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बीड़ी मुक्त रुड़की जेल! कर्नल शर्मा ने सात साल की लड़ाई जीती; पढ़िये नशे के खिलाफ संघर्ष की कहानी

कर्नल एमपी शर्मा ने जेलों में बीड़ी के इस्तेमाल के खिलाफ सात साल तक लड़ाई लड़ी और आखिरकार जीत हासिल की। 21 अक्टूबर 2023 से उत्तराखंड के रुड़की उप कारागार में बीड़ी का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद हो गया है। कर्नल शर्मा ने अपनी इस मुहिम के बारे में विस्तार से बताया है। इस लेख में हम उनके संघर्ष के बारे में जानते हैं...।

By Raman kumar Edited By: Sakshi Gupta Updated: Sun, 24 Nov 2024 06:14 PM (IST)
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कर्नल शर्मा का संघर्ष रंग लाया और अब रुड़की जेल बीड़ी मुक्त हुआ। (तस्वीर जागरण)
रमन त्यागी, रुड़की (हरिद्वार)। साल 1971 की जंग में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा देने वाले रुड़की निवासी 80 वर्षीय कर्नल एमपी शर्मा (सेनि) साल 2017 से समाज में नशा एवं धूम्रपान के विरुद्ध नई जंग लड़ रहे हैं। अच्छी बात यह कि इस जंग के परिणाम भी सामने आने लगे हैं। उन्होंने जेलों में बीड़ी का प्रयोग बंद कराने के लिए जो मुहिम छेड़ी थी, उसका परिणाम यह रहा कि बीते 21 अक्टूबर से उत्तराखंड के रुड़की उप कारागार में बीड़ी का इस्तेमाल पूरी तरह बंद हो गया।

साल 1997 में आर्मी सर्विस कोर से सेवानिवृत्त होने के बाद कर्नल शर्मा ने नशे के विरुद्ध जंग लड़ने का संकल्प लिया और लोगों को जागरूक करने में जुट गए। उन्हें यह बात लगातार अखरती थी कि जेलों में बंदियों को बीड़ी उपलब्ध कराई जाती है, सो वह इसके विरुद्ध भी माहौल बनाने में जुट गए। इसी कड़ी में 09 जून 2017 को उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र भेजकर जेलों में बीड़ी के प्रयोग पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन बात आई-गई हो गई।

पीएम मोदी को लिखा था पत्र

इससे कर्नल शर्मा ने हार नहीं मानी और अपने संघर्ष को जारी रखा। वह समाज के विभिन्न वर्गों में जाकर लोगों को नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराते रहे। साथ ही जेलों में जाकर बंदी रक्षकों से लेकर बंदियों तक को नशा न करने के लिए प्रेरित करते रहे। 22 जुलाई 2023 को उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर जेलों में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही कैदियों को बीड़ी पिलाने की व्यवस्था खत्म करने की मांग की।

पीएमओ ने इस संबंध में उनको पत्र लिखकर बताया कि देश के कई राज्यों ने तो जेलों में बीड़ी के प्रयोग को बंद करा दिया है, लेकिन कुछ राज्यों में अभी भी बीड़ी पिलाई जा रही है, जिनमें उत्तराखंड भी शामिल है। हालांकि, सभी राज्यों से इसे बंद करने का अनुरोध किया गया है।

इस पर कर्नल शर्मा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा और इस मामले में कार्रवाई की मांग की। कर्नल शर्मा ने बताया कि अब कारागार विभाग की ओर से प्रदेश की जेलों में बीड़ी का प्रयोग बंद करने को मौखिक निर्देश जारी किए गए हैं। रुड़की उप कारागार में तो बीड़ी का प्रयोग बंद भी कर दिया गया है। बताया कि अब वह सूचना के अधिकार के तहत केंद्र सरकार से जानकारी मांगेंगे कि कितने राज्यों की जेलों में बीड़ी का इस्तेमाल बंद हो चुका है।

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शुरू में कुछ बंदियों ने किया विरोध

रुड़की उप कारागार में बीते 21 अक्टूबर को बीड़ी का इस्तेमाल बंद होने पर कुछ बंदियों ने इसका विरोध किया। इस पर उन्हें समझाया गया कि स्वास्थ्य के लिए बीड़ी नहीं, भोजन जरूरी है। उप कारागार अधीक्षक जेपी द्विवेदी ने बताया कि समझाने के बाद सभी कैदी मान गए और अब जेल में बीड़ी का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होता।

अंग्रेजों ने की थी यह व्यवस्था

कारागार अधिनियम-1896 के तहत जेलों में बंदियों को बीड़ी उपलब्ध कराई जाती थी। लेकिन, सिर्फ उन्हें, जो इसकी मांग करते थे। रुड़की उप कारागार के अधीक्षक जेपी द्विवेदी ने बताया कि पहले से ही यह व्यवस्था चली आ रही थी, लेकिन बीते 21 अक्टूबर से रुड़की उप कारागार में बीड़ी का प्रयोग बंद करा दिया गया है। बताया कि जेल मैनुअल के अनुसार जेल के अंदर एक स्थान पर सुतली का एक मोटा रस्सा लटकाकर उसे सुलगा दिया जाता था। इसी से कैदी अपनी बीड़ी सुलगाते थे।

नशा विरोधी मुहिम पर खर्च करते हैं पेंशन का 10 प्रतिशत

कर्नल शर्मा को जब भी कोई धूम्रपान करते या तंबाकू का सेवन करते हुए मिलता है, वह उसे एक पर्चा थमा देते हैं, जिस पर नशे के दुष्परिणाम लिखे होते हैं। स्कूल, कालेज व विश्वविद्यालयों में जाकर वह छात्र व शिक्षकों को नशा न करने के लिए प्रेरित करते हैं। साथ ही अपनी पेंशन का 10 प्रतिशत हिस्सा नशा विरोधी मुहिम को संचालित करने पर खर्च करते हैं। देश में हिंदू-मुस्लिम एकता बनाए रखने की दिशा में भी कर्नल शर्मा लगातार कार्य कर रहे हैं।

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