Positive India: लॉकडाउन के बीच गांव के युवाओं ने स्वयं उठाया सड़क निर्माण का जिम्मा
लॉकडाउन के दौरान पौड़ी जनपद के यमकेश्वर ब्लॉक केे बीरकाटल गांव के युवाओं ने खुद ही गांव तक सड़क पहुंचाने की ठान ली है। तीन दिनों में युवा पांच सौ मीटर सड़क का निर्माण कर चुके हैं।
By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Sun, 26 Apr 2020 11:56 AM (IST)
ऋषिकेश, दुर्गा नौटियाल। सड़क किसी भी गांव के लिए ‘लाइफ लाइन’ से कम नहीं है। जिन गांव में बीमार लोगों को कंधों पर उठाकर मुख्य मार्ग तक लाना पड़े तो वहां पर इसका महत्व ओर भी ज्यादा हो जाता है। ऐसे ही एक गांव है पौड़ी जनपद के यमकेश्वर ब्लॉक का बीरकाटल गांव। आज भी गांव तक पहुंचने के तीन किमी का सफर पैदल तय करना पड़ता है।
लॉकडाउन के दौरान गांव के जोशीले युवाओं ने खुद ही गांव तक सड़क पहुंचाने की ठान ली है। पिछले तीन दिनों में युवा पांच सौ मीटर सड़क का निर्माण कर चुके हैं। ऐसा नहीं कि यह लोग लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि उचित शारीरिक दूरी बनाकर और अन्य सावधानियों के साथ यह लोग अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं।पौड़ी जनपद के यमकेश्वर ब्लॉक में बूंगा ग्रामसभा का बीरकाटल गांव आज भी विकास से कोसों दूर है। दुश्वारियों के बावजूद यह गांव आज भी स्वावलंबन की मिसाल बना हुआ है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भी इस गांव से किसी ने पलायन नहीं किया। मगर, इसे नीति नियंताओं की अदूरदर्शिता ही कहेंगे कि इस गांव को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।
बहरहाल, कोरोना महामारी के दौर जब ग्रामीण लॉकडाउन के चलते कहीं बाहर नहीं जा सकते, तो उन्होंने इस लॉकडाउन में गांव की तस्वीर बदलने का फैसला लिया। क्षेत्र पंचायत सदस्य पूर्व सैनिक और पर्वतारोही सुदेश भट्ट के आह्वान पर ग्रामीणों ने स्वयं ही गांव तक सड़क बनाने का बीड़ा उठाया।एक बैठक के बाद ग्रामीणों ने गुरुवार को बीरकाटल गांव से ही कार्य का श्रीगणोश किया। अपने सीमित संसाधनों के साथ कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए शारीरिक दूरी बनाकर 22 युवा सड़क निर्माण में जुटे। दूसरे ही दिन संख्या युवाओं की 27 पहुंच गई और तीन दिन में ही करीब पांच सौ मीटर सड़क का निर्माण हो गया।
पहले चरण में दुपहिया पहुंचाना है लक्ष्य ग्रामीणों का लक्ष्य है कि पहले चरण में वह सड़क को इतना तैयार कर देंगे कि गांव तक दुपहिया वाहन आसानी से पहुंच जाए। क्षेत्र पंचायत सदस्य सुदेश भट्ट ने बताया कि जिस गति से काम जारी है, उसे देखते हुए हम अगले दो सप्ताह के भीतर इस मार्ग को दोपहिया वाहनों के लिए तैयार कर देंगे। इसके बाद चौपहिया वाहनों के आवागमन के लिए भी मार्ग को तैयार किया जाएगा।
सड़क के बाद अब सिंचाई नहरों की बारी बीरकाटल गांव में आलू, प्याज, सब्जियों और अन्य फसलों की पहले अच्छी खेती होती है। मगर, वर्ष 2013 की प्राकृतिक आपदा में यहां तमाम सिंचाई नहरें और गूल बह गई थी। तब से बीरकाटल गांव में कृषि भी नाममात्र की रह गई है। इन सात सालों में अभी तक सिंचाई नहरों और गूलों की भी मरम्मत नहीं हो पाई। मगर, अब गांव के इन जोशीले युवाओं ने सड़क तैयार करने के बाद गांव में सिंचाई के लिए नहरों की मरम्मत करने का निर्णय लिया है।
यह भी पढ़ें: लॉकडाउन का पालन कराने में मिसाल बना ये गांव, तबस्सुम इमरान से सबक लें प्रदेश के सभी ग्राम प्रधानलॉक डाउन के नियमों का करते हैं पूरा पालनक्षेत्र पंचायत सदस्य सुदेश भट्ट ने बताया कि गांव में लॉकडाउन का भी पूरा पालन किया जा रहा है। कार्यस्थल पर सिर्फ वही लोग पहुंचते हैं, जिन्हें काम करना होता है। काम करने वाले युवक अपने साथ घर से ही भोजन तैयार करने के लिए सामग्री लाते हैं और कार्यस्थल पर ही पूरी टीम के लिए भोजन तैयार होता है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में कोई भी व्यक्ति गांव में नहीं आया है, जिससे यहां संक्रमण का भी कोई खतरा नहीं है।
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