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लॉकडाउन में पुलिस मुकदमे से ज्यादा क्या कर लेगी..., पढ़िए

लॉकडाउन का पालन कराने को पुलिस लोगों को समझा रही है और न मानने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज रही है। इसके बाद भी हालात सुधरते नहीं दिख रहे।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 09 Apr 2020 08:36 AM (IST)
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लॉकडाउन में पुलिस मुकदमे से ज्यादा क्या कर लेगी..., पढ़िए
देहरादून, संतोष तिवारी। लॉकडाउन का पालन कराने को पुलिस जीतोड़ मेहनत कर रही है। लोगों को समझा रही है और न मानने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज रही है। इसके बाद भी हालात सुधरते नहीं दिख रहे। लॉकडाउन खुलते ही जगह-जगह लोग सड़क पर तफरी करने निकल पड़ रहे हैं। अब पुलिस भी क्या करे, सड़क पर निकलने वालों के पास इस तरह के बहाने होते हैं कि पुलिस अगर उनकी सच्चाई जानने में लग जाए तो उसका असर बाकी की व्यवस्था पर पड़ेगा। लिहाजा पुलिस भी डांट-फटकार कर ऐसे लोगों को आगे बढ़ा देती है। इसके चलते इन लोगों के जेहन में न तो समाज की सुरक्षा के प्रति गंभीरता पैदा हो रही है और न ही नियमों के पालन के प्रति संवेदनशीलता। ऐसे में तमाम लोगों को यह भी लगने लगा है कि घर से निकलने पर पकड़े गए तो पुलिस मुकदमे से ज्यादा क्या कर लेगी।

अपराध का ग्राफ बनेगा नजीर

पुलिस के पास इन दिनों सबसे अहम काम लॉकडाउन का पालन कराने का है। दरअसल, अपराधी किस्म के तत्व भी इन दिनों भूमिगत हैं। न तो कहीं चोरी हो रही है और न ही कोई ऐसी गतिविधि, जिससे समाज की शांति व्यवस्था खतरे में पड़े। एक बात और भी गौर करने वाली है, वह यह कि इन दिनों लॉकडाउन के उल्लंघन के अलावा किसी तरह के मुकदमे जीडी में दर्ज नहीं हो रहे हैं। यह पुलिस के लिए सुकून की बात है। आने वाले दो-चार महीनों के बाद जब स्थिति सामान्य होगी और एक बार फिर जिंदगी पुराने र्ढे पर आने लगेगी, तब कोरोना वायरस के चलते अपराध का गिरा यह ग्राफ भी नजीर बनेगा। देखना लाजिमी होगा कि पुलिस कोरोना की वजह से घटे अपराध की स्थिति को आगे बरकरार रखने के लिए क्या कदम उठाती है। क्योंकि जनता और पुलिस, दोनों ही नहीं चाहते कि कहीं अपराध हो।

वाट्सएप ग्रुप मेंबर बने मुखबिर

कोरोना को लेकर इन दिनों जितने सोशल मीडिया ग्रुप हैं, उतनी तरह की बातें हो रही हैं। कहीं का वीडियो-फोटो कहीं से जोड़कर लोगों को डराने में कसर नहीं छोड़ी जा रही। पुलिस के लिए ऐसे लोगों पर शिकंजा कसना मुश्किल होने लगा है। लिहाजा पुलिस ने भी इसका तोड़ निकाल लिया है। वाट्सएप ग्रुपों के मेंबरों के जरिये ऐसी पोस्ट पर नजर रखी जा रही है। हालांकि, तकनीकी के सहारे भी इन ग्रुपों पर नजर रखी जा सकती है, लेकिन इसके लिए पुलिस को बेवजह अपनी ऊर्जा खपानी होगी। खासकर ऐसे दौर में जब लॉकडाउन का पालन कराना प्राथमिकता हो। लिहाजा, पुलिस अब इन मुखबिरों के जरिये ही सोशल मीडिया की निगरानी कर रही है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। पुलिस सूत्रों की मानें तो कोरोना के खतरे के बढ़ने के बाद से अब तक 50 से अधिक वाट्सएप ग्रुपों को चेतावनी देकर बंद कराया जा चुका है।

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घर रहोगे तो कल देखोगे

लॉकडाउन में ढील के बाद घरों से बाहर निकलने वालों के अजीब बहाने सुनकर पुलिस भी हैरान है। बेवजह घूमने से रोके जाने पर कुछ लोग पुलिस से तर्क-कुतर्क भी कर रहे हैं। दो रोज पहले घंटाघर पर पुलिस ने जब एक शख्स को रोका तो वह छूटते ही बोला कि इतने लोग सड़क पर चल रहे हैं तो मैं भी निकल आया। पुलिस ने उसे समझाने की कोशिश की तो वह कहने लगा कि कल के लिए रोजमर्रा की जरूरत का सामान खरीदने निकला हूं। पुलिस को भी लगा कि ऐसे शख्स को डंडे से समझाने के बजाय हालात की गंभीरता समझाने की जरूरत है। सो, नया फंडा अपनाया। पुलिस ने कोरोना से गंभीर होते हालात की हकीकत युवक के मुंह से ही सुनने के लिए उससे देश-दुनिया का हाल पूछना शुरू कर दिया। तब जाकर साहबजादे को समझ आया कि आज घर पर रहेंगे तभी कल देख पाएंगे।

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