मदन कौशिक बोले, बिना किसी भेदभाव के निकायों को बनाएंगे सशक्त
कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि बिना भेदभाव के नगर निकायों को सशक्त बनाया जाएगा।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 25 Nov 2018 04:31 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड 19 वें साल में प्रवेश कर चुका है, मगर नगर निकायों की तस्वीर अभी नहीं बदली है। ये आज भी कार्यदायी संस्था बनकर रह गए हैं। नगर निकायों के सशक्तीकरण से लेकर शहरों में मुंहबाए खड़ी समस्याओं के निदान को वह पहल अभी तक नहीं हो पाई है, जिसकी दरकार है। अब जबकि प्रदेश में 92 में से 84 निकायों की चुनाव प्रक्रिया पूरी हो गई है तो हर किसी की जुंबा पर यही सवाल है कि क्या इस बार निकायों की सूरत बदलेगी। सरकार का इनके प्रति क्या रुख रहेगा। निकायों के मद्देनजर जागरण ने प्रदेश के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक से बातचीत की।
सवाल: प्रदेश में नगर निकाय तो बढ़े हैं, मगर ये अपने पैरों पर अब तक खड़े नहीं हो पाए हैं। क्या वजह मानते हैं।जवाब: ऐसा नहीं कि निकायों में कुछ नहीं हुआ। काफी काम हुए हैं, मगर अभी बहुत किया जाना बाकी है। पर ये भी सही है कि हर निकाय की अपनी-अपनी दिक्कतें हैं। इनके निराकरण को कोशिशें निकाय और सरकार दोनों के स्तर से होनी चाहिए। जहां तक निकायों के सशक्तीकरण की बात है तो इसके लिए निकायों को भी नई सोच के साथ आय के स्रोत बढ़ाने की दिशा में पहल करनी होगी।
सवाल: नगर निकायों के नए बोर्डों के प्रति सरकार का क्या रुख रहेगा। जवाब: बगैर किसी भेदभाव के निकायों को हरसंभव वित्तीय मदद मुहैया कराने के प्रयास किए जाएंगे। शहरी क्षेत्रों में नागरिक सुविधाएं बेहतर ढंग से विकसित हों, इसका पूरा प्रयास रहेगा। निकायों की जो भी दिक्कतें हैं, समस्याएं हैं, उनके समाधान का रास्ता निकाला जाएगा। निकायों के विकास के प्रति सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
सवाल: नगर निकायों में सरकारों का अनावश्यक हस्तक्षेप भी एक बड़ी दिक्कत के रूप में सामने आया है। जवाब: सरकार सभी को साथ लेकर आगे चलने पर विश्वास करती है। ऐसे में बेवजह हस्तक्षेप का कोई सवाल ही नहीं है। सभी निकायों को यथासंभव सहयोग किया जाएगा।
सवाल: शहरों को ईजी टू लिव बनाने के मद्देनजर वित्तीय संसाधन कैसे जुटाए जाएंगे। जवाब : देखिये, सरकार इसे लेकर बेहद गंभीर है। निकायों में नागरिक सुविधाओं के विकास के मद्देनजर एशियन डेवलपमेंट बैंक समेत अन्य संस्थाओं की मदद ली जाएगी। इसके अलावा निकायों के आय के स्रोत बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा।
सवाल: आपके गृह क्षेत्र हरिद्वार में महापौर पद पर भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा। इसे किस रूप में देखते हैं। जवाब: हार तो हार है, मैं स्वीकार करता हूं। इसके सम सामयिक कारण रहे और समीकरणों के आधार पर हम हारे। संगठन स्तर पर हार के कारणों की समीक्षा की जाएगी।
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