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संत की कलम से: धर्म, संस्कृति और आध्यात्मक का संगम है कुंभ मेला- श्रीमहंत देवानंद सरस्वती महाराज

Haridwar Kumbh 2021 कुंभ मेला धर्म संस्कृति और आध्यात्म का संगम है जिसमें एक ही स्थान पर सारे विश्व से बिना किसी आमंत्रण के सनातन हिंदू धर्मावलंबी मोक्ष की कामना कर गंगा स्नान करने आता है। यह एक ईश्वरीय निमंत्रण है।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Fri, 05 Feb 2021 12:01 PM (IST)
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श्रीमहंत देवानंद सरस्वती महाराज, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के पूर्व राष्ट्रीय सचिव।
Haridwar Kumbh 2021 कुंभ मेला धर्म, संस्कृति और आध्यात्म का संगम है, जिसमें एक ही स्थान पर सारे विश्व से बिना किसी आमंत्रण के सनातन हिंदू धर्मावलंबी मोक्ष की कामना कर गंगा स्नान करने आता है। प्रयागराज के संगम, उज्जैन की शिप्रा, नासिक के त्रयंबकेश्वर और हरिद्वार की गंगा में एक ऐसी शक्ति समाहित है, जो युगों-युगों से हिंदुओं को आध्यात्म से जोड़ने के लिए सेतु का कार्य करते हैं।

कुंभ मेला एक ईश्वरीय निमंत्रण है। इसमें श्रद्धालु भक्तजन शामिल होकर स्वयं को भाग्यशाली समझता है। कुंभ मेले में संन्यासी, बैरागी अखाड़ों के नागा संन्यासियों, महामंडलेश्वरों, संतजनों की पेशवाई, शाही स्नान इस आयोजन को भव्यता प्रदान करते हैं। नागा संन्यासियों की दीक्षा, महंतों, महामंडलेश्वरों का पट्टाभिषेक कुंभ पर्व को संयास परंपरा को आगे बढ़ाने का अवसर बनता है। प्रत्येक महाकुंभ में जूना अखाड़े के नागा सन्यासी अपना अलग स्थान रखते हैं।

वर्षों की तपस्या के बाद नागा सन्यासी कुंभ मेले के दौरान बाहर निकलते हैं और लाखों, करोड़ों श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वाद देकर विश्व कल्याण की कामना करते हैं। नागा संन्यासियों की अलौकिक क्षमता और तेज देखकर देश ही नहीं विदेशी भी आश्चर्यचकित रह जाते हैं। इस प्रकार कुंभ मेला सनातन हिंदू धर्म का महान, विशाल पर्व है, जो सनातन हिंदू धर्म की आस्था, मन्यताओं का प्रतिविंब है। कोविड संक्रमण के बीच हो रहा कुंभ मेला संत महंतों के आशीर्वाद से दिव्य और भव्य ही नहीं, बल्कि अपने पारंपरिक स्वरूप में होगा।

[श्रीमहंत देवानंद सरस्वती महाराज, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के पूर्व राष्ट्रीय सचिव व शंकराचार्य स्मारक समिति के महामंत्री] 

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