Haridwar News : गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में वर्चस्व की जंग, कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री निलंबित
Haridwar News विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉक्टर सतपाल सिंह ने कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री को निलंबित कर दिया। किशोर शास्त्री ने बताया कि उन्हें भी इस बात की जानकारी इंटरनेट मीडिया के माध्यम से हुई है पर अभी तक आधिकारिक तौर पर इसकी सूचना उन्हें प्राप्त नहीं हुई है।
By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sat, 29 Oct 2022 03:22 PM (IST)
टीम जागरण, हरिद्वार : Haridwar News : गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में कुलसचिव विवाद को लेकर मचे घमासान के बीच सूचना है कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉक्टर सतपाल सिंह ने कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री को निलंबित कर दिया।
हालांकि इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री की जगह अभी तक ना तो किसी की नियुक्ति की गई है और ना ही किसी को कार्यभार दिया गया है।
इस बाबत पूछे जाने पर कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने बताया कि उन्हें भी इस बात की जानकारी इंटरनेट मीडिया के माध्यम से हुई है पर अभी तक आधिकारिक तौर पर इसकी सूचना उन्हें प्राप्त नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि कुलाधिपति को ऐसा करने का अधिकार नहीं है। आरोप लगाया कि कुलाधिपति डॉ सत्यपाल सिंह उनके जरिए विश्वविद्यालय में कई तरह के अनाधिकृत कार्य करना चाहते थे, उन्होंने दबाव डालकर कुलसचिव पथ पर अपने व्यक्ति सुनील कुमार को पदस्थापित किया था।
सुनील कुमार को उनकी दोषपूर्ण विश्वविद्यालय विरोधी गतिविधियों के कारण कुलसचिव पद से हटा दिया गया था। जिस पर नाराज होकर कुलाधिपति ने यह अवैध कार्य किया है। कहाकि निलंबन कीसूचना अधिकारिक रूप से प्राप्त नहीं हुई है और अगर यह सूचना सही है तो वह इसका विरोध करते हैं और इसके खिलाफ कोर्ट में जाएंगे। दावा किया कि विश्वविद्यालय के कुलपति वही हैं और आगे भी बने रहेंगे।
प्रोफेसर सोमदेव शतांशु को नया कुलपति नियुक्त किया
कुलसचिव विवाद को लेकर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में मचे घमासान के बीच कुलाधिपति डॉक्टर सतपाल सिंह ने प्रोफेसर सोमदेव शतांशु को विश्वविद्यालय का नया कुलपति नियुक्त किया है।
बताया जा रहा है कि उन्होंने कुलपति का प्रभार भी ग्रहण कर लिया है। हालांकि कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने इसका विरोध किया है और प्रोफेसर सोमदेव शतांशु की नियुक्ति को अवैध बताते हुए खुद को ही विश्वविद्यालय का कुलपति करार दिया है।
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