ब्रेन ट्यूमर की श्रेणी का पता लगाएगा डिसीजन सपोर्ट सिस्टम
आइआइटी रुड़की के शोधार्थियों का दावा है कि डिसीजन सपोर्ट सिस्टम का उपयोग करके ब्रेन ट्यूमर की श्रेणी कापता लगाया जा सकेगा।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 11 Jun 2020 06:53 PM (IST)
रुड़की, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के शोधार्थियों ने एक खास किस्म का डिसीजन सपोर्ट सिस्टम बनाया है। शोधार्थियों का दावा है कि इसका उपयोग करके एमआरआइ इमेज के माध्यम से 97.54 फीसद सटीकता के साथ निम्न या उच्च श्रेणी के ग्लियोमा (ब्रेन ट्यूमर) का पता लगाया जा सकेगा।
आइआइटी रुड़की के कंप्यूटर साइंस विभाग के प्रो. बालासुब्रमण्यन रमन के नेतृत्व में शोधार्थी राहुल कुमार, अंकुर गुप्ता और हरकीरत सिंह अरोड़ा की टीम ने डिसीजन सपोर्ट सिस्टम तैयार किया है। टीम में जापान के एक प्रोफेसर भी शामिल हैं। शोधार्थी राहुल कुमार ने बताया कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का यदि शुरुआत में ही पता चल जाए तो उसका इलाज संभव होता है, लेकिन यदि अंतिम स्टेज में पता लगता है तो मरीज की जान का जोखिम बन जाता है। उन्होंने बताया कि ब्रेन कैंसर में ब्रेन के अंदर की कोशिकाओं में सूजन बढ़ती है। एमआरआइ स्कैन में उपलब्ध अधिकांश डेटा को नग्न आंखों से पहचानने में कठिनाई होती है। जैसे-ट्यूमर के आकार, बनावट या छवि की तीव्रता से संबंधित विवरण। लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) एल्गोरिदम इस डेटा को निकालने में मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे में उन्होंने कंप्यूटर साइस विभाग की मशीन विजन लैब का नेतृत्व करने वाले प्रो. बालासुब्रमण्यन रमन के मार्गदर्शन में डिसीजन सपोर्ट सिस्टम तैयार किया है। इस सिस्टम में ग्लियोमा (ब्रेन ट्यूमर) के मरीज की एमआरआइ का उपयोग करके यह पता लगाया जा सकता है कि वह कम गंभीर मरीज की श्रेणी में आता है या अधिक गंभीर मरीज की श्रेणी में आता है।
शोधार्थी राहुल के अनुसार इसका यह फायदा होगा कि मरीज को उसी के अनुसार समय पर इलाज उपलब्ध कराया जा सकेगा। उन्होंने इस शोध के लिए ब्रेन ट्यूमर सेगमेंटेशन चैंलेंज 2018 डेटा से एमआरआइ इमेज प्राप्त की हैं। इसमें 210 ग्लियोमा के अधिक गंभीर मरीजों और 75 कम गंभीर मरीजों के एमआरआइ के इमेज हैं।पीएचडी प्रोग्राम के लिए आइआइटी ने शुरू की आवेदन प्रक्रिया
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की ने प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ) के तहत पीएचडी प्रोग्राम के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें सीधे प्रवेश प्रणाली से 20 ऐकडेमिक डिपार्टमेंट्स, एक ऐकडेमिक सेंटर और दो सेंटर ऑफ एक्सलन्स के लिए आवेदन किया जा सकता है।
चयनित उम्मीदवारों को आइआइटी रुड़की में पीएचडी करने के लिए प्रतिवर्ष दो लाख रुपये (पांच वर्षों के लिए कुल 10 लाख रुपये) के शोध अनुदान के साथ-साथ प्रतिमाह 70,000-80,000 रुपये की फेलोशिप प्रदान की जाएगी। आवेदन प्रक्रिया के लिए कोई शुल्क नहीं है। आवेदन प्रक्रिया 14 जून को शाम पांच बजे समाप्त होगीसंस्थान के मीडिया सेल ने बताया कि उम्मीदवार इस लिंकhttps://may2020.pmrf.in/index.php/guidelines/eligibility-and-application-procedure
पर क्लिक करके योग्यता मानदंड की जांच कर सकते हैं। योग्य उम्मीदवारों को संबंधित शैक्षणिक प्रमाण पत्र और उद्देश्य का विवरण (एसओपी) के साथ pmrfadmission@iitr.ac.in पर ईमेल करना होगा। अधिक जानकारी के लिए उम्मीदवारhttps://www.iitr.ac.in/admissions/pages/Phd.html, https://may2020.pmrf.in पर जा सकते हैं।साइटेशन पर फैकल्टी मानकों में आइआइटी का पहला स्थान
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की ने क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021 में साइटेशन पर फैकल्टी मानदंड पर आइआइटी संस्थानों के बीच पहला स्थान प्राप्त किया है। साथ ही साइटेशन पर फैकल्टी के मानदंड पर सर्वोच्च अंक 92.7 के चलते दुनिया भर के शीर्ष 20 विश्वविद्यालयों की सूची में भी आइआइटी रुड़की ने अपना स्थान बनाया है। बुधवार को क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021 प्रकाशित की गई। इसमें आइआइटी रुड़की ने आइआइटी के बीच इंटरनेशनल स्टूडेंट रेशियो मानदंड में पहला स्थान हासिल किया है। क्यूएस रैंकिंग में आइआइटी रुड़की को संस्थान के लिए सबसे मजबूत संकेतक के रूप शोध गहनता में सर्वोच्च केंद्रित ऐतिहासिक पब्लिक इंस्टीट्यूशन के तौर पर वर्गीकृत किया गया है।
यह भी पढ़ें: युवती के पेट से निकाला पांच किलो का ट्यूमर, लंबे समय से थी परेशानवहीं संस्थान ने पिछले वर्ष की तरह अपनी राष्ट्रीय और वैश्विक रैंक को बरकरार रखा है। संस्थान आइआइटी की रैंकिंग में 6वें और वैश्विक स्तर पर 383वें स्थान पर बरकरार है। आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि साइटेशन पर फैकल्टी मानदंड पर आइआइटी संस्थानों के बीच पहला स्थान हासिल करने पर खुशी है। यह समर्पण और संस्थान के फैकल्टी सदस्यों व छात्रों के शोध को सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने का परिणाम है।
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