कुंभ मेला समापन की घोषणा पर तीन बैरागी अखाड़े नाराज, कहा-निरंजनी व आनंद अखाड़े के संत मांगे माफी
श्री पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी और आनंद अखाड़े के अपने-अपने अखाड़े में कुंभ की समाप्ति की घोषणा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। तीनों बैरागी अणियों इस मामले में गहरी आपत्ति जताई है। कहा इससे देश और विश्व में यह संदेश गया कि कुंभ समाप्त हो गया।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Fri, 16 Apr 2021 08:52 PM (IST)
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी और आनंद अखाड़े की अपने संतों के लिए कुंभ मेला समापन की घोषणा का तीन बैरागी अणि अखाड़ों ने आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे अखाड़ा परिषद की व्यवस्थाओं के खिलाफ कृत्य बताते हुए दोनों अखाड़ों के संतों से माफी मांगने की मांग की। साथ ही ऐसा न करने पर संन्यासी अखाड़ों और अखाड़ा परिषद से नाता तोड़ने की चेतावनी दी है।
शुक्रवार को बैरागी कैंप स्थित अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अणि अखाड़े की छावनी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए निर्वाणी अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि कुंभ मेला समाप्त होने की घोषणा करने का अधिकार केवल मुख्यमंत्री, मेला प्रशासन व अखाड़ा परिषद को है। निरंजनी अखाड़े या आनंद अखाड़े के संतों को मेला समाप्त होने की घोषणा करने का कोई अधिकार नहीं है। इससे देश-दुनिया में गलत संदेश गया है। श्रद्धालुओं को लग रहा है कि हरिद्वार कुंभ समाप्त हो गया, जबकि यह चल रहा है और रामनवमी, चैत्र पूर्णिमा सहित बाकी स्नान होना अभी बाकी हैं। कोई भी फैसला सभी अखाड़ों की सहमति से लिया जाना चाहिए था। आरोप लगाया कि कुछ अखाड़े मनमानी कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में वैष्णव अखाड़ों का उनके साथ रहना मुश्किल होगा।
अखिल भारतीय श्रीपंच दिगंबर अणि अखाड़े के श्रीमहंत कृष्णदास महाराज ने कहा कि कुंभ संपन्न होने की घोषणा कर सनातन धर्म का अपमान किया गया है। निरंजनी और आनंद अखाड़े संतों को बताना चाहिए किस अधिकार से उन्होंने कुंभ संपन्न होने की घोषणा की है। आरोप लगाया कि कुंभ की शुरुआत से ही वैष्णव अखाड़ों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। यदि निरंजनी अखाड़े के संतों ने कुंभ संपन्न होने संबंधी अपनी घोषणा के लिए माफी नहीं मांगी तो वैष्णव अखाड़े संबंध तोड़ने के लिए मजबूर होंगे।
अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि निरंजनी अखाड़े की और से कुंभ संपन्न होने की घोषणा किए जाने से पूरे देश में श्रद्धालुओं में भ्रम की स्थिति बन गयी है, जबकि, वैष्णव अखाड़ों का मुख्य स्नान अभी बाकी है। जो कि 27 अप्रैल को होना है। वैष्णव अखाड़ों द्वारा कोरोना नियमों का पालन करते हुए सभी कार्य संपन्न किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला किसी एक संप्रदाय का नहीं है। सरकार ने 30 अप्रैल तक मेला अवधि की घोषणा की है। इसके बाद मुख्यमंत्री स्वयं मेला संपन्न होने की घोषणा करेंगे। उन्होंने दावा किया कि बैरागी संत कोरोना के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। इसलिए वैष्णव अखाड़ों का कोई संत से संक्रमित नहीं हुआ।
दीपक रावत (मेलाधिकारी हरिद्वार कुंभ) ने कहा कि मेला प्रशासन की ओर से तीस अप्रैल तक के लिए सभी व्यवस्थाएं की गयी हैं। इस दौरान सभी स्नान संपन्न कराये जायेंगे।
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