जश्न के माहौल में सांसत में रहेगी बेजबानों की जान
गुजरते साल की विदाई और नववर्ष के स्वागत को होने वाले जश्न ने वन महकमे की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। इस दौरान आतिशबाजी से बेजबानों के बिदकने की चिंता सता रही है तो ये डर भी है कि कहीं शिकारी अथवा तस्कर जंगलों में घुसपैठ न कर लें।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। गुजरते साल की विदाई और नववर्ष के स्वागत को होने वाले जश्न ने वन महकमे की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। जश्न के दौरान आतिशबाजी से बेजबानों के बिदकने की चिंता सता रही है, तो ये डर भी है कि कहीं शिकारी अथवा तस्कर जंगलों में घुसपैठ न कर लें। हालांकि, महकमे की ओर से हर स्थिति से निबटने को तैयारियां पूरी होने का दावा है। कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व के उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे क्षेत्रों में उत्तराखंड व उप्र के कार्मिकों की संयुक्त गश्त चल रही है। बावजूद इसके चिंता की लकीरें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के लिहाज से साल के आखिरी हफ्ते को सबसे अधिक संवेदनशील माना जाता है। वजह ये कि इस दौरान क्रिसमस से लेकर नववर्ष के स्वागत के मद्देनजर जश्न का माहौल रहता है। बड़ी संख्या में सैलानी इस दौरान उत्तराखंड का रुख करते हैं। हर बार की तरह इस मर्तबा भी नववर्ष के स्वागत के लिए सभी संरक्षित क्षेत्रों के साथ ही इनसे लगे वन विश्राम गृह फुल हो चुके हैं। इन क्षेत्रों से लगे इलाकों में होटल, रिसॉट्र्स भी पैक हैं।
हालांकि, इस मर्तबा कोरोना संकट के चलते नववर्ष के सामूहिक आयोजनों पर रोक है, मगर आतिशबाजी के लिए 31 दिसंबर की रात्रि 11:55 बजे से 12:30 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। आतिशबाजी के शोर से वन्यजीवों के बिदकने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इस अवधि में यदि कोई वन्यजीव सड़क पर आकर दुर्घटना का शिकार हो जाए या फिर कोई हिंसक वन्यजीव आबादी वाले क्षेत्र में जा धमका तो दिक्कत बढ़ सकती है। यह चिंता विभाग को सता रही है। इसके अलावा ये आशंका भी भयभीत किए हुए है कि कहीं जश्न की आड़ में शिकारी अथवा तस्कर जंगल में धमककर अपनी करतूतों को अंजाम न दे दें। पूर्व में इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं।
साफ है कि जश्न के माहौल में बेजबानों की जान सांसत में रहेगी। उधर, राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व समेत सभी संरक्षित क्षेत्रों में संवेदनशील इलाके चिह्नित किए गए हैं। सभी जगह वनकर्मी गश्त में जुटे हैं। उप्र से सटी सीमा पर संयुक्त गश्त जारी है। खुफिया सूचनाएं जुटाने में कुछ एनजीओ की मदद ली जा रही है। वन क्षेत्रों में स्थित और इनसे लगे वन विश्राम गृहों, होटल-रिसॉर्टस निरंतर निगरानी में हैं। उन्होंने बताया कि सैलानियों के लिए भी गाइडलाइन पहले ही जारी की जा चुकी है। वन विश्राम गृह, होटल, रिसॉटर्स में न डीजे बजेगा और न तेज रोशनी होगी। सूर्यास्त के बाद कोई भी बाहर नहीं निकलेगा। इस गाइडलाइन का कड़ाई से अनुपालन कराने के निर्देश दिए गए हैं।
हरिद्वार क्षेत्र में बढ़ सकती है दिक्कत
राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे हरिद्वार क्षेत्र में लंबे समय से हाथियों की धमाचौकड़ी ने नींद उड़ाई हुई है। हालांकि, वन विभाग ने ऐसे 13 हाथी चिह्नित किए हैं, जिनमें से चार को रेडियो कॉलर लगाया जा चुका है। अलबत्ता, नववर्ष के दौरान होने वाली आतिशबाजी से वहां हाथियों के बिदकने की आशंका भी कम नहीं है। इसे देखते वनकर्मियों को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।
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