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उत्तराखंड में नई स्वास्थ्य नीति का मसौदा तैयार करने की कसरत शुरू, पढ़ें पूरी खबर

प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओंं की बेहतरी के लिए नई नीति का मसौदा तैयार करने की कसरत शुरू हो गई है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Fri, 01 Nov 2019 08:40 PM (IST)
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उत्तराखंड में नई स्वास्थ्य नीति का मसौदा तैयार करने की कसरत शुरू, पढ़ें पूरी खबर
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड की नई स्वास्थ्य नीति का मसौदा तैयार करने की कसरत शुरू हो गई है। इसमें स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के मुताबिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने का निर्णय सरकार ने लिया है। इसे देखते हुए राज्य की स्वास्थ्य और जनसंख्या नीति को वर्तमान परिस्थितियों और स्वास्थ्य सूचकांक के अनुसार तैयार किए जाने पर जोर दिया जा रहा है। 

गुरुवार को नई स्वास्थ्य नीति का मसौदा तैयार करने को लेकर विश्व बैंक सहायतित उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट परियोजना के तत्वावधान में स्वास्थ्य विभाग और एनएचएम के अधिकारियों के साथ स्वास्थ्य महानिदेशालय में एक दिवसीय कार्यशाला हुई। एनएचएम के मिशन निदेशक युगल किशोर पंत ने कहा कि राज्य की स्वास्थ्य नीति का निर्धारण धरातल पर विद्यमान परिस्थितियों के अनुसार किए जाने की जरूरत है। ताकि नीति का सही एवं वास्तविक स्तर पर क्रियान्वयन हो सके।

उन्होंने कहा कि अक्सर केंद्रीय स्तर पर नीति निर्धारण होता है, जिसमें जमीनी हकीकत से रूबरू होने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के अनुभव और सुझाव शामिल नहीं हो पाते हैं। परिणाम स्वरूप नीतियों के क्रियान्वयन में व्यवहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और अपेक्षित लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं हो पाती है। उन्होंने कहा कि इन सभी बिंदुओं को देखते हुए कार्यशाला में आशा, एएनएम, विकास खंड स्तर के चिकित्साधिकारियों और सुपरवाईजरी स्टाफ को भी स्वास्थ्य नीति का मसौदा तैयार करने के लिए आमंत्रित किया गया है। 

निर्धारित मानकों का रखें ध्यान 

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने नई स्वास्थ्य नीति तैयार किए जाने के दौरान निर्धारित मानकों को ध्यान में रखने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जिन लक्ष्यों को वर्ष 2024 तक प्राप्त करने की समय सीमा निर्धारित की है, उन्हें उत्तराखंड में 2020 तक प्राप्त करने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। 

सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के अनुसार होगा कार्य 

यूएनडीपी के अधिकारी अशीष विक्रम ने बताया कि साल 2000 में विकासशील देशों के लिए मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स निर्धारित किए गए हैं। जिसके तहत आठ तरह के लक्ष्यों को प्राप्त करने की समय सीमा निर्धारित की गई थी। इन लक्ष्यों के अनुसार सभी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध की जानी थी। जिसके आधार पर उत्तराखंड सरकार ने भी वर्ष 2002 में राज्य की स्वास्थ्य और जनसंख्या नीति तैयार की। उस समय उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना जिसने अपनी संयुक्त स्वास्थ्य और जनसंख्या नीति का निर्धारण किया। साल 2013 में पुन: राज्य की स्वास्थ्य और जनसंख्या सूचकांक पर मंथन हुआ और स्वास्थ्य व जनसंख्या नीति को नए परिवेश के अनुसार तैयार किया गया। 

उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र की सामान्य सभा की ओर से 17 तरह के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल निर्धारित किए गए है। वैश्विक स्तर पर सभी राष्ट्रों के लिए यह तय किए गए हैं। इसके तहत स्वास्थ्य पर आधारित (गुड हेल्थ एंड वेल बींग) लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए क्रमश: वर्ष 2020, 2024 एवं 2030 तक स्वास्थ्य सूचकांक सुधारने का निर्णय लिया गया है।

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इसी के तहत उत्तराखंड में नई स्वास्थ्य नीति का मसौदा तैयार किए जाने का कार्य शुरू हो रहा है। कार्यशाला में एनएचएम निदेशक डॉ. अंजलि नौटियाल, डॉ. तृप्ति बहुगुणा, यूकेएचएसडीपी के संयुक्त निदेशक डॉ. अमित शुक्ल सहित सभी जनपद के सीएमओ, स्वास्थ्य अधिकारी, चिकित्सक, पैरामेडकल स्टाफ, एनएचएम के जनपद और विकास खंड स्तर के प्रबंधक, स्वास्थ्य महानिदेशालय एवं एनएचएम के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। 

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