देहरादून में शास्त्रीय संगीत के प्रति बढ़ा युवाओं का रुझान Dehradun News
भारतीय संगीत का आकर्षण एक बार फिर दून के संगीत प्रेमियों को अपनी ओर खींच रहा है। माता-पिता भी बच्चों को पढ़ाई के साथ संगीत के फन में माहिर बनाने को आगे आ रहे हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 02 Jul 2019 01:05 PM (IST)
देहरादून, गौरव ममगाईं। कानफोड़ू संगीत और रैप के इस दौर में भारतीय संगीत का आकर्षण एक बार फिर दून के संगीत प्रेमियों को अपनी ओर खींच रहा है। खास बात यह कि माता-पिता भी बच्चों को पढ़ाई के साथ संगीत के फन में माहिर बनाने को आगे आ रहे हैं। फिर चाहे शास्त्रीय गायन हो या वाद्ययंत्रों व शास्त्रीय नृत्य की तालीम, प्रशिक्षण लेने के लिए विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
भातखंडे में बढ़ी विद्यार्थियों की संख्यादून के प्रतिष्ठित भातखंडे हिंदुस्तानी संगीत महाविद्यालय में पिछले तीन वर्षों से विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ी है। प्रवेशिका से लेकर विशारद तक यहां पांच कोर्स संचालित हो रहे हैं। शिक्षक रविंद्रनाथ मिश्र बताते हैं कि शास्त्रीय संगीत के प्रति युवाओं की रुचि काफी बढ़ी है। 11 वर्ष से लेकर 26 वर्ष तक के विद्यार्थी यहां प्रशिक्षण ले रहे हैं। शिक्षक राजकुमार भारती बताते हैं कि नए सत्र के लिए भी रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं। पिछले तीन वर्षों की प्रगति देखें तो विद्यार्थियों की संख्या वर्ष 2016 में 180, 2017 में 225 व 2018 में 253 रही। बताया कि शास्त्रीय संगीत सभी विधाओं की जननी है, इसलिए युवाओं में इसे सीखने की ललक ज्यादा रहती है। नृत्य में कथक के प्रति विशेष झुकाव देखने को मिल रहा है।
हुनर से मिल रहा रोजगारशास्त्रीय संगीत की तालीम लेने के बाद युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी खुल रहे हैं। वह विभिन्न स्कूल और इंस्टीट्यूट में बतौर प्रशिक्षक नौकरी कर रहे हैं। शास्त्रीय संगीत की तालीम ले रहीं मीरा और दिव्या बताती हैं कि वह स्वयं प्रशिक्षण लेने के साथ ही निजी स्कूल में संगीत सिखा रही हैं। साथ ही कई आयोजनों में भी वह अपने गायन का प्रदर्शन करती हैं।
रियलिटी-शो से प्रेरित हो रहे माता-पिताआजकल लोग टीवी में रियलिटी शो देखकर भी अपने बच्चों को संगीत और नृत्य सिखाना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि उनके पाल्य पढ़ाई के साथ ही गायन और नृत्य में महारथ हासिल करें।
कलाकारों को मिले बढ़ावाभरतनाट्यम गुरु बीना अग्रवाल बताती हैं कि शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने के लिए कलाकारों को भी बढ़ावा मिलना चाहिए। पहले ऐसे कार्यक्रम बहुत हुआ करते थे, जिसमें कलाकारों की महफिल सजती थी। अब लोग ऐसे आयोजन पर खर्च करना कम पसंद करते हैं। अच्छी संगीत कार्यशालाओं को भी बढ़ावा मिलना चाहिए, ताकि युवाओं को प्रोत्साहन मिल सके।
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