महिला अस्पताल के डॉक्टर भूल गए सामान्य शिष्टाचार, पढ़िए पूरी खबर
दून मेडिकल कॉलेज में जहां एक ओर भावी चिकित्सकों को मरीजों से सही व्यवहार की सीख दी जा रही है वहीं अस्पताल में तैनात चिकित्सक सामान्य शिष्टाचार का भी पालन नहीं कर रहे।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 28 Sep 2019 08:51 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज में जहां एक ओर भावी चिकित्सकों को मरीजों से सही व्यवहार की सीख दी जा रही है, वहीं अस्पताल में तैनात चिकित्सक सामान्य शिष्टाचार का भी पालन नहीं कर रहे। मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (महिला अस्पताल) में प्रसूताओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि इसका खुलासा एक जांच रिपोर्ट में हुआ है।
दून महिला अस्पताल अक्सर किसी न किसी कारण सवालों में घिरा रहा है। गर्भवती महिलाओं को सही उपचार नहीं मिलना हो या फिर उपचार के अभाव में जच्चा-बच्चा का दम तोड़ देना। हर अंतराल बाद इस तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं। यहां तक की फर्श पर बच्चे को जन्म देने के बाद जच्चा-बच्चा की मौत और शौचालय में प्रसव ने भी अस्पताल की छवि दागदार की है। अब अगस्त एवं सितंबर माह में प्रसव के दौरान चार शिशुओं की मौत से फिर प्रबंधन कठघरे में है।
इसकी जांच डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री, गायनी की विभागाध्यक्ष डॉ. चित्रा जोशी, बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तन्वी सिंह आदि की कमेटी कर रही है। सूत्रों की माने तो जांच कमेटी को चारों मामलों में प्रसूताओं से अमानवीय व्यवहार की बात सामने आई है, जिसकी रिपोर्ट एमएस और प्राचार्य को दी जा रही है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में हुई जांच पर कोई कार्रवाई नहीं होने से चिकित्सक एवं स्टाफ सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसे में यह भी देखना होगा कि इस बार अधिकारी क्या कार्रवाई करते हैं। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि शिकायत में अभद्रता और मारपीट की शिकायतें की गई थी। टीम को जांच दी गई। जांच में इस तरह के आरोप सही पाए जाने की जानकारी है। हालांकि अभी रिपोर्ट नहीं मिली है। रिपोर्ट के आधार पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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महिला अस्पताल पर दोहरी व्यवस्था की मार पड़ रही है। करीब चार साल पहले दून व दून महिला अस्पताल को एकीकृत कर मेडिकल कॉलेज में तब्दील किया गया था। जबकि व्यवस्थागत तौर पर अब भी बिखराव नजर आता है। मेडिकल कॉलेज में सीएमएस का कोई पद नहीं है। पर यहां डॉ. मीनाक्षी जोशी महिला अस्पताल की सीएमएस का पद संभाले हुए हैं। जबकि डॉ. चित्रा जोशी स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष हैं। मेडिकल कॉलेज में हर विभाग का काम विभागाध्यक्ष ही देखते हैं। हाल ही में वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनोज शर्मा को डिप्टी एमएस भी बनाया गया। उन्हें महिला अस्पताल का जिम्मा दिया गया है, जिससे अधिकारों को लेकर टकराव होने लगा है। अफसरों में आपसी समन्वय न होने की वजह से भी कई तरह की दिक्कतें बनी रहती हैं।
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