coronavirus से जंग में ढाल बनेगा कोरोना ओवन, वायरस को सतह से इंसान तक नहीं पहुंचने देगा
कोरोना महामारी से निपटने को संस्थान की ओर से डाइग्नोसिस उपचार और सुरक्षा संबंधी उपकरण तैयार किए जा रहे हैं। इनमें अब कोरोना ओवन का नाम भी जुड़ गया है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 11 Apr 2020 09:54 PM (IST)
रुड़की, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के स्टार्ट-अप और उद्यमी नई तकनीक और चिकित्सा उपकरणों का विकास कर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अपना सहयोग दे रहे हैं। महामारी से निपटने को संस्थान की ओर से डाइग्नोसिस, उपचार और सुरक्षा संबंधी उपकरण तैयार किए जा रहे हैं। इनमें अब कोरोना ओवन का नाम भी जुड़ गया है।
आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित के. चतुर्वेदी ने बताया कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए आइआइटी रुड़की ने पोर्टेबल वेंटिलेटर, फेस शील्ड, ट्रैकिंग मोबाइल एप्लीकेशन और सैनिटाइजर बनाने के बाद अब कोरोना ओवन विकसित किया है। इसकी क्षमता 20 लीटर की है। यह स्वास्थ्य संस्थानों और घरों में नियमित उपयोग के उत्पादों या वस्तुओं के साथ ही पैक फूड की सतह को प्रभावी ढंग से साफ करने के लिए विशेष डिजाइन मापदंडों के साथ ही यूवी-सी प्रकाश का उपयोग करता है। यह वायरस (कोविड-19 वायरस पैदा करने वाले) का सतह से मानव में संचरण रोकेगा। आइआइटी के टेक्नोलॉजी इनोवेशन एंड डेवलपमेंट ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप सपोर्ट (टीआइडीईएस) के सीईओ आजम अली खान ने बताया कि टीआइडीईएस इन्क्यूबेटेड निर्देशित लॉग-9 मैटेरियल्स कंपनी ने लॉकडाउन से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करते हुए महज दो सप्ताह में इस तकनीक को विकसित किया। अब यह वितरण के लिए तैयार है। कहा कि टीआइडीईएस बिजनेस इन्क्यूबेटर उद्यमिता और नवाचार को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अब डाइग्नोसिस, उपचार और सुरक्षा संबंधी उपकरणों के डिजाइन के साथ हम चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।
इन पर भी हो रहा कामसंस्थान के एक पूर्व छात्र अमित पाठक स्मार्ट हेलमेट स्टार्टअप शेलियोस एक पावर्ड एयर प्यूरीफाइंग रेस्पिरेटर (पीएपीआर) विकसित कर रहे हैं। इसका उपयोग स्वास्थ्य कर्मी और चिकित्सक अस्पताल परिसर में संक्रमण की आशंका दूर करने के लिए कर सकेंगे। वे एक कम लागत वाली श्वसन सहायता प्रणाली के मॉडल पर भी काम कर रहे हैं। आइआइटी रुड़की के एक समूह के नेतृत्व में क्लीनटेक स्टार्टअप व्यान एक बेहद कम लागत वाला और दोबारा प्रयोग में आने वाला मास्क विकसित कर रहा है।
यह भी पढ़ें: कोरोना संदिग्धों को ट्रैक करेगा आइआइटी का एप, पढ़िए पूरी खबरबड़े पैमाने पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है। इसके अलावा पूर्व छात्र शुभम राठौर की ओर से स्थापित टेस्ट राइट सॉल्यूशन एक रियल टाइम पीसीआर और वायरस डिटेक्शन किट विकसित की जा रही है। स्वदेशी रूप से विकसित इस प्रणाली की लागत सामान्य लागत के एक चौथाई रहने की उम्मीद है।
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