संत की कलम से: नगर भ्रमण से लेकर धर्म ध्वजा और पेशवाई की चल रही तैयारी- श्री महंत गिरिजा नंद सरस्वती
Haridwar Kumbh 2021 लोक आस्था के महापर्व कुंभ का पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि पर होगा। भगवान भोले शंकर की कृपा से कुंभ सकुशल संपन्न होगा। संत-महापुरुषों के साथ ही श्रद्धालु और भक्त भी कुंभ के आयोजन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sun, 10 Jan 2021 08:34 AM (IST)
Haridwar Kumbh 2021 लोक आस्था के महापर्व कुंभ का पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि पर होगा। भगवान भोले शंकर की कृपा से कुंभ सकुशल संपन्न होगा। संत-महापुरुषों के साथ ही श्रद्धालु और भक्त भी कुंभ के आयोजन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अखाड़ों की ओर से नगर भ्रमण से लेकर धर्म ध्वजा और पेशवाई की तैयारी चल रही है।
कोरोना साये के बीच भले कुंभ हो रहा है लेकिन मेला सनातन परंपराओं के अनुसार ही होने चाहिए। इस बार हरिद्वार कुंभ के लिए विशेष योग 12 वर्षों की बजाय 11 वर्ष में पड़ रहा है। कुंभ की अलौकिक विशेषताओं का वर्णन दो देवताओं की वाणी ने भी किया है। क्षीर सागर में समुद्र मंथन से निकले अमृत को कुछ देवताओं और असुरों में हुए संग्राम के दौरान धरती लोक पर जहां-जहां अमृत की बूंदे गिरी, वहां देवताओं के आदेश से कुंभ का आयोजन होता है। धर्मनगरी हरिद्वार के ब्रह्म कुंड पर संत महात्माओं के साथ ही लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे। सही मायनों में कुंभ धरती लोक के साथ-साथ देवलोक में भी आस्था का महापर्व है। कुंभ में गंगा स्नान से जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है। मनुष्य को यदि परमात्मा की प्राप्ति करनी है और अपने जीवन को भवसागर से पार लगाना है तो कुंभ मेले के दौरान पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर स्वयं को पुण्य का भागी बनाएं।
[श्री महंत गिरिजा नंद सरस्वती, श्री पंचायती आनंद अखाड़ा] यह भी पढ़ें- संत की कलम से: आस्था और विश्वास का सबसे बड़ा पर्व है कुंभ- महंत अमनदीप सिंह
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