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Water Crisis in Uttarakhand: सूखने की कगार पर 47 जलस्रोत, 75 प्रतिशत से अधिक घटा जलस्तर

Water Crisis in Uttarakhand उत्तराखंड में उपभोक्ताओं को मुख्यत जलस्रोत और भू-जल के माध्यम से पानी की सप्लाई होती है। इस साल भीषण गर्मी पड़ने और ठंड के मौसम में बारिश न होने के कारण उत्तराखंड के जलस्रोत सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं। प्रदेश के 47 जलस्रोतों में 75 प्रतिशत से अधिक पानी घटा है। 189 जलस्रोत ऐसे हैं जिसमें सिर्फ 50 प्रतिशत पानी बचा है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra Published: Sat, 29 Jun 2024 09:24 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2024 09:24 AM (IST)
Water Crisis in Uttarakhand: गहराने लगा है जल संकट

तुहिन शर्मा, जागरण देहरादून । Water Crisis in Uttarakhand: उत्तराखंड के जलस्रोतों के पानी का प्रवाह भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहा है। प्रदेश के 47 जलस्रोतों में 75 प्रतिशत से अधिक पानी घटा है। 189 जलस्रोत ऐसे हैं, जिसमें सिर्फ 50 प्रतिशत पानी बचा है।

इसके अलावा 241 जलस्रोत 51 से 75 प्रतिशत तक सूख गए हैं। जबकि इन स्रोतों के माध्यम से प्रदेश में 430 प्रकार की पेयजल योजनाएं संचालित हैं। लेकिन जलस्रोत सूखने से अधिकांश इलाकों में पेयजल संकट गहराने लगा है।

मुख्यत जलस्रोत और भू-जल के माध्यम से पानी की सप्लाई

उत्तराखंड में उपभोक्ताओं को मुख्यत जलस्रोत और भू-जल के माध्यम से पानी की सप्लाई होती है। पहाड़ी जिलों में जल संस्थान जलस्रोतों के माध्यम से पानी खींचकर आसपास के उपभोक्ताओं को सप्लाई देता है। वर्तमान में 477 जलस्रोतों के माध्यम से 4,75,211 उपभोक्ताओं को पेयजल आपूर्ति की जा रही है। लेकिन इस साल भीषण गर्मी पड़ने और ठंड के मौसम में बारिश न होने के कारण उत्तराखंड के जलस्रोत सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं।

हाल ही में जल संस्थान ने सभी जलस्रोतों का सर्वे कराकर उनके प्रवाह को मापा है। ऐसे में योजना निर्माण (पांच साल पहले से अधिक) के समय और वर्तमान में सभी जलस्रोतों में 50 प्रतिशत से अधिक पानी कम हुआ है। जलस्रोतों में पानी कम होने से जल संस्थान की भी चिंता बढ़ गई है। हालांकि, जल संस्थान ने सर्वे रिपोर्ट सारा (स्टेट एडाप्शन रिर्सोस एजेंसी) को सौंपी है। अब सारा विभिन्न विभागों के माध्यम से स्रोत संर्वधन का कार्य कराने जा रहा है।

वन विभाग क्षेत्र में हैं 306 जलस्रोत

प्रदेश में मौजूद 477 जलस्रोतों में 306 जलस्रोत वन विभाग क्षेत्र में हैं। जबकि 171 जलस्रोत राजस्व क्षेत्र हैं। ऐसे में वन विभाग क्षेत्र के जलस्रोतों का संवर्धन सारा वन विभाग के माध्यम से कराएगा। जबकि राजस्व क्षेत्र में मौजूद जलस्रोत का संवर्धन विभिन्न विभाग कराएंगे। इन जलस्रोतों से 25 प्रकार की पंपिंग और 405 प्रकार की गुरुत्वीय पेयजल योजनाएं संचालित हैं।

जिलों में मौजूद जलस्रोत में आई कमी

  • जिला- जलस्रोत संख्या- योजना निर्माण के समय प्रवाह (लीटर प्रति मिनट) - वर्तमान प्रवाह - कमी(%)
  • अल्मोड़ा -- 92 --- 4,149 ------------------------- 2,046 --- 50.69
  • बागेश्वर -- 21 ------3,604 ------------------------- 1,783 --- 50.53
  • चमेाली -- 69 ------ 5,176 -------------------------- 2268 ---- 56.18
  • चंपावत -- 19 ------ 760 --------------------------- 293 ---- 61.45
  • देहरादून -- 31 ------3,821 --------------------------- 1,814 --- 52.53
  • नैनीताल -- 35 ------6,310 --------------------------- 3,085 --- 51.11
  • पौड़ी ---- 72 ------ 3,713 ---------------------------- 8,44 --- 77.27
  • पिथौरागढ़ - 47 ------ 4,379 ---------------------------- 1,296 --- 70.46
  • रुद्रप्रयाग -- 18 ------ 4,916 ---------------------------- 2,277 --- 53.68
  • टिहरी --- 37 ------2,951 ----------------------------- 1,762 --- 40.29
  • उत्तरकाशी - 36 -----3,815 ------------------------------ 2,019 --- 47.08

सभी जलस्रोतों का सर्वे कराकर सारा को रिपोर्ट भेज दी गई है। राजस्व क्षेत्र में आने वाले स्रोतों का संर्वधन जल संस्थान सभी शाखाओं के माध्यम से कराएगा। ताकि भविष्य में उपभोक्ताओं को पर्याप्त पेयजल आपूर्ति मिल सके।

-धर्मेंद्र कुमार सिंह, महाप्रबंधक, जल संस्थान।


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