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अब नवीं और 11वीं के बाद स्कूल बदलना नहीं होगा आसान, गाइडलाइन जारी

सीबीएसई में 10वीं और 12वीं में स्कूल बदलना आसान नहीं होगा। नई गाइडलाइन के अनुसार छात्र ने जिस स्कूल से 9वीं या 11वीं की है वहीं से दसवीं-बारहवीं का एग्जाम देना होगा।

By BhanuEdited By: Updated: Wed, 10 Apr 2019 08:32 PM (IST)
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अब नवीं और 11वीं के बाद स्कूल बदलना नहीं होगा आसान, गाइडलाइन जारी
देहरादून, जेएनएन। सीबीएसई में 10वीं और 12वीं में स्कूल बदलना आसान नहीं होगा। इसके लिए सीबीएसई ने गाइडलाइन जारी की है। इसके अनुसार, छात्र ने जिस स्कूल से 9वीं या 11वीं की है, वहीं से दसवीं-बारहवीं का एग्जाम देना होगा। 

सीबीएसई ने नवीं और ग्याहरवी के बाद स्कूल छोड़ने के लिए भी गाइडलाइन दी है। यदि कोई छात्र उस पर खरा उतरता है तभी वह स्कूल छोड़ सकेगा। अन्यथा उसे उसी स्कूल से 10वीं और 12वीं की परीक्षा देनी होगी। 

इन कारणों से होगा ट्रांसफर

-अभिभावक के स्थानांतरण पर। 

-परिवार के जगह बदलने पर। 

-हॉस्टल में एडमिट होने पर। 

-किसी कारण से फेल होने पर। 

-बेहतर शिक्षा के लिए। 

-स्कूल से आवास की दूरी ज्यादा होने 

- मेडिकल जरूरत पर।

ये देने होंगे प्रमाण पत्र 

स्कूल बदलने पर छात्र को प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने होंगे। अभिभावक का स्थानांतरण होने पर उसका पत्र, पिछली कक्षा में नामांकन संख्या, पिछले साल का रिपोर्ट कार्ड, प्रोविजनल टीसी, जहां ऐडमिशन लेना है, उस स्कूल में जमा करना होगा। नई जगह रहने के लिए आवास सर्टिफिकेट, रेंट एग्रीमेंट भी देना होगा। 

हॉस्टल में शिफ्ट होने या हॉस्टल में दूसरी जगह जाने पर उसकी फीस स्लिप, फीस का बैंक ट्रांजेक्शन स्कूल में जमा करना होगा। फेल होने पर छात्र का पुराना रोल नम्बर, रिजल्ट के साथ जरूरी कागज जमा करने होंगे। स्कूल से दूरी की स्थित में स्कूल घर से कितने किलोमीटर की दूरी पर है, साथ ही मेडिकल स्थिति में छात्र को संबंधित बीमारी का मेडिकल सर्टिफिकेट देना जरूरी होगा।

शहर के भीतर स्कूल बदलना मुश्किल 

9वीं और 11वीं पास करने के बाद कई स्कूल 10वीं या 12वीं में उसी शहर के किसी दूसरे स्कूल में आसानी से दाखिला ले लेते थे, लेकिन अब यह आसान नहीं होगा। एक ही शहर में किसी दूसरे स्कूल में अब ऐडमिशन नहीं मिलेगा। केवल वाजिब मामलों पर विचार किया जाएगा। 

अभी तक होता था ट्रांसफर

अभी तक सीबीएसई के किसी छात्र को एक से दूसरे स्कूल में बदलाव करना आसान था। इसके लिए छात्र और अभिभावक सिर्फ प्रार्थना पत्र देकर स्कूल बदल सकते थे, लेकिन अब इसके लिए छात्र को वजह भी स्पष्ट करनी होगी और उसका प्रमाण भी देना होगा।

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