बेजोड़ है उत्तराखंड की वन्यजीव विविधता, बाघ संरक्षण में तीसरे स्थान पर तो हाथियों का भी फलफूल रहा कुनबा
उत्तराखंड की वन्यजीव विविधता भी बेजोड़ है। राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण के मामले में उत्तराखंड देश में तीसरे स्थान पर है तो राष्ट्रीय विरासत पशु हाथी का कुनबा भी यहां खूब फल-फूल रहा है। इस राज्य में दूसरे वन्यजीवों की विविधता भी देखते ही बनती है।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sat, 02 Oct 2021 01:30 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Wild Animal Week जैव विविधता के मामले में धनी उत्तराखंड की वन्यजीव विविधता भी बेजोड़ है। राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण के मामले में उत्तराखंड देश में तीसरे स्थान पर है तो राष्ट्रीय विरासत पशु हाथी का कुनबा भी यहां खूब फल-फूल रहा है। इसके साथ ही 71.05 फीसद वन भूभाग वाले इस राज्य में दूसरे वन्यजीवों की विविधता भी देखते ही बनती है। यही कारण है कि देश-दुनिया के सैलानियों में यहां के वन्यजीवन के दीदार के प्रति आकर्षण बढ़ा है। कार्बेट टाइगर रिजर्व तो सैलानियों की पहली पसंद में शुमार है। उत्तराखंड में वन्यजीवों का बढ़ता कुनबा इस बात का द्योतक भी है कि यहां इनके लिए मुफीद वासस्थल हैं। साथ ही बेजबानों के संरक्षण के लिए राज्य में प्रभावी ढंग से कदम उठाए जा रहे हैं।
राज्य में वन्यजीव गणना की तैयारी प्रदेश में बाघ और हाथी की गणना को अखिल भारतीय स्तर पर होती है, लेकिन तमाम दूसरे वन्यजीवों की गणना वर्ष 2008 से नहीं हो पाई है। इसे देखते हुए वन विभाग ने इस वर्ष नवंबर से राज्य में वृहद स्तर पर वन्यजीव गणना कराने का निश्चय किया है। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के मुताबिक गणना के लिए इन दिनों कार्मिकों का प्रशिक्षण चल रहा है। इस बार मैदानी क्षेत्र से लेकर उच्च हिमालयी क्षेत्र तक वन्यजीवों की गणना होगी। उन्होंने बताया कि बाघ और हाथी की गणना तो अखिल भारतीय स्तर पर होगी, जबकि अन्य वन्यजीवों की राज्य स्तर पर। उन्होंने कहा कि इस गणना से राज्य में मौजूद सभी वन्यजीवों का सही आंकड़ा सामने आएगा। बेसिक आंकड़े सामने आने पर वन्यजीव संरक्षण के लिए अधिक प्रभावी ढंग से कदम उठाए जाएंगे।
14 हजार फीट तक बाघों की मौजूदगी राज्य में बाघों की संख्या 442 है और कार्बेट टाइगर रिजर्व इनका मुख्य घर है। इसके साथ ही बाघ अब मैदानी क्षेत्रों से निकलकर उच्च हिमालयी क्षेत्र की तरफ भी बढ़े हैं। पूर्व में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग, मध्यमेश्वर, अस्कोट समेत अन्य उच्च हिमालयी क्षेत्रों में लगे कैमरा ट्रैप में बाघों की तस्वीरें कैद हुई है।
परिंदों का पसंदीदा स्थल
जलवायु की विविधता वाला उत्तराखंड परिंदों का भी पसंदीदा स्थल है। देशभर में पाई जाने वाली परिंदों की करीब 1300 प्रजातियों में से लगभग 700 उत्तराखंड में चिह्नित की गई हैं। इसके साथ ही प्रवासी परिंदों को भी उत्तराखंड की सरजमीं खूब भाती है।यह भी पढ़ें- दूनघाटी में भी बसती है खौफ की चौकड़ी, इनके काटने से ही देश में होती हैं सबसे ज्यादा मौतें; आप भी जानिए
उत्तराखंड में वन्यजीव वन्यजीव, संख्या, गणना वर्ष बाघ, 442, 2018 हाथी, 2026, 2020 भालू, 2121, 2008 गुलदार, 2335, 2008 बंदर, 146423, 2008 लंगूर, 54804, 2008 कस्तूरा मृग, 376, 2008 चीतल, 53730, 2008 जंगली सूअर, 34914, 2008
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