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Haridwar Kumbh 2021: बैरागी अखाड़े के संतों ने दी कुंभ के बहिष्कार की चेतावनी, चरण पादुका हटाने के नोटिस पर भड़के

Haridwar Kumbh 2021 अखाड़ा परिषद से संबद्ध तीन बैरागी अखाड़ों और उनकी 18 अणियों ने कुंभ के गंगा स्नान के बहिष्कार की चेतवनी दी है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 30 Aug 2020 10:37 PM (IST)
Haridwar Kumbh 2021: बैरागी अखाड़े के संतों ने दी कुंभ के बहिष्कार की चेतावनी, चरण पादुका हटाने के नोटिस पर भड़के
हरिद्वार, जेएनएन। Haridwar Kumbh 2021 अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन के नोटिस से बैरागी अखाड़े से जुड़े संतों का पारा चढ़ गया है। संतों ने चेतावनी दी कि यदि नोटिस वापस न लिया गया तो वे हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ का बहिष्कार करेंगे। संतों ने कहा कि वे लंबे समय से बैरागी कैंप से अतिक्रमण हटाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने उस स्थान को भी अवैध कब्जा मान लिया, जहां उनके गुरु की चरण पादुका है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने भी उनका समर्थन किया। उन्होंने सरकार से बैरागी अखाड़े की मांग पर ध्यान देने की मांग की है। बैरागी अखाड़ों में निर्मोही, निर्वाणी और दिगंबर अखाड़ा शामिल हैं। महाकुंभ के दौरान इन अखाड़ों कैंप के लिए सिंचाई विभाग की भूमि आवंटित की जाती है। इस स्थान को बैरागी कैंप के नाम से जाना जाता है। इसी भूमि पर उनके गुरु का स्थान है, जिसे चरण पादुका कहा जाता है। हाईकोर्ट के आदेश पर बैरागी कैंप से अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस दिए गए हैं। इसी क्रम में चरण  पादुका हटाने को भी नोटिस दे दिया गया।

रविवार को निर्मोही, निर्वाणी और दिगंबर अखाड़े के प्रतिनिधियों ने रूप से मीडिया से बात कर अपनी नाराजगी जताई। निर्मोही अखाड़े के श्रीमहंत राजेंद्र दास ने कहा कि सदा से बैरागी कैंप, बैरागी अखाड़ों के लिए आरक्षित रहा है। इस जमीन पर भूमाफिया का कब्जा है। प्रशासन इसे हटाने के बजाए चरण पादुका को अतिक्रमण के नाम पर हटाने का नोटिस भेज रहा है। निर्वाणी अखाड़े से जुड़े महंत धर्मदास ने आरोप लगाया कि प्रशासन जानबूझकर ऐसा कर रहा है। उन्होंने कहा कि अदालत ने उन्हें पार्टी नहीं बनाया है, क्योंकि सरकार की रिपोर्ट और उनकी ओर से दिए दस्तावेजों के आधार पर ही कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया 

उन्होंन ने मांग की कि सरकार बैरागी कैंप से अतिक्रमण हटाने के साथ ही सभी बैरागी अखाड़ों को लीज पर भूमि आवंटित करे और उन्हें अपना भवन बनाने के लिए एक-एक करोड़ रुपये की सहायता भी दी जाए। कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोषणा की थी कि जिन अखाड़ों के पास अपने भवन हैं, उन्हें मरम्मत जैसे कार्यों के लिए एक-एक करोड़ रुपये दिए इसका लाभ बैरागी अखाड़ों को भी दिया जाना चाहिए। 

संतों ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री महंत हरि गिरी पर भी आरोप जड़े। कहा कि महामंत्री अपने स्वार्थ के लिए राजनीति कर रहे हैं। आरोप लगाया कि उन्हें दूसरे अखाड़ों के हितों से कोई लेना देना नहीं है। दूसरी ओर हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर ने बताया ने हाईकोर्ट के आदेश पर वर्ष 2009 के बाद सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से बने धार्मिक स्थलों को हटाया जाना है। नोटिस सिंचाई विभाग ने जारी किया है। प्रशासन कार्रवाई में सहयोग कर रहा है। 

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उनका ये भी कहना है कि सरकार को इसके लिए बीच का रास्ता निकालना चाहिए था न कि जेसीबी और डंडा चलाने का नोटिस देना चाहिए था। फोन पर हुई बातचीत में नरेंद्र गिरी ने ये भी कहा कि अखाड़ा परिषद पूरी तरह से बैरागी अखाड़ों के समर्थन में हैं और इस मामले में अपना विरोध दर्ज करती है। बैरागी अखाड़े के महंत राजेंद्र दास ने कहा कि एक तरफ सरकार सहयोग की बात करती है और दूसरी तरफ नोटिस देती है। यह दो तरह की बातें नहीं चलेंगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला, तो बैरागी अखाड़ों समेत कोई भी अखाड़ा कुंभ स्नान में शामिल नहीं होगा, उसका बहिष्कार करेगा।

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