फिल्मकारों के पसंदीदा शूटिंग डेस्टिनेशन के रूप में पहचान स्थापित करने के साथ ही वैश्विक निवेशक सम्मेलन के जरिये उत्तराखंड ने इस वर्ष देश-दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। जी 20 सम्मेलन की कड़ी में तीन बैठकों की मेजबानी का अवसर मिलने के बाद राष्ट्रीय खेलों के आयोजन की जिम्मेदारी भी इसी वर्ष राज्य के हिस्से आई।कुल मिलाकर अगर यह कहा जाए कि उत्तराखंड के लिए 23वां वर्ष विकास के नए आयाम स्थापित करने वाला रहा, तो गलत नहीं होगा। अब नए वर्ष में उत्तराखंड देश में समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बनने दिशा में तेजी से बढ़ रहा है, जो उसकी नई पहचान बन सकता है।
निवेशक सम्मेलन में 3.50 लाख करोड़ के करार
उत्तराखंड में आयोजित दो दिवसीय वैश्विक निवेशक सम्मेलन राज्य में विकास के मार्ग को प्रशस्त करने की दिशा में अहम कदम माना गया है। निवेशक सम्मेलन के लिए प्रदेश सरकार ने 2.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश करार का लक्ष्य रखा। सम्मेलन की सफलता को देश-विदेश में व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया।नतीजतन, सम्मेलन शुरू होने से पहले ही प्रदेश सरकार 2.50 लाख करोड़ के निवेश करार करने के लक्ष्य को पार कर चुकी थी। निवेशक सम्मेलन के बाद यह आंकड़ा 3.50 लाख करोड़ से अधिक पहुंच गया। इसमें सबसे अधिक 1.03 लाख करोड़ के करार अकेले ऊर्जा क्षेत्र में हुए। उद्योग क्षेत्र में 78 हजार करोड़ के करार हुए।
सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रों में कुल 3.56 लाख करोड़ के 1779 करार किए गए। इनमें से 44 हजार करोड़ के करार की ग्राउंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। शेष करार को धरातल पर उतारने के लिए फरवरी तक का लक्ष्य रखा गया है।
जी 20 की बैठकों ने दी उत्तराखंड को पहचान
जी 20 की बैठकों ने उत्तराखंड को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उत्तराखंड को जी 20 की तीन बैठकों के आयोजन का जिम्मा मिला। इनमें पहली बैठक मार्च में नैनीताल जिले के अंतर्गत रामनगर में आयोजित की गई। चीफ साइंस एडवाइजर्स राउंड टेबल के इस आयोजन में महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।
मई में दूसरी बैठक में वर्किंग ग्रुप आन एंटी करप्शन की हुई। इसमें भ्रष्टाचार रोकने की चुनौतियों, उनके समाधान पर मंथन किया गया। तीसरी बैठक जून के अंत में वर्किंग ग्रुप आन इन्फ्रास्ट्रक्चर विषय पर हुई। इसमें तेजी से हो रहे शहरीकरण के बीच भविष्य की चुनौतियों व नई तकनीकों पर चर्चा की गई। ये दोनों बैठक टिहरी जिले के नरेंद्र नगर में हुईं।
राष्ट्रीय खेलों की पहली बार मिली मेजबानी
प्रदेश को वर्ष 2024 में आयोजित होने वाले 38 वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी इसी वर्ष मिली। राष्ट्रीय खेल पहली बार उत्तराखंड में हो रहे हैं। इस आयोजन के लिए इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन (आइओए) ने 34 खेलों की स्वीकृति प्रदान की है। 38 वें राष्ट्रीय खेल होने के कारण उत्तराखंड इसमें 38 खेल आयोजित करना चाहता है। इसके लिए चार स्थानीय खेलों को भी इसमें जोड़ने की तैयारी है।
खेल मंत्री रेखा आर्या ने गोवा में आयोजित 37वें राष्ट्रीय खेलों के समापन पर 38वें राष्ट्रीय खेलों का ध्वज ग्रहण किया, जो उन्होंने देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा। प्रदेश में राष्ट्रीय खेल छह स्थानों पर कराए जाएंगे। इसके लिए अवस्थापना सुविधाएं विकसित करने को काम किया जा रहा है।
महिला व आंदोलनकारी आरक्षण को बढ़े कदम
प्रदेश सरकार ने इस वर्ष महिला व राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए। सरकार ने राज्याधीन सेवाओं में महिलाओं को सीधी भर्ती में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने की व्यवस्था की है। इससे पूर्व महिलाओं का सामाजिक व आर्थिक स्तर बढ़ाने के लिए इन्हें सरकारी सेवाओं में आरक्षण शासनादेश के अनुसार दिया जा रहा था।
इसी क्रम में सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों को भी सरकारी सेवा में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने संबंधी विधेयक विधानसभा में रखा। अब इसमें कुछ संशोधन किए जा रहे हैं। इसके लिए समिति रिपोर्ट दे चुकी है। माना जा रहा है कि जनवरी में प्रस्तावित विधानसभा सत्र में आंदोलनकारी आरक्षण विधेयक पर मुहर लग जाएगी।
शूटिंग डेस्टिनेशन के रूप में उभरा उत्तराखंड
पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड देश में नए शूटिंग डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। पहले जहां कश्मीर और हिमाचल प्रदेश शूटिंग के लिहाज से निर्देशकों की पहली पसंद हुआ करते थे, अब उत्तराखंड इसका सशक्त विकल्प बन गया है।
उत्तराखंड में फिल्मों की शूटिंग के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध है, यह इससे भी साबित होता है कि पिछले छह साल में तीन बार राज्य को इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जा चुका है। वर्ष 2023 में 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की सूची में भी उत्तराखंड की दो युवा प्रतिभाएं शामिल थीं।लघु फिल्म पाताल ती के लिए बिट्टू रावत को बेस्ट सिनेमेटोग्राफी एवं बेस्ट नान फीचर फिल्म के लिए सृष्टि लखेड़ा की गढ़वाली फिल्म एक था गांव को पुरस्कृत किया गया। इस वर्ष एक हजार से अधिक फिल्में, धारावाहिक और वेब सीरीज की शूटिंग उत्तराखंड में हुई। अब फिल्म निर्माताओं को उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में शूटिंग के लिए आकर्षित करने के उद्देश्य से सरकार कई तरह की रियायत दे रही है।
फिल्म नीति में प्रविधान किया गया है कि राज्य में 75 प्रतिशत शूटिंग पूरी होने पर 30 प्रतिशत सब्सिडी या 1.50 करोड़ रुपये, जो भी कम होगा, दिए जाएंगे। इस सीमा को नई नीति में बढ़ाया जा रहा है।
मानसखंड मंदिर माला मिशन पर नमो की मुहर
प्रदेश सरकार अब केदारखंड की तरह ही प्रदेश में एक और धार्मिक सर्किट मानसखंड मंदिर माला मिशन की दिशा में कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदि कैलास की अपनी यात्रा के दौरान मानसखंड मंदिर माला मिशन के विजन पर मुहर लगाई। इसके पहले चरण में 16 मंदिर शामिल किए गए हैं।
इनमें से तीन मां हाटकाली, नैना देवी व जागेश्वर धाम के प्रथम चरण के लगभग 30 करोड़ के कार्यों का प्रधानमंत्री शिलान्यास कर चुके हैं। अन्य मंदिरों के लिए कंसलटेंट की नियुक्ति की जा चुकी है। इनमें जागेश्वर महादेव मंदिर, अल्मोड़ा, चितई गोलज्यू मंदिर, सूर्यदेव मंदिर कटारमल, कसार देवी मंदिर, नंदा देवी मंदिर, पाताल भुवनेश्वर मंदिर, पिथौरागढ़, हाट कालिका मंदिर, बागनाथ मंदिर, बागेश्वर बैजनाथ मंदिर, चंपावत में पाताल रुद्रेश्वर शामिल हैं।
इनके अलावा मां पूर्णागिरि मंदिर, मां बाराही देवी मंदिर, बालेश्वर मंदिर, नैना देवी मंदिर नैनीताल, ऊधम सिंह नगर में कैंची धाम मंदिर और चैती धाम मंदिर भी इस परियोजना का हिस्सा हैं। इन मंदिरों के आसपास के स्थल भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाएंगे।
सीमावर्ती गांवों के विकास को 51 वाइब्रेंट विलेज
केंद्र सरकार ने सीमावर्ती गांवों को प्रथम गांव का दर्जा देते हुए इसी के अनुरूप इन्हें विकसित करने का निर्णय लिया है। सीमावर्ती गांवों के लोग सुरक्षा प्रहरी की भूमिका भी निभाते हैं। सीमा पर होने वाली किसी भी तरह की हलचल की जानकारी इनके माध्यम से ही सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंचती है। ये गांव खाली न हों और उनकी जीवंतता बनी रहे, इसी उद्देश्य से शुरू किया गया है वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम। स्वाभाविक तौर पर चीन और नेपाल की सीमा से सटे उत्तराखंड को भी इसका लाभ मिलना तय है।केंद्र ने प्रथम चरण में उत्तराखंड के 51 सीमावर्ती गांवों को वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल किया है। इनके चहुंमुखी विकास की कार्ययोजना तैयार की गई है। तीन जिलों चमोली, पिथौरागढ़ व उत्तरकाशी के पांच विकासखंडों के इन गांवों के लिए 758 करोड़ रुपये की कार्ययोजना बनाई गई है। यह अब धरातल पर मूर्त रूप लेगी, जिससे सीमावर्ती गांवों की रौनक लौटेगी।
देहरादून घोषणा पत्र में हिमालय की चिंता
समूचा विश्व प्राकृतिक आपदा और जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न संकट का सामना कर रहा है। हिमालयी क्षेत्र तो इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जो तमाम झंझावत से जूझ रहा है। संतुलित प्रणाली और समुदाय की सक्रिय भागीदारी ऐसे खतरों एवं आपदा की चुनौतियों से निबटने में सहायक सिद्ध हो सकती है।वर्ष के आखिर में देहरादून में आयोजित छठवें विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन में जारी देहरादून घोषणा पत्र में हिमालय से जुड़ी इन चिंताओं को बखूबी उकेरा गया। इस सम्मेलन के माध्यम से समूची दुनिया की तरफ हिमालय का ध्यान खींचने में सफल रहा।
WhatsApp पर हमसे जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.'देहरादून घोषणा पत्र-2023' में सुझाव दिया गया है कि हिमालयी व पर्वतीय राज्यों में आपदा प्रबंधन की दिशा में युवाओं को तैयार करने के दृष्टिगत आपदा जोखिम न्यूनीकरण को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए। साथ ही आपदा प्रतिरोध के लिए उत्तरकाशी के सिलक्यारा माडल के अनुरूप हिमालयी राज्यों में नई व्यवस्था करने समेत कई संस्तुतियां की गई हैं।
जमरानी बांध परियोजना को 48 साल बाद धरातल
डबल इंजन का संबल उत्तराखंड को एक बार फिर मिला है। राज्य में चल रही डेढ़ लाख करोड़ की लागत वाली केंद्र पोषित परियोजनाओं के बाद दीपावली पर केंद्र ने बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध परियोजना का उपहार भी राज्य को दिया। वर्ष 1975 से अधर में लटकी इस परियोजना को अब जाकर धरातल मिलेगा।केंद्र सरकार ने पीएमकेएसवाई में 1730.20 करोड़ की इस परियोजना को स्वीकृति दी है। इसमें 90 प्रतिशत केंद्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश के रूप में मिलना प्रस्तावित है। राज्यांश की संयुक्त राशि के लिए उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश सरकारें एमओयू करेंगी।जमरानी बांध परियोजना के आकार लेने पर इससे हल्द्वानी शहर को 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध होगा। डेढ़ लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलने के साथ ही 63 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन भी होगा। उत्तर प्रदेश को भी सिंचाई के लिए इस परियोजना से पानी मिलेगा।
रेलवे, हवाई व रोप वे संपर्क पर तेजी से कार्य
प्रदेश में रेलवे, हवाई व रोप वे संपर्क की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। इस वर्ष प्रदेश में जौलीग्रांट व पंतनगर हवाई अड्डों से विभिन्न राज्यों के लिए हवाई सेवाओं की संख्या में वृद्धि की गई। साथ ही उड़ान योजना के अंतर्गत सात स्थानों से हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा है।चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ के लिए हेली सेवाएं संचालित हो रही हैं। प्रदेश सरकार पर्यटन को बढ़ावा देेने के लिए अन्य स्थानों से भी हेली सेवाएं शुरू करने पर विचार कर रही है। चारधाम आल वेदर रोड का निर्माण कार्य अंतिम चरणों में है। इससे चार धाम के साथ ही इससे लगे पर्यटन क्षेत्रों तक पर्यटकों की पहुंच सुगम हुई है।ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन भविष्य में पर्वतीय क्षेत्रों में यात्रा की तस्वीर को पूरी तरह बदल देगी। अगले वर्ष तक इस योजना के पूर्ण होने की उम्मीद है। प्रदेश में रोप वे परियोजनाओं को भी लगातार विस्तार दिया जा रहा है। केदारनाथ व हेमकुंड साहिब तक रोप वे पहुंचाने का कार्य जल्द शुरू होने वाला है।
राज्य में एम्स सेटेलाइट सेंटर की हुई शुरुआत
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को लगातार मजबूत करने का कार्य किया जा रहा है। इस कड़ी में ऊधम सिंह नगर में एम्स की सेटलाइट सेंटर की शुरुआत इसी वर्ष की गई। ऋषिकेश में पहले से ही एम्स है, जो गढ़वाल मंडल की अधिसंख्य आबादी को सुविधा प्रदान कर रहा है। ऊधम सिंह नगर में एम्स का सेटेलाइट सेंटर आरंभ होने से कुमाऊं मंडल के निवासियों को लाभ मिलेगा।सरकार को इस वर्ष एनएचएम के तहत 1100 करोड़ रुपये की योजनाओं को मंजूरी मिली है। इनमें नए अस्पताल खोलने के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नए उपकरण भी खरीदे जाएंगे।प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की दिशा में भी आगे कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार ने यू कोट वी पे योजना लागू की। इसमें विशेषज्ञ चिकित्सकों को उनकी मुंह मांगे वेतन पर तैनात करने की व्यवस्था की जा रही है।
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