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छात्रों को डिग्री का लालच देकर भी डकारी गई छात्रवृत्ति, पढ़िए पूरी खबर

हरिद्वार व देहरादून में शिक्षण संस्थान ने कोचिंग सेंटर खोलकर छात्रों को डिग्री दिलाने का झांसा दिया। फिर उनके शैक्षणिक दस्तावेजों को छात्रवृत्ति डकारने में इस्तेमाल किया।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 23 Oct 2019 02:03 PM (IST)
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छात्रों को डिग्री का लालच देकर भी डकारी गई छात्रवृत्ति, पढ़िए पूरी खबर
हरिद्वार, मेहताब आलम। छात्रवृत्ति के नाम पर सरकारी खजाने की लूट में गैर राज्यों के शिक्षण संस्थान उत्तराखंड वालों से एक कदम आगे निकले। उन्होंने हरिद्वार व देहरादून में अपने कोचिंग सेंटर खोलकर छात्रों को डिग्री दिलाने का झांसा दिया। फिर उनके शैक्षणिक दस्तावेजों को छात्रवृत्ति डकारने में इस्तेमाल किया। एसआइटी की पड़ताल में ऐसे तमाम कोचिंग सेंटरों की पोल खुलकर सामने आ रही है।

छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआइटी ने अब कार्रवाई के तरीके में थोड़ा फेरबदल कर दिया है। अभी तक एसआइटी ने सिडकुल थाने में एक मुकदमा दर्ज कराते हुए 14 कॉलेजों के संचालकों को गिरफ्तार किया। अब संस्थानों के नाम से अलग-अलग थाने कोतवालियों में मुकदमे दर्ज कराए जा रहे हैं। हाल ही में एसआइटी ने हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश के पांच शिक्षण संस्थानों के खिलाफ अलग-अलग मुकदमे दर्ज कराए हैं। एसआइटी की पड़ताल में छात्रवृत्ति हड़पने के अलग-अलग तौर तरीकों का खुलासा हुआ है। स्थानीय संस्थानों ने लगभग एक ही पैटर्न पर फर्जी छात्रों का दाखिला दिखाकर उनके नाम से बैंक एकाउंट खुलवाए और खुद उन खातों का संचालन करते हुए करोड़ों रुपये हड़प लिए। संस्थानों ने बाद में छात्रों के दस्तावेजों का एक दूसरे से आदान-प्रदान भी किया।

इसमें छात्रों को किसी तरह का लालच नहीं दिया गया, लेकिन गैर राज्यों के शिक्षण संस्थानों ने उत्तराखंड की छात्रवृत्ति हड़पने के लिए अलग ही तरीका निकाला। उन्होंने हरिद्वार व देहरादून में अपने कोचिंग सेंटर खोले। फिर छात्रों को झांसा दिया कि घर बैठे बीटेक-एमटेक आदि की डिग्री मिल जाएगी।

छात्रों ने खुशी-खुशी अपने तमाम दस्तावेज कोचिंग सेंटर संचालकों को सौंप दिए। इन दस्तावेजों के आधार पर समाज कल्याण विभाग से मिलीभगत कर सरकारी धन की बंदरबांट की गई। एसआइटी ने इसलिए संस्थानों के साथ-साथ कोचिंग सेंटर चलाने वाली स्थानीय संस्थाओं को भी मुकदमे में नामजद किया है। एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि ऐसे अन्य संस्थानों की जानकारी भी जुटाई जा रही है, जिन्होंने कोचिंग सेंटरों की मार्फत छात्रवृत्ति का गबन किया है। स्थानीय स्तर पर उनके साथ जो लोग भी शामिल रहे हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

दोनों हाथों से लुटाया सरकारी खजाना

समाज कल्याण विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने कॉलेज संचालकों से साठ-गांठ कर दोनों हाथों से सरकारी खजाना लुटाया। एसआइटी की जांच में सामने आया है कि वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के बीच त्रिवेणी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एजुकेशन मेरठ बागपत को एक करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी गई।

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मिलेनियम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सहारनपुर को 6.69 करोड, अभिनव सेवा संस्थान महाविद्यालय राजीवपुरम कानपुर उप्र को 5.48 करोड़, कृष्णा प्राइवेट आइटीआइ विलेज कमालपुर छुटमलपुर मुजफ्फराबाद सहारनपुर को 5.42 करोड़, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जगजीतपुर कनखल को 50 लाख और सिंघानिया यूनिवर्सिटी पिलानी झुझनू राजस्थान और बहादराबाद स्थित हेमलता इंस्टीट्यूट निकट क्रिस्टल वर्ल्‍ड को 50 लाख रुपये छात्रवृत्ति के नाम पर दिए गए हैं, जबकि लक्सर के कृष्णा इंस्टीटयूट आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी को करीब 47 लाख रुपये की छात्रवृत्ति दी गई।

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