Move to Jagran APP

यहां के युवाओं ने गांव की प्यास बुझाने के लिए पहाड़ को दी चुनौती

पौड़ी जिले के यमकेश्वर विकासखंड स्थित बिंजाखेत गांव के युवा ने गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए उदहरण पेश कर रहे हैं। बगैर किसी सरकारी मदद के वे गांव तक पानी पहुंचाने में जुटे हैं।

By BhanuEdited By: Updated: Fri, 29 Jun 2018 05:29 PM (IST)
Hero Image
यहां के युवाओं ने गांव की प्यास बुझाने के लिए पहाड़ को दी चुनौती
ऋषिकेश, [हरीश तिवारी]: पौड़ी जिले के यमकेश्वर विकासखंड स्थित बिंजाखेत गांव के युवाओं ने समाज के सामने अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। इन युवाओं ने वर्षों से पेयजल संकट झेल रहे अपने गांव तक प्राकृतिक स्रोत से एक किमी लंबी पाइप लाइन बिछाने का बीड़ा उठाया है। अब तक उनका 80 प्रतिशत सफर पूरा भी हो चुका है। 

यमकेश्वर प्रखंड का 80 प्रतिशत भाग दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में बसा है। यहां के कई गांवों में तो वर्षभर पीने के पानी का संकट रहता है। ग्रीष्मकाल में तो यह समस्या और भी गहरा जाती है। 

इसी संकट को देखते हुए प्रखंड की ग्रामसभा जुलेड़ी के जुलेड़ी गांव में एक वर्ष पूर्व स्थानीय युवाओं ने आपदा में दब चुके जलस्रोत को पुनर्जीवित कर चढ़ाई में स्थित गांव तक पानी पहुंचाया था। 

इससे प्रेरित होकर एक माह पूर्व इसी ग्रामसभा के ढोसण गांव में भी ग्रामीणों ने पानी पहुंचाया था। अब इसी ग्रामसभा के बिंजाखेत गांव में पानी के संकट को दूर करने के लिए युवाओं ने जो कार्ययोजना तैयार की है, वह सिस्टम को आईना दिखाने वाली है। 

जुलेड़ी पेयजल योजना पर काम कर चुके स्थानीय युवक अनिल ग्वाड़ी ने बताया कि ङ्क्षबजाखेत गांव में बारहों महीने पानी की कमी रहती है। ऐसे में ग्रामीणों को मीलों दूर से पानी ढोना पड़ता है। 

लिहाजा, इस काम को चुनौती के रूप में लेते हुए ग्रामीणों ने यह कार्ययोजना तैयार की। ग्राम प्रधान संग्राम सिंह पयाल, चंद्रमोहन पयाल, कलम सिंह, प्रमोद पयाल, दिलबर पयाल, बुद्धि सिंह पयाल, मदन सिंह पयाल आदि ने निजी संसाधनों से बनने वाली इस पेयजल योजना का खाका तैयार किया। 

योजना में 20 हजार लीटर के दो टैंक, एक मोटर पंप और 400 पाइप लगने हैं। इस पर करीब छह लाख रुपये खर्च होंगे। बताया कि सभी लोगों ने आपस में मिलकर यह पूंजी एकत्र करनी शुरू की। 

हालांकि, अभी लक्ष्य के अनुरूप पूंजी एकत्र नहीं हुई है, मगर 15 दिन पूर्व ग्रामीणों ने योजना पर काम शुरू कर सूख चुके परंपरागत जलस्रोत को जीवित कर लिया है। इसके अलावा एक किमी दूर गांव तक चढ़ाई में पाइप लाइन बिछाई गई है। एक टैंक बनकर तैयार हो चुका है, जबकि दूसरा निर्माणाधीन है। 

किसी के आगे नहीं फैलाए हाथ

ग्रामीण चंद्र मोहन सिंह पयाल ने बताया कि गांव में करीब 20 परिवार रहते हैं। सभी ने किसी के आगे हाथ फैलाने के बजाय आपस में धनराशि एकत्र की। अब पानी को लिफ्ट करने के लिए पर्याप्त क्षमता वाली मोटर लगाई जा रही है। अब तक योजना पर 80 फीसदी काम हो चुका है और ग्रामीण श्रमदान कर इस कार्य को पूरा करने में जुटे हैं। गांव से ही मोटर संचालन के लिये बिजली ली गयी है। उम्मीद है कि जल्द ही गांव में पानी का संकट दूर हो जाएगा।

यह भी पढ़ें: इस मानसून से सरकारी भवन सहेजने लगेंगे वर्षा जल

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में इस संस्था की पहल से चहक उठे 52 सूखे जल धारे

यह भी पढ़ें: इस गांव का हर शख्स बना मांझी, पहाड़ का सीना चीर खुद लिखी तकदीर

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।