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Uttarakhand Foundation Day: परिवर्तन का साक्षी बन रहा युवा उत्तराखंड, अब हो रहा परिपक्व

PM मोदी कई बार कह चुके हैं कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक होगा। सरकार ने भी लक्ष्य तय किया है कि अगले वर्ष उत्तराखंड जब अपनी स्थापना की रजत जयंती मनाएगा तो वह देश के शीर्ष राज्यों की पंक्ति में शामिल होगा। देवभूमि की पहचान को सुरक्षित रखने और विकास की किरण को अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

By Vikas dhulia Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 09 Nov 2024 09:54 AM (IST)
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उत्‍तराखंड में मनाया जा रहा है रजत उत्‍सव। जागरण
विकास धूलिया, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड ने अपनी स्थापना के रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर लिया है। कह सकते हैं कि अब यह राज्य परिपक्व होने लगा है और पिछले कुछ वर्षों के दौरान लिए गए निर्णयों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विशेषकर, समान नागरिक संहिता की पहल, मतांतरण पर रोक को सख्त कानूनी प्रविधान, लव-लैंड जिहाद पर अंकुश को उठाए गए कदम, सख्त नकलरोधी कानून और राज्याधीन सेवाओं में महिलाओं व राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण ने उत्तराखंड को देश में एक विशिष्ट पहचान दी है।

इस दृष्टिकोण से अगर यह कहा जाए कि अब उत्तराखंड एक बड़े परिवर्तन की प्रक्रिया का साक्षी बन रहा है, तो गलत नहीं होगा। उत्तराखंड को अलग राज्य बने अब 24 वर्ष हो गए हैं। इस अवधि में सरकारों द्वारा राज्यहित में लिए गए तमाम निर्णय इसकी प्रगति के सोपान बने, लेकिन पिछले ढाई-तीन वर्षों में इस प्रक्रिया में तेजी आई है। 

सबके लिए समान कानून

देवभूमि के स्वरूप के अनुरूप राज्य के सभी नागरिकों के लिए सिविल कानून भी समान रूप से हों, इसी दृष्टि से समान नागरिक संहिता की सरकार ने पहल की है। स्वतंत्रता के बाद ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। अब जबकि इससे संबंधित नियमावली तैयार हो चुकी है तो शीघ्र ही समान नागरिक संहिता कानून राज्य में अस्तित्व में आ जाएगा।

मातृशक्ति का सशक्तीकरण 

राज्य गठन और फिर उसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली मातृशक्ति के सशक्तीकरण के क्रम में राज्याधीन सेवाओं में राज्य की महिला अभ्यर्थियों के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का प्रविधान किया गया है। महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए महिला नीति भी लाई जा रही है।

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महिलाओं में नेतृत्व क्षमता

महिलाओं को राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने और उनमें नेतृत्व क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायतों व निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया है। अब सहकारी समितियों की प्रबंध कार्यकारिणी में भी पहली बार महिलाओं के लिएं 33 प्रतिशत आरक्षण तय किया गया है।

दंगाइयों के लिए राज्य में स्थान नहीं 

राज्य में हड़ताल, बंद, दंगा एवं विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक अथवा निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति की वूसली का प्रविधान उत्तराखंड लोक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम में किया गया है।

कब्जामुक्त सरकारी भूमि 

लैंड जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू किया है। धार्मिक संरचनाओं के नाम पर 1400 हेक्टेयर सरकारी भूमि में हुए अतिक्रमण अब तक हटाए जा चुके है।

मतांतरण रोकने को सख्त प्रविधान

उत्तराखंड में पिछले वर्ष जबरन और सामूहिक मतांतरण पर अंकुश के लिए कानून में सख्त प्रविधान कर दिए। कानून का उल्लंघन करने पर सजा और जुर्माना, दोनों में वृद्धि की गई है।

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भर्ती परीक्षाओं में शुचिता

युवा शक्ति को अपनी मेहनत का उचित प्रतिफल मिले, इसी के दृष्टिगत भर्ती परीक्षाओं की शुचिता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। पूर्व में भर्ती परीक्षाओं में घपले सामने आने पर सरकार सख्त नकलरोधी कानून लेकर आई।

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