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निर्वाण पीठाधीश्वर को दी भू-समाधि

By Edited By: Updated: Thu, 09 May 2013 01:09 AM (IST)
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जागरण प्रतिनिधि, हरिद्वार: निर्वाण पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन स्वामी विश्वदेवानंद महाराज को बुधवार कनखल स्थित श्रीयंत्र मंदिर परिसर में भू-समाधि दी गई। इस अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में देशी-विदेशी संत और महामंडलेश्वर श्रीयंत्र मंदिर में मौजूद रहे। इससे पहले बुधवार सुबह को योगगुरु बाबा रामदेव भी उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे, वे वहां करीब तीन घंटे रुके। शाम के समय विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंघल ने भी विहिप की ओर से श्रद्धांजलि दी।

निर्वाण पीठाधीश्वर स्वामी विश्वदेवानंद महाराज मंगलवार को एक सड़क दुर्घटना में ब्रह्मलीन हो गए थे। उनके पार्थिव शरीर को श्रीयंत्र मंदिर में रखा था। बुधवार को उनकी अंतिम यात्रा के रूप में उनके पार्थिव शरीर को लेकर श्रीयंत्र मंदिर की तीन बार परिक्रमा की। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को मंदिर की दक्षिण-पूर्वी कोण में भू-समाधि दे दी गई। उनके अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में देश और विदेश से संतों का सैलाब उमड़ पड़ा।

बुधवार सुबह पहुंचे योगगुरु बाबा रामदेव भी शोक संतप्त संतों के साथ करीब तीन घंटे तक मौजूद रहे। बाबा रामदेव ने कहा कि स्वामी विश्वदेवानंद महाराज ज्ञानी होने के साथ-साथ बहुत ही सरल स्वभाव के संत थे। उनके ब्रह्मलीन होने से संत समाज में जो स्थान रिक्त हुआ है, उसे शायद ही अब कोई संत भर पाएं। विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंघल ने कहा कि स्वामी विश्वदेवानंद महाराज सनातन धर्म के एक मजबूत स्तंभ थे। इनके जाने से सनातन धर्म को सहारा देने वाले ऐसे कुछ मजबूत स्तंभों में से एक स्तंभ कम हो गया है।

गंगा की पवित्रता कायम रखने को भू-समाधि ही उत्तम

संन्यास परंपरा के तहत ब्रह्मलीन संतों का अग्नि संस्कार नहीं किया जाता है। उन्हें जल या फिर भू-समाधि ही दी जाती है। संतों ने भी बैठकर बुधवार को ब्रह्मलीन स्वामी विश्वदेवानंद महाराज को भू-समाधि देने का ही फैसला लिया। संतों का कहना था कि गंगा को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए भू-समाधि ही सर्वोत्तम उपाय है। साथ ही भू-समाधि से सभी अनुयायियों को उनकी समाधि स्थल पर उन्हें नमन करने का मौका मिलता रहेगा।

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