Haridwar News: मिशन चंद्रयान-3 का हिस्सा बन रवीश ने बढ़ाया मान, बचपन में देखा था वैज्ञानिक बनने का सपना
चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा बनकर वैज्ञानिक रवीश कुमार ने शिक्षा नगरी का मान बढ़ाया है। रुड़की के मालवीय चौक निवासी रवीश कुमार इसरो के वैज्ञानिक हैं जिस मिशन पर 140 करोड़ भारतीयों सहित पूरे विश्व की नजर है उससे रवीश भी जुड़े हुए हैं। शहरवासी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। वहीं बुधवार शाम को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की है।
By Rena Edited By: Shivam YadavUpdated: Wed, 23 Aug 2023 11:26 PM (IST)
रुड़की, जागरण संवाददाता: चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा बनकर वैज्ञानिक रवीश कुमार ने शिक्षा नगरी का मान बढ़ाया है। रुड़की के मालवीय चौक निवासी रवीश कुमार इसरो के वैज्ञानिक हैं, जिस मिशन पर 140 करोड़ भारतीयों सहित पूरे विश्व की नजर है, उससे रवीश भी जुड़े हुए हैं। शहरवासी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। वहीं बुधवार शाम को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करके भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
बुधवार को चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग का पूरा विश्व बेसब्री से इंतजार कर रहा था। रुड़की के मालवीय चौक एवं मूल रूप से मुजफ्फरनगर के भूराहेड़ी निवासी रवीश कुमार भी इस मिशन का हिस्सा हैं। रवीश कुमार की मां मिथलेश पंवार ने बताया कि उनका बेटा विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र त्रिवेंद्रम, केरल में वैज्ञानिक है। अपने बेटे के चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े होने पर उन्हें गर्व की अनुभूति हो रही है।
वहीं, चंडीगढ़ निवासी रवीश कुमार की छोटी बहन रश्मि पंवार ने जागरण से फोन पर हुई बातचीत में बताया कि बचपन से उनके भाई का सपना वैज्ञानिक बनने का था। इसके लिए उनके भाई ने कड़ी मेहनत की।
गेट क्वालीफाई कर एमटेक में लिया था दाखिला
रश्मि ने बताया कि उनका भाई पढ़ाई में काफी होशियार था। उन्होंने दसवीं की पढ़ाई मुजफ्फरनगर के समीप अमृत इंटर कॉलेज से की थी। दसवीं में उन्होंने स्कूल टॉप किया था। इसके बाद डीएवी इंटर कॉलेज रुड़की से प्रथम श्रेणी में इंटर पास किया। फिर शहर के एक निजी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में बीटेक किया। इसके बाद गेट क्वालीफाई कर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की में एमटेक में दाखिला लिया।
रश्मि ने बताया कि इसी बीच इसरो में चयन होने पर उनके भाई ने एमटेक प्रथम वर्ष के बाद इसरो में ज्वाइन कर लिया। बाद में नौकरी के साथ-साथ आईआईएससी बंगलौर से डिजाइन में एमटेक किया।
रश्मि के अनुसार, उनके भाई के इस ऐतिहासिक मिशन चंद्रयान-3 का हिस्सा बनने से वह गर्व महसूस कर रही हैं। विदित है कि अब तक अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) और चीन ने ही चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं। लेकिन एक भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंच सका है।
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