संत की कलम से: कुंभ स्नान से जन्म जन्मांतर के पापों का होता है शमन- हिमसुता ज्योत्सना
Haridwar Kumbh 2021 कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है जो सनातन धर्म का परचम पूरे विश्व में फहराता है। संपूर्ण विश्व से आने वाले श्रद्धालु भक्त कुंभ की अलौकिक छटा को देखकर सनातन धर्म भारतीय संस्कृति से प्रभावित होते हैं।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sun, 07 Feb 2021 10:52 AM (IST)
Haridwar Kumbh 2021 कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है, जो सनातन धर्म का परचम पूरे विश्व में फहराता है। संपूर्ण विश्व से आने वाले श्रद्धालु भक्त कुंभ की अलौकिक छटा को देखकर सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति से प्रभावित होते हैं। कुंभ मेले के दौरान अखाड़ों की पेशवाई, नागा सन्यासियों का शाही स्नान और बैरागी संतों के खालसे मुख्य आकर्षण का केंद्र होते हैं। शाही स्नान का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है, जो श्रद्धालु और भवक्त पतित पावनी मां गंगा में स्नान और धर्म अध्यात्म का अवसर प्राप्त कर लेता है उसका जीवन स्वयं सफल हो जाता है।
11 मार्च महाशिवरात्रि पर होने वाले पहले शाही स्नान को लेकर संत महात्माओं और श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है। कुंभ मेला दिव्य और भव्य ही नहीं बल्कि पारंपरिक स्वरूप में होगा। महाकुंभ के लिए विशेष योग 12 वर्षों की बजाए 11 वर्ष में पड़ रहा है। यही वजह है कि इस बार कुंभ 11 वर्ष में ही आयोजित हो रहा है। कुंभ स्नान से जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है।
सनातन संस्कृति और लोक आस्था का महापर्व कुंभ अलौकिक छटा और विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है। क्षीर सागर में शेषनाग की रस्सी से किए गए समुद्र मंथन के दौरान निकलीं अमृत की बूंदें धर्मनगरी हरिद्वार के अलावा प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं। इसलिए इन स्थानों पर कुंभ का आायोजन होता है।
[हिमसुता ज्योत्सना, भागवताचार्य, कथावावचक, जूना पीठ, हरिहर आश्रम, कनखल]
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