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उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट चल रहा कछुआ चाल

उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट कछुआ चाल चल रहा है। प्रोजेक्ट छह साल का है, पर तकरीबन एक साल बाद भी इसमें हुआ कुछ भी नहीं है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Thu, 05 Apr 2018 05:10 PM (IST)
उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट चल रहा कछुआ चाल

देहरादून, [जेएनएन]: बजट का रोना रोने वाली सरकार के लिए उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट आंखें खोलने वाला है। जिस प्रोजेक्ट के लिए मई 2017 में 800 करोड़ रुपये स्वीकृत किए जा चुके हैं, उसकी प्रगति ग्यारह माह बाद भी नौ दिन चले अढाई कोस जैसी है। हद ये कि सालभर पूरा होने को आया है और योजना के तहत एक भी काम अभी नहीं हुआ। इतना जरूर है कि कार्यालय व वेतन के नाम पर जरूर 71.5 लाख रुपये फूंके जा चुके हैं। 

राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से छिपा नहीं है। न केवल डॉक्टरों की भारी कमी है बल्कि अवस्थापना के लिहाज से भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में गत वर्ष स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट फेज-2 के तहत केंद्र से 800 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे। तब कहा गया कि योजना के तहत प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को अपडेट किया जाएगा। 

प्रोजेक्ट छह साल का है, पर तकरीबन एक साल बाद भी इसमें हुआ कुछ भी नहीं है। इसका खुलासा खुद विभाग ने आरटीआइ के तहत मांगी गई सूचना में किया है। इस योजना के तहत प्रमुख अस्पतालों को पीपीपी मोड पर संचालित करने का निर्णय लिया गया है। प्रथम चरण में टिहरी क्लस्टर का चयन किया गया है। 

जहां पर जिला चिकित्सालय टिहरी के साथ ही सीमावर्ती दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशिष्ट सेवाएं दी जानी हैं। लेकिन यह कार्रवाई भी निविदा प्रक्रिया पर आकर अटक गई। कारण यह कि सेवा प्रदाता इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। जिन्हें लुभाने के लिए हाल में दिल्ली में एक संपर्क कार्यशाला भी आयोजित करनी पड़ी थी। टिहरी के बाद अन्य जनपदों में भी प्रारंभिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अपग्रेड किए जाएंगे। पर शुरुआत जिस तरह से हुई है उसने खुद में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। 

बस वेतन पर हुआ बजट खर्च 

उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के बजट खर्च पर जो जानकारी विभाग ने दी है वह भी दिलचस्प है। बताया गया कि इस योजना के तहत अभी तक चार करोड़ की धनराशि जारी हुई है। जिसमें 71.5 लाख कार्यालय व वेतन पर खर्च हुई है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि दफ्तर कहीं नई जगह नहीं बना बल्कि स्वास्थ्य महानिदेशालय में ही चल रहा है। 

विशेषज्ञ चिकित्सक प्रतिनियुक्ति पर 

राज्य में विशेषज्ञ चिकित्सकों के भारी कमी है। लेकिन उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट फेज-2 के तहत जिन चार चिकित्सकों को डेप्यूटेशन पर लिया गया है, वह सभी विशेषज्ञ श्रेणी के हैं। इसके अलावा 26 अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति होनी है, पर वह भी अभी तक नहीं हुई हैं। 

वर्ल्ड बैंक जता चुका नाराजगी 

जिस सुस्त रफ्तार से यह योजना आगे बढ़ रही है, उसे लेकर वर्ल्ड बैंक की टीम भी नाराजगी जता चुकी है। बताया गया कि वर्ल्ड बैंक की टीम दो बार स्थिति का जायजा ले चुकी है। लेकिन काम के नाम पर अभी बस फाइलें ही दौड़ रही हैं। 

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