Uniform Civil Code: आसान भाषा में समझें क्या है समान नागरिक संहिता और क्यों है इसकी आवश्यकता
Uniform Civil Code स्वतंत्रता के बाद उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसने समान नागरिक संहिता की दिशा में निर्णायक पहल की है। लंबी कसरत के बाद सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में समान नागरिक संहिता उत्तराखंड-2024 विधेयक पेश कर दिया। यूसीसी विधेयक को लेकर मन में कई सवाल हैं इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की गई है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में प्रदेश सरकार ने महत्वपूर्ण पहल की है। विधानसभा के विस्तारित सत्र में मंगलवार को इससे संबंधित विधेयक प्रस्तुत होने के बाद इसे लेकर तमाम जिज्ञासाएं भी आमजन के मन में हैं। समान नागरिक संहिता को लेकर कुछ ज्वलंत प्रश्नों के उत्तर तलाशने की कोशिश की गई।
1- समान नागरिक संहिता की आवश्यकता क्यों है?
भारत के संविधान को बनाते समय संविधान सभा में व्यापक बहस के बाद इस बात पर जोर दिया गया था कि राष्ट्रहित में देश में समान नागरिक संहिता उपयुक्त समय पर बनाई जानी चाहिए। बाबा साहब डा भीमराव आंबेडकर भी समान नागरिक संहिता के प्रबल पक्षधर थे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी विभिन्न मामलों में दिए गए अपने निर्णयों में इस संहिता के पक्ष में उचित टिप्पणियां की गईं। वैसे भी देश में आपराधिक व दीवानी मामलों के लिए एक समान कानून लागू हैं। ऐसे में सिविल कानून भी सबके लिए समान रूप से लागू होने पर यह देश की मूल भावना अनेकता में एकता के लिए महत्वपूर्ण कदम होगा।
2 - जनजातियों को संहिता के दायरे से क्यों बाहर रखा गया?
संविधान के अनुच्छेद 366 व 342 में अनुसूचित जनजातियों को विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है। समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने वाली विशेषज्ञ समिति ने जब राज्य के जनजातीय समूहों से संवाद किया तो जनजातीय समाज की ओर से विभिन्न वर्गों में आपसी विमर्श व सहमति बनाने के लिए कुछ समय देने का आग्रह किया गया। वैसे भी अन्य वर्गों की तुलना में जनजातीय समुदाय में महिलाओं की स्थिति बेहतर है।
3- संहिता में आनंद मैरिज एक्ट के लिए क्या प्रविधान है?
विधेयक में सभी धर्म व वर्ग में विवाह अनुष्ठानों पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। सप्तपदि, आशीर्वाद, निकाह, पवित्र बंधन, आनंद कारज, आर्य समाजी विवाह, विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत विवाह आदि अनुष्ठानों को संरक्षित रखा गया है।4- विवाह पंजीकरण अधिनियम का क्या होगा?
समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद राज्य में वर्ष 2010 से लागू अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम समाप्त हो जाएगा।
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