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Rishikesh: प्रयोग परीक्षा में तिलक को लगाने को लेकर एम्स की छात्रा पर टिप्पणी, जांच रिपोर्ट के बाद परीक्षक पर होगी कार्रवाई

एम्स ऋषिकेश में पेन मेडिसिन विभाग में डाक्टरेट आफ मेडिसिन (डीएम) की छात्रा डा. शालिनी मिश्रा ने इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री व एम्स प्रशासन से शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने प्रयोगात्मक परीक्षा के दौरान तिलक लगाने को लेकर परीक्षक की ओर से टिप्पणी कर मजाक उड़ाने का आरोप लगाया था। एम्स प्रशासन ने इस मामले में जांच रिपोर्ट तथा संबंधित परीक्षक का पक्ष...

By Harish chandra tiwariEdited By: riya.pandeyUpdated: Sat, 09 Dec 2023 09:06 AM (IST)
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प्रयोग परीक्षा में तिलक को लगाने को लेकर एम्स की छात्रा पर टिप्पणी
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश की (पेन मेडिसिन विभाग) की छात्रा की ओर से प्रयोगात्मक परीक्षा के दौरान उनके तिलक लगाने को लेकर परीक्षक द्वारा की गई टिप्पणी के मामले को एम्स प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। एम्स प्रशासन ने इस मामले में जांच रिपोर्ट तथा संबंधित परीक्षक का पक्ष आने के बाद आवश्यक कार्रवाई करने की बात कही है।

एम्स ऋषिकेश में पेन मेडिसिन विभाग में डाक्टरेट आफ मेडिसिन (डीएम) की छात्रा डा. शालिनी मिश्रा ने इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री व एम्स प्रशासन से शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने प्रयोगात्मक परीक्षा के दौरान तिलक लगाने को लेकर परीक्षक की ओर से टिप्पणी कर मजाक उड़ाने का आरोप लगाया था।

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इस संबंध में एम्स के प्रभारी जनसंपर्क अधिकारी संदीप कुमार सिंह ने बताया कि इस मामले में एम्स प्रशासन विभिन्न स्तर पर जांच कर रहा है। उन्होंने बताया कि डीन एकेडमिक की ओर से भी इस मामले को गंभीरता से लिया गया है और इस प्रकरण पर संबंधित परीक्षक से भी आवश्यक पूछताछ व जानकारी हासिल की जा रही है।

प्रभारी पीआरओ ने बताया कि शीघ्र ही इस संबंध में जांच रिपोर्ट व परीक्षक का पक्ष आने के बाद आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। वहीं अखिल भारतीय संघ समिति के राष्ट्रीय सचिव महामंडलेश्वर स्वामी ईश्वर दास ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि तिलक लगाने पर मातृशक्ति का अपमान सनातन संस्कृति का अपमान है। ऐसा करने वाला परीक्षक जिहादी मानसिकता का है।

उन्होंने भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार से संबंधित परीक्षक पर कठोर कार्रवाई करने की मांग की, ताकि उत्तराखंड और सनातन संस्कृति की पहचान मिटाने वाले ऐसे लोगों का सनातन धर्म और उत्तराखंड देवभूमि का अपमान करने का साहस न हो।

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