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Wildlife week: वन्य जीवों के लिए स्वर्ग से कम नहीं उत्तराखंड, संरक्षण के लिए ये हैं आरक्षित क्षेत्र

Wildlife week वन्य जीवों के लिए उत्तराखंड स्वर्ग से कम नहीं है। अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रदेश पूरे देश में एक विशिष्ट पहचान रखता है। यहां संरक्षित और गैर संरक्षित वन क्षेत्रों में वन्य जीवों की हजारों प्रजातियां निवास कर रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Fri, 02 Oct 2020 10:51 PM (IST)
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वन्य जीवों के लिए स्वर्ग से कम नहीं उत्तराखंड।
देहरादून, विजय जोशी। Wildlife week वन्य जीवों के लिए उत्तराखंड स्वर्ग से कम नहीं है। अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रदेश पूरे देश में एक विशिष्ट पहचान रखता है। यहां संरक्षित और गैर संरक्षित वन क्षेत्रों में वन्य जीवों की हजारों प्रजातियां निवास कर रही है। जो पर्यावरणीय संतुलन तो प्रदान करती ही हैं, मानव के लिए भी उत्साह और रोमांच का विषय बनी रहती हैं। यहां मौजूद उद्यान, अभ्यारण और संरक्षित क्षेत्र देशभर में प्रख्यात हैं। कॉर्बेट और राजाजी पार्क वन्यजीव पर्यटन के लिहाज से अपना अलग महत्व रखते हैं। 71 फीसद वन क्षेत्र वाले उत्तराखंड में बाघ, चीतल, सांभर, तेंदुआ और सरीसृप के साथ एशियाई हाथी शान में चार चांद लगाते हैं। इसके अलावा सैकड़ों प्रजाति के पक्षी और कीट भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उत्तराखंड में आरक्षित क्षेत्र

-राष्ट्रीय उद्यान-06

-वन्य जीव विहार-06

-संरक्षण आरक्षित-02

-उच्च स्तरीय प्रणाली उद्यान-01

-जैव सुरक्षित क्षेत्र-01

जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क

जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क नैनीताल और पौड़ी जिले में स्थित है। राम गंगा नदी के किनारे बसे इस राष्ट्रीय पार्क में प्रकृति की अनोखी छटा देखने को मिलती है। इस पार्क में हाथियों और हिरनों के झुंड सहज ही दिख जाते हैं। इसके अलावा शेर, बाघ, गुलदार, सांभर, चीतल, काकड़, जंगली सूअर, भालू, बंदर, सियार, नील गाय जैसे कई अन्य वन्य जीव यहां की विशेषता है।

राजाजी राष्ट्रीय पार्क

प्रदेश में प्रथम वन्य जीव संरक्षण केंद्र के रूप में 1935 में देहरादून जिले में मोतीचूर वन्य जीव विहार की स्थापना की गई थी, जो कि 1983 में राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में सम्मिलित हो गया। यह क्षेत्र 820.42 वर्ग तक फैला पार्क तीन जिलों देहरादून, हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल में पड़ता है। यह पार्क मोतीचूर अभ्यारण, चीला अभ्यारण और राजाजी अभ्यारण से मिलकर बना है । देश के प्रमुख वन्यजीव उद्यानों में गिना जाने वाला यह राजाजी राष्ट्रीय पार्क पक्षियों की 315 प्रजातियों और स्तनपायी की 23 प्रजातियों का घर है। गजराज के झुंड इसकी शान बढ़ाते हैं।

नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान

देश की दूसरी सबसे ऊंची चोटी पर स्थित नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान में दुनिया की सबसे अनोखी ऊंचाई वाली वनस्पतियां और जीव पाए जाते हैं। शानदार दृश्य, जीवमंडल की समृद्धि इसे अन्य वन्यजीव अभयारणों से अलग बनाते हैं। पार्क को यूनेस्को की ओर से विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है और इसके आसपास के क्षेत्र में फूलों की घाटी, बदरीनाथ मंदिर और हेमकुंड साहिब हैं। यहां उच्च हिमालयी परिवेश के बेहतरीन वन्य जीवों का निवास है। हिम तेंदुए के लिए भी यहां अनुकूल वातावरण है।

केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण

केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण को केदारनाथ वन जीव प्रभाग के रूप में भी जाना जाता है। चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों में फैला केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण 1972 में स्थापित किया गया था। अलकनंदा घाटी में स्थित इस अभ्यारण में एल्पाइन, कॉनीफेरस, ओक, चीड़, भूर्ज समेत अन्य प्रजातियों के पेड़ पाये जाते हैं। साथ ही वन्य जीवों की भी वृहद प्रजातियां पाई जाती हैं।

नंधौर टाइगर रिजर्व

उत्तराखंड का यह वन्यजीव अभ्यारण 2012 में स्थापित किया गया था, जो हल्द्वानी वन प्रभाग में गोला और शारदा नदियों के बीच फैला हुआ है। द नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने नंधौर वाइडलाइफ़ सैंक्चुरी को राज्य में तीसरा टाइगर रिजर्व बनाने की सिफारिश की है।

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हिरन पार्क अल्मोड़ा

अल्मोड़ा जिले में स्थित, हिरन पार्क में कई पाइन पेड़ हैं, जो इस जगह की समृद्ध प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाते हैं। दुनियाभर से पर्यटक हिरण, तेंदुए और हिमालयी काले भालू जैसे लुप्तप्राय प्रजातियों को देखने के लिए यहां आते है ।

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