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Haridwar Kumbh Mela 2021: कुंभ एसओपी पर सभी अखाड़ों की राय लेगी अखाड़ा परिषद

Haridwar Kumbh Mela 2021 अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद हरिद्वार कुंभ के लिए जारी केंद्र सरकार की एसओपी पर सभी अखाड़ों की राय लेगी। इसके बाद परिषद की आपात बैठक में विचार विमर्श करने के बाद ही अपना अधिकृत बयान जारी करेगी।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 27 Jan 2021 10:10 PM (IST)
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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद हरिद्वार कुंभ के लिए जारी केंद्र सरकार की एसओपी पर सभी अखाड़ों की राय लेगी। इसके बाद परिषद की आपात बैठक में विचार विमर्श करने के बाद ही अपना अधिकृत बयान जारी करेगी।  बुधवार को दैनिक जागरण से फोन पर हुई बातचीत में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सभी अखाड़ों से केंद्र की एसओपी पर उनकी राय जानने को वह गुरुवार को हरिद्वार पहुंच रहे हैं।

राय लेने के बाद वह स्वयं और अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि इस पर आपसी चर्चा करेंगे। इसके बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक बुलाकर रायशुमारी से निकले निष्कर्षों पर विमर्श किया जाएगा। कहा कि सभी मामले और संतों की नाराजगी आदि बात उनके संज्ञान में हैं। इन सभी बातों का जवाब अखाड़ा परिषद की बैठक में विचार-विमर्श करने के बाद ही दिया जाएगा।

वहीं, हरिद्वार कुंभ को लेकर केंद्र सरकार की गाइड लाइन में कुंभ के दौरान कथा और प्रवचन आदि पर रोक लगाने संबंधी आदेश पर संत समाज में भारी नाराजगी है। संतों का कहना है कि कुंभ एक सनातन दैवीय धार्मिक आयोजन है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु धर्म-कर्म के लिए पहुंचते हैं। पूरे कुंभ के दौरान कथा-प्रवचन सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रम और अनुष्ठान होते रहते हैं, ऐसे में इन पर रोक लगाने से कुंभ का महत्ता और आयोजन का कोई औचित्य ही नहीं रह जाएगा। 

जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी सोमेश्वरानंद ने कहा कि सरकार ने कथा और प्रवचन पर रोक लगाकर कुंभ के धार्मिक महत्व को ही खत्म करने का प्रयास किया है। उन्होंने इस मामले में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से हस्तक्षेप करने की मांग भी की। चेतन ज्योति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषिरानंद ने कहा कि कुंभ को लेकर राज्य सरकार के कार्य समझ से परे हैं। पहले तो कुंभ का नोटिफिकेशन जारी करने में देरी की और अब गाइड लाइन जारी कर कथा और प्रवचन पर ही रोक लगा दी। ऐसे में कुंभ के आयोजन का औचित्य ही क्या रह जाता है। कुंभ कोई मनोरंजन का मेला नहीं, यहां श्रद्धालु धर्म-कर्म कमाने आता है। जब धर्म-कर्म ही नहीं होंगे तो वह क्यों यहां आएगा।

श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर सरकार के साथ अखाड़ा परिषद 

कुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर सरकार की ओर से किए जाने वाले सभी प्रबंधों में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद सरकार का सहयोग करेगा। अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि अखाड़ा परिषद कुंभ और श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर न सिर्फ चिंतित, बल्कि स्वयं भी इसे लेकर हर संभव प्रयत्न कर रही है। मेलाधिकारी दीपक रावत ने कहा कि कुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा मेला अधिष्ठान का पहला दायित्व है। अखाड़ा परिषद और अखाड़ों से भी इस मामले में समन्वय स्थापित कर सहयोग लिया जा रहा है। 

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