Roorkee News: भारत को आत्मनिर्भर बनाने को लिथियम बैटरी के विकल्प पर दिया जोर, 2030 तक 400 गीगावाट आरई के उपयोग का लक्ष्य
आइआइटी रुड़की के भौतिकी विभाग एवं सतत ऊर्जा केंद्र द्वारा आयोजित चार दिवसीय ऊर्जा भंडारण उपकरण-2023 और उद्योग-अकादमिक कान्क्लेव पर दूसरी अंतरराष्ट्रीय बैठक का गुरुवार को शुभारंभ हुआ। नीति आयोग के सदस्य डा. वीके सारस्वत ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में आयोजित ऊर्जा भंडारण उपकरण-2023 और उद्योग-अकादमिक कान्क्लेव में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लिथियम बैटरी के विकल्प पर जोर दिया।
By Rena Edited By: riya.pandeyUpdated: Fri, 08 Dec 2023 09:30 AM (IST)
जागरण संवाददाता, रुड़की। नीति आयोग के सदस्य डा. वीके सारस्वत ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में आयोजित ऊर्जा भंडारण उपकरण-2023 और उद्योग-अकादमिक कान्क्लेव में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लिथियम बैटरी के विकल्प पर जोर दिया। वहीं, उन्होंने अनुसंधान एवं विकास, विज्ञानियों, उद्योगों और नीति निर्माताओं की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
साथ ही बताया कि कैसे भारत कार्बन उत्सर्जन को कम करने और एक टिकाऊ समाज के निर्माण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन व उसके भंडारण के रोडमैप पर आगे बढ़ रहा है।
आइआइटी रुड़की के भौतिकी विभाग एवं सतत ऊर्जा केंद्र द्वारा आयोजित चार दिवसीय ऊर्जा भंडारण उपकरण-2023 और उद्योग-अकादमिक कान्क्लेव पर दूसरी अंतरराष्ट्रीय बैठक का गुरुवार को शुभारंभ हुआ। संस्थान के मल्टी एक्टिविटी सेंटर में आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके सारस्वत ने किया।
इन विषयों पर हुई चर्चा
इस मौके पर पद्म भूषण डा. वीके सारस्वत ने ई-मोबिलिटी और स्थिर ऊर्जा भंडारण के लिए ली-आयन बैटरी, ली-आयन बैटरी, सुपरकैपेसिटर और ईंधन कोशिकाओं के अलावा विभिन्न प्रकार के ऊर्जा भंडारण उपकरणों की प्रासंगिकता पर चर्चा की।
सोडियम-आयन बैटरी प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन को देखते हुए उन्होंने कहा कि आइआइटी रुड़की स्थित स्टार्टअप इंडी एनर्जी सामग्री से लेकर उपकरण निर्माण तक अच्छा काम कर रहा है। जो स्वदेशी आपूर्ति श्रृंखला के कारण अन्य प्रौद्योगिकियों पर उनकी बढ़त को दर्शाता है। कहा कि इस सोडियम-आयन बैटरी तकनीक को सामूहिक रूप से बढ़ाना होगा।
2030 तक 400 गीगावाट का अनिवार्य लक्ष्य
आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने कहा कि 2030 तक 400 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) के उपयोग का अनिवार्य लक्ष्य है। उन्होंने जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करते हुए परिवहन को विद्युतीकृत करने और नवीकरणीय ऊर्जा को तैनात करने की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।एमआरएस-सिंगापुर के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक और एमेरिटस अध्यक्ष एवं आइयूएमआरएस के निदेशक प्रो. बीवीआर चौधरी ने भी विचार रखे। इस मौके पर टेक्सास विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरुमुगम मंथिरम, प्रो. सतीश चंद्र ओगले, प्रो. राम बी गुप्ता, प्रो. डोमिनिक गयोमार्ड, प्रो. सौमित्र सतपथी आदि उपस्थित रहे।
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