Kumbh कोरोना जांच फर्जीवाड़े में ED के छापे, उत्तराखंड, दिल्ली, यूपी और हरियाणा के दर्जनभर स्थानों पर हुई कार्रवाई
Haridwar Kumbh Coronavirus Test Fraud प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हरिद्वार कुंभ मेले के दौरान हुए कोराना वायरस टेस्टिंग फर्जीवाड़े में आरोपित मैक्स कारपोरेट सर्विसेज और चार लैब संचालकों के कार्यालयों और आवासीय परिसरों में छापेमारी की। उत्तराखंड उत्तर प्रदेश दिल्ली और हरियाणा में दर्जनभर स्थानों पर यह कार्रवाई की गई।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sat, 07 Aug 2021 08:22 AM (IST)
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Coronavirus Test Fraud प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हरिद्वार कुंभ मेले के दौरान हुए कोराना टेस्टिंग फर्जीवाड़े में आरोपित मैक्स कारपोरेट सर्विसेज और चार लैब संचालकों के कार्यालयों और आवासीय परिसरों में छापेमारी की। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में दर्जनभर स्थानों पर शुक्रवार को यह कार्रवाई की गई। ईडी ने 30.90 लाख रुपये के साथ ही लैपटॉप, मोबाइल फोन, फर्जी बिल और संपत्ति संबंधी दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। कार्रवाई अभी जारी है। प्रवर्तन निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की।
ईडी ने हरिद्वार में दर्ज पुलिस रिपोर्ट के आधार पर शुक्रवार को यह कारवाई की। ईडी को फर्जी कोरोना टेस्टिंग की आड़ में बड़े पैमाने पर वित्तीय लेन-देन और सरकारी धन की बंदरबांट का अंदेशा है। इसी सिलसिले में हरिद्वार की नोवस पैथ लैब्स, डीएनए लैब्स के साथ ही मैक्स कारपोरेट सर्विसेज नोएडा (उप्र), डा. लाल चंदानी लैब्स प्रा. लिमिटेड दिल्ली और नलवा लेबोरेटरीज हिसार (हरियाणा) के निदेशकों व उनके सहयोगियों के कार्यालयों और आवासीय परिसर में छापेमारी की गई। देहरादून की भी कुछ लैब में भी छापेमारी की सूचना है, लेकिन अधिकारिक तौर पर किसी ने इसकी पुष्टि नहीं की।
जून में पकड़ में आया था घपला
कुंभ मेला अवधि में कोरोना जांच घपला जून की शुरुआत में सामने आया था। पंजाब के एक व्यक्ति के मोबाइल पर कोरोना जांच का संदेश आने के बाद यह मामला खुला था, जबकि वह उस दौरान हरिद्वार आए ही नहीं थे। आइसीएमआर के हस्तक्षेप के बाद राज्य सरकार छानबीन में जुटी को असलियत सामने आने लगी। शुरुआती जांच में एक लाख से ज्यादा कोरोना जांच फर्जी होने का पता चलने पर राज्य सरकार की नींद टूटी।
एक पते और मोबाइल नंबर पर कई जांच
आरोप है कि उन्होंने बिना टेस्टिंग के ही सरकारी पोर्टल पर बड़ी संख्या में जांच किए जाने के आंकड़े दर्शा दिए। एक ही मोबाइल नंबर, पते और आधार नंबर पर 50 से 100 लोगों की जांच होना दर्शाया। तमाम उन व्यक्तियों की जांच होना भी दिखा दिया, जो या तो कुंभ के दौरान या फिर कभी हरिद्वार आए ही नहीं थे। आरोपितों ने मार्च से अप्रैल तक करीब ढाई लाख टेस्ट करना दर्शाया। इसमें एक लाख से ज्यादा टेस्ट फर्जी पाए गए।
तीन करोड़ 40 लाख हासिल भी कर लिएआरोपितों ने कोरोना टेस्टिंग के भुगतान की एवज में अब तक सरकार से तीन करोड़ 40 लाख रुपये हासिल भी कर लिए। जांच में सामने आया कि कोरोना जांच के फर्जी आंकड़े दर्शाकर उन्होंने इसके बिल मेला स्वास्थ्य विभाग को दिए थे। उनके कुछ और बिल मेला स्वास्थ्य विभाग में जमा हैं, जिनका भुगतान यह मामला खुलने के बाद रोक दिया गया था।वर्तमान में दो जांचें चल रही
हरिद्वार के सीएमओ डा.एसके झा की तरफ से इस संबंध में मुकदमा दर्ज कराया गया। इसमें जांच का ठेका लेने वाली फर्म मैक्स कारपोरेट सर्विसेज नोएडा (उप्र) के साथ ही नलवा लैबोरेटरी हिसार (हरियाणा) और डा.लाल चंदानी लैब नई दिल्ली नामजद हैं। वैसे तो जांच के दायरे में कुंभ मेले के दौरान टेस्टिंग करने वाली सभी 22 लैब शामिल हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा मैक्स कारपोरेट सर्विसेज के अधीन काम करने वाली नलवा लैबोरेटरी और डा.लाल चंदानी लैब के स्तर पर ही किया जाना सामने आया है। मुकदमे की जांच एसआइटी कर रही है, जबकि एक अन्य जांच डीएम के स्तर से गठित सीडीओ की अध्यक्षता वाली कमेटी कर रही है।
कुंभ कोरोना टेस्टिंग र्जीवाड़े में एसआइटी ने मारे छापेकुंभ में कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े में आरोपितों पर गिरफ्तारी के लिए एसआइटी ने नैनीताल से लेकर नोएडा तक छापेमारी की। आरोपितों की मोबाइल लोकेशन का पीछा करते हुए एसआइटी इन जगहों पर पहुंची। छापेमारी होने पर आरोपितों के मोबाइल बंद हो गए हैं। एक टीम ने नोएडा में डेरा डाला हुआ है। महाकुंभ 2021 के दौरान श्रद्धालुओं के कोरोना जांच में हुए फर्जीवाड़े में मुकदमा दर्ज होने के साथ ही एसआइटी गठित है। एसआइटी जांच पूरी करने के बाद आरोपितों की धरपकड़ में छापे मार रही है। एक आरोपित आशीष वशिष्ठ की गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है। एसआइटी को दो आरोपितों की मोबाइल लोकेशन नैनीताल में मिली थी। टीम ने बृहस्पतिवार को नैैनीताल में छापा मारा।
टीम के पहुुंचने तक आरोपित नैनीताल से नोएडा पहुंच गए। उनके मोबाइल लोकेशन नोएडा मिलने पर एसआइटी ने शुक्रवार को नोएडा में संभावित ठिकानों पर दबिश दी। लेकिन आरोपितों का पता नहीं चल सका। बताया जा रहा कि आरोपितों को एसआइटी के छापे की भनक लग गई और अपने मोबाइल नंबर बंद कर दिए हैं। एसएसपी सेंथिल अवूदई कृष्णराज एस ने बताया कि एसआइटी आरोपितों की तलाश कर रही है। हाई कोर्ट ने लिया था संज्ञान
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए हाई कोर्ट ने कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की कोरोना जांच के निर्देश दिए थे। जिसके पास शुरुआत में कुंभ मेला क्षेत्र और हरिद्वार के शहरी क्षेत्रों में कैनोपी लगाकर जांच की गई। लाखों की संख्या में की जा रही जांच के दावे और उनमें बड़ी संख्या में निगेटिव आ रहे मामलों ने संदेह पैदा किया, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया।मार्च से अप्रैल तक हुई थी ढाई लाख जांच
मार्च से लेकर अप्रैल दो माह में ही करीब ढाई लाख कोरोना जांच कर दी गई। बाद में पंजाब के फरीदकोट निवासी विपिन मित्तल आइसीएमआर में शिकायत करते हुए बताया कि उसे एक मैसेज आया है, जिसमें कुंभ में उसकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने की पुष्टि हुई है, जबकि वह हरिद्वार भी नहीं गया था। जिसके बाद आइसीएमआर ने उत्तराखंड सरकार को इसकी जांच के निर्देश दिए। प्रारंभिक जांच में इसके सही होने की पुष्टि हुई।
डेल्फिया लैब के संचालक को किया गिरफ्तार एसआइटी ने भिवानी की डेल्फिया लैब के संचालक आशीष वशिष्ठ को गिरफ्तार किया। एसआइटी आशीष को तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर हरियाणा ले गई और उसकी निशानदेही पर लैपटाप वह कुछ दस्तावेज बरामद किए। आशीष से हुई पूछताछ के बाद राजस्थान हनुमान गढ़ी निवासी राकी का नाम सामने आया। आरोप है कि राकी ने ही फर्जी जांच का डाटा आइसीएमआर पोर्टल पर अपलोड किया था।
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