकृत हुई हैं।
राज्य में अखरोट की खेती 17564 हेक्टेयर में होती है और उत्पादन है 21170 मीट्रिक टन। अब इसे बढ़ावा देने की दिशा में केंद्र का संबल बड़ा काम करेगा। मिशन हार्टिकल्चर के निदेशक श्रीवास्तव के अनुसार अखरोट की पौध तैयार करने के लिए राज्यभर में ब्रिटिशकाल से चले आ रहे कागजी अखरोट के 70 पेड़ चिह्नित किए गए हैं। राज्य में वर्ष 2007-08 में लाई गई अखरोट की आठ प्रजातियों के सोनी, चौबटिया, मगरा, जरमोला व बरौंथा स्थित राजकीय उद्यानों में 2004 पौधे जीवित हैं। इसके अलावा काशीपुर में छह हजार पौधे तैयार हैं और जल्द ही इनकी संख्या 10 हजार हो जाएगी।
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उन्होंने जानकारी दी कि राज्य में बादाम की खेती को बढ़ावा देने के लिए पहली बार नर्सरी तैयार होगी। इसके लिए जम्मू-कश्मीर से करीब तीन हजार पौधे लाए जाएंगे और इन्हें राज्य में तीन स्थानों पर लगाया जाएगा। जिन्हें जल्द चिह्नित किया जाएगा फिर इनमें से किसी एक जगह नर्सरी स्थापित की जाएगी।
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