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जहां कभी खिलते थे कमल, वहां आज पटेरा घास का उगा जंगल

जल संग्रहण के लिए एक तरफ जहां सरकार की ओर से अमृत सरोवर योजना चलाई जा रही है

By JagranEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 08:58 PM (IST)
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जहां कभी खिलते थे कमल, वहां आज पटेरा घास का उगा जंगल

जहां कभी खिलते थे कमल, वहां आज पटेरा घास का उगा जंगल

जागरण संवाददाता, विकासनगर : जल संग्रहण के लिए एक तरफ जहां सरकार की ओर से अमृत सरोवर योजना चलाई जा रही है, वहीं पश्चिमवाला के सरोवर की दशा सुधारने को योजना में शामिल ही नहीं किया गया है। पश्चिमवाला सरोवर में 12 साल पहले तक कमल खिला करते थे। सरोवर में खिले कमल को देखने वाले का दिल खुश हो जाता था, लेकिन यह सरोवर अब पटेरा घास से पूरी तरह से पट गया है। अमृत सरोवर योजना में यदि इस तालाब की दशा सुधार दी जाती तो पर्यटन के लिहाज से इसका फायदा होता। अगर जनप्रतिनिधियों की अनदेखी ऐसी ही रही तो कुछ समय में पश्चिमवाला के सरोवर का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।

क्षेत्र में जामनखाता, रुद्रपुर व पश्चिमवाला के सरोवर ही ऐसे थे, जहां पर कमल खिलते थे, जिसे देखने के लिए क्षेत्रीय के साथ ही बाहर से भी लोग आते थे। जामनखाता व रुद्रपुर के सरोवर में तो कमल खिल रहे हैं, लेकिन पश्चिमवाला का सरोवर पूरी तरह से पटेरा घास से पट गया है। बाहर से देखने पर यह भी महसूस नहीं होता कि यहां पर सरोवर है। हर तरफ घास ही दिखाई पड़ती है। पश्चिमवाला सरोवर कई मायनों में महत्वपूर्ण है। सरोवर के एक तरफ सरकारी स्कूल है तो दूसरी तरफ अस्पताल। तालाब के पास ही खेड़ा मंदिर है, जहां पर हर साल पूजा के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। समय समय पर तालाब का जीर्णोद्धार कराया जाता तो सरोवर में खिले कमल को देखने के लिए यहां पर भी बाहर से लोग आते। ग्राम पंचायत प्रतिनिधि व ब्लाक अधिकारियों की अनदेखी के चलते सरोवर अपने अस्तित्व के लिए जंग लड़ रहा है। सरपंच संतोष शर्मा बताते हैं कि पश्चिमवाला सरोवर की सबसे पहले सफाई होनी चाहिए और इसके बाद सुंदरीकरण होना चाहिए। पर्यटन की संभावनाएं को देखते हुए इसे विकसित किया जाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि एनडी तिवारी सरकार में मंत्री रहे नवप्रभात ने विधायक निधि से एक बार सरोवर की सफाई जरूर कराई थी। उसके बाद किसी ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया। उधर, ग्राम प्रधान पश्चिमवाला नरेंद्र तोमर के अनुसार तालाब को अमृत सरोवर योजना में स्वीकृत कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। योजना में स्वीकृत होते ही तालाब की सफाई, जीर्णोद्धार का कार्य कराया जाएगा।

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