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गाजियाबाद के डासना मंदिर के अध्यक्ष यति नरसिंहानंद श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर बने

गाजियाबाद के डासना मंदिर के अध्यक्ष यति नरसिंहानंद श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर बने। उन्हें महामंडलेश्वर बनने की समस्त विधि-विधान को पूरा करने के बाद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने महामंडलेश्वर घोषित किया।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 20 Oct 2021 12:12 PM (IST)
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गाजियाबाद के डासना मंदिर के अध्यक्ष यति नरसिंहानंद श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर बने
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। डासना मंदिर समिति गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश के अध्यक्ष यति नरङ्क्षसहानंद बुधवार को श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर बने। साथ ही उन्हें देवी मंदिर डासना गाजियाबाद का पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर घोषित किया गया। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने महामंडलेश्वर बनने के निमित समस्त विधान पूरा करने के बाद उन्हें अखाड़े का महामंडलेश्वर घोषित किया। साथ ही उन्हें अब स्वामी नरसिंहानंद गिरि नाम दिया गया। इससे पहले जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री महंत हरिगिरि महाराज ने यति नरसिंहानंद को अपना शिष्य बनाकर संन्यास दीक्षा दी। इस मौके पर यति नरसिंहानंद ने अपने केश दान कर दिए।

हरिगिरि महाराज ने अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता स्वामी नारायण गिरि महाराज की पहल पर यति नरसिंहानंद सरस्वती को अपना शिष्य बनाकर उनका महामंडलेश्वर पद पर अभिषेक किया। यति नरसिंहानंद सरस्वती वैश्विक परिदृश्य में इस्लामिक जिहाद के विरुद्ध वैचारिक संघर्ष का सबसे बड़ा चेहरा माने जाते हैं।

इससे पहले मंगलवार को यति नरसिंहनंद सरस्वती को अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और यति नरसिंहानंद के चोटी गुरु श्रीमहंत हरिगिरि, भगवा गुरु श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज, सभापति जूना अखाड़ा उमा शंकर भारती, विभूति गुरु श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज, रुद्राक्ष गुरु श्रीमहंत केदार पुरी, लंगोटी गुरु आदि ने विधिवत संन्यास दीक्षा देकर यति नरसिंहनंद सरस्वती को पंचदशनाम में शामिल करके उन्हें स्वामी नरसिंहानंद गिरि का नया नाम दिया। बुधवार सुबह साढ़े छह बजे ब्रह्ममुहूर्त में जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने हरिहर आश्रम में समस्त विधान पूर्ण करवाकर महामंडलेश्वर पद पर उनका अभिषेक किया।

इस मौके पर जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि धर्म की रक्षा व प्रचार को स्वामी नरङ्क्षसहानंद को धर्म के विकास की दिशा में बेहतर काम करना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में तमाम धर्म विरोधी सनातन संस्कृति को नष्ट करने के लिए तरह-तरह के प्रयत्न कर रहे हैं। ऐसे में स्वामी नरसिंहानंद जैसे महापुरुषों का दायित्व बढ़ जाता है। श्रीमहंत हरिगिरि ने कहा कि महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद ने अब तक सनातन संस्कृति की रक्षा और धर्म के विकास में अपेक्षित कार्य किया है। उनके इस कार्य के कारण धर्म विरोधी उनके दुश्मन हो गए थे।

जूना अखाड़ा ने सनातन संस्कृति की रक्षा और धर्म के प्रचार को महामंडलेश्वर बना उन्हें डासना मंदिर का पीठाधीश्वर घोषित किया है। महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद ने कहा कि अखाड़े ने महामंडलेश्वर बनाकर सनातन संस्कृति की रक्षा और धर्म के विकास की जो जिम्मेदारी सौंपी है, वह उस पर खरा उतरेंगे। कहा कि धर्म की रक्षा करना उनका परम कर्तव्य है और उन्होंने अपना पूरा जीवन धर्म को समर्पित कर दिया है।

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