Ram Mandir Update: राम मंदिर के निर्माण में CBRI की अहम भूमिका, 10-12 वैज्ञानिकों की टीम कर रही कार्य
केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) रुड़की के वैज्ञानिकों टीम अयोध्या में श्रीराम के दिव्य-भव्य मंदिर के निर्माण में अहम भूमिका निभा रही है। उनकी ओर से राम मंदिर की नींव के अलावा संरचनात्मक डिजाइन सूर्य तिलक और संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी का कार्य किया जा रहा है। विज्ञानिकों ने भूकंप की दृष्टि से राम मंदिर को जोन-चार के अनुसार बनाया है। इसकी उम्र भी एक हजार साल तक निर्धारित है।
जागरण संवाददाता, रुड़की। अयोध्या में श्रीराम (Shree Ram) के दिव्य-भव्य मंदिर के निर्माण में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की के वैज्ञानिक भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
उनकी ओर से राम मंदिर की नींव के अलावा संरचनात्मक डिजाइन, सूर्य तिलक और संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी का कार्य किया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया कि भूकंप की दृष्टि से अयोध्या जोन-तीन में आती है, लेकिन राम मंदिर को जोन-चार के अनुसार बनाया जा रहा है। इसकी उम्र भी एक हजार साल होगी।
22 जनवरी होगी प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा
आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। श्रीराम के इस भव्य मंदिर के निर्माण में रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने भी अपना योगदान दिया है।सीबीआरआई के निदेशक प्रो. आर प्रदीप कुमार ने बताया कि राम मंदिर की नींव के अलावा संरचनात्मक डिजाइन, सूर्य तिलक और संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी का कार्य संस्थान के वैज्ञानिकों की ओर से किया जा रहा है।
राम मंदिर निर्माण में नहीं हुआ सरिये का इस्तेमाल
बताया कि संस्थान के 10-12 वैज्ञानिकों की टीम इसमें शामिल है। टीम में शामिल वैज्ञानिक डॉ. देबदत्ता घोष ने बताया कि जमीन से शिखर तक राम मंदिर की ऊंचाई 161 फीट है। राम मंदिर के निर्माण में सरिये का इस्तेमाल नहीं हुआ। पत्थर से पत्थर की इंटरलाकिंग की गई है।इसमें बंशी पहाड़पुर के सैंड स्टोन का प्रयोग किया गया है। वैज्ञानिक हिना गुप्ता ने बताया कि राम मंदिर में पांच मंडप हैं। सबसे पहले गर्भगृह है, जिसमें श्रीराम की प्रतिमा स्थापित होगी। दूसरा गुड मंडप, तीसरा रंग मंडप, चौथा नृत्य मंडप और पांचवां प्रार्थना मंडप होगा। इसकी वास्तुकला नागर शैली में है।
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