हरिद्वार में सरकार का बड़ा कदम, 146 स्कूलों में बालिकाओं को मिलेगा मुफ्त आत्मरक्षा प्रशिक्षण
हरिद्वार के 146 विद्यालयों में रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत छात्राओं को तीन महीने तक ताइक्वांडो जूडो कराटे बॉक्सिंग किक बॉक्सिंग कुंग फू आदि आत्मरक्षा तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य छात्राओं को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाना है ताकि वे किसी भी आपात स्थिति में अपनी सुरक्षा कर सकें।
जागरण संवाददाता, रुड़की। रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत हरिद्वार जिले के 146 विद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को तीन माह तक ताइक्वांडो, जूडो, कराटे, बॉक्सिंग, किक बॉक्सिंग, कुंग फू आदि आत्मरक्षा तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य छात्राओं को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाना है, ताकि वे किसी भी आपात स्थिति में अपनी सुरक्षा कर सकें। यह कार्यक्रम शिक्षा विभाग की ओर से बालिकाओं के आत्मरक्षा कौशल को बढ़ाने के लिए चलाया जा रहा है।
इस प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षकों की तैनाती की जाएगी, जिनको शिक्षा विभाग प्रतिमाह पांच हजार रुपये का मानदेय प्रदान करेगा। प्रशिक्षकों को कुल तीन माह के प्रशिक्षण अवधि के दौरान 15,000 रुपये की राशि दी जाएगी। इस दौरान विद्यालयों में कार्यदिवस के एक घंटे के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण विद्यार्थियों को शारीरिक रूप से भी मजबूत बनाएगा और उन्हें अपने आत्म-सुरक्षा के प्रति जागरूक करेगा।
जिले के 146 विद्यालयों का चयन किया गया
मुख्य शिक्षा अधिकारी केके गुप्ता ने बताया कि इस अभियान के तहत जिले के 146 विद्यालयों का चयन किया गया है। उन्होंने बताया कि सभी प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापक को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने स्तर पर प्रशिक्षक की व्यवस्था करें। इसके अलावा विद्यालयों को प्रशिक्षण सामग्री जैसे पंचिंग बैग, बॉक्सिंग ग्लव्स, हैंड ग्रीपर, स्किपिंग रोप और स्पोर्ट्स टी-शर्ट की खरीदारी भी करनी होगी। यह सामग्री प्रशिक्षण के दौरान छात्राओं की क्षमता को और बेहतर बनाने में मदद करेगी।इसे भी पढ़ें- Train Cancelation: जनसेवा एक्सप्रेस समेत 18 ट्रेन अलग-अलग तिथियों पर रहेंगी निरस्त, यहां जानिए पूरी डीटेल
इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षित छात्राओं को विभिन्न खेलों और आत्मरक्षा तकनीकों की अच्छी जानकारी दी जाएगी, जिससे वे भविष्य में अपने रक्षा के लिए सक्षम हो सकेंगी। इसके अलावा इस अभियान की निगरानी जिला और खंड स्तर पर की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रशिक्षण सही ढंग से और पूरी मेहनत से दिया जाए।यह कार्यक्रम सरकारी प्रयासों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाना है और उन्हें समाज में अपने अधिकारों की रक्षा करने का विश्वास दिलाना है। साथ ही, यह कार्यक्रम विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा के महत्व को भी बढ़ावा देगा और छात्राओं को खेलकूद की दुनिया से जोड़ने का एक प्रभावी माध्यम बनेगा।
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