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Hathras Satsang Stampede: हाथरस की तरह ही हरिद्वार में भी दो बार मचा मौत का तांडव, भगदड़ में गई थीं 28 जान

Hathras Satsang Stampede उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को बड़ी दर्दनाक घटना हुई। जिसके बाद धर्मनगरी हरिद्वार के हर बाशिंदे को 8 नवंबर 2011 का वह स्‍याह दिन याद आया। जब हरकी पैड़ी में इसी तरह भगदड़ मच गई थी और कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। 2010 में महाकुंभ के दौरान मची भगदड़ में आठ लोगों ने दम तोड़ दिया था।

By Nirmala Bohra Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 03 Jul 2024 09:19 AM (IST)
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Hathras Satsang Stampede: 2011 में हरिद्वार स्थित हरकी पैड़ी में भगदड़ मच गई थी, फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, देहरादून। Hathras Satsang Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को बड़ी दर्दनाक घटना हुई। भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मचने से सैकड़ों की संख्या में पहुंचे भक्‍त घायल हो गए। वहीं अभी तक 116 मौतों की पुष्टि हुई है।

साल 2011 में हरिद्वार स्थित हरकी पैड़ी में इसी तरह भगदड़ मच गई थी और कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। 2010 में भी अप्रैल में महाकुंभ के दौरान भगदड़ मची थी और आठ लोगों ने दम तोड़ दिया था।

8 नवंबर 2011 का स्‍याह दिन

हाथरस में सत्‍संग में हुई भगदड़ की घटना ने हरिद्वार के जख्‍मों को भी हरा कर दिया है। मंगलवार को हाथरस में मचे इस मौत के ताडंव के बाद धर्मनगरी हरिद्वार के हर बाशिंदे को 8 नवंबर 2011 का वह स्‍याह दिन याद आया।

जानकारी के मुताबिक, 8 नवंबर 2011 को हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर हरकी पैड़ी घाट पर भगदड़ मच गई थी। हरकी पैड़ी के पार नीलधारा के निकट मची भगदड़ में 20 लोगों की जान चली गई थी। इनमें 14 महिलाएं थीं। वहीं घटना में 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे।

उस दिन शांतिकुंज आश्रम के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का जन्मशती समारोह मनाया जा रहा था।

नीलधारा से लगे लालजीवाला में बने 1551 यज्ञकुंडों में आहुति देने के लिए बड़ी संख्या में गायत्री साधक एकत्र हो गए थे।

यज्ञ के धुएं से बेचैनी महसूस करने लगे लोग

भीड़ अधिक होने के कारण बाकी साधकों को बाहर ही रोक दिया गया। इसी बीच यज्ञ से उठते धुएं के कारण कुछ लोग बेचैनी महसूस करने लगे और बाहर निकलने लगे। मंडप से बाहर निकलने और भीतर जाने के दौरान साधकों के बीच धक्का-मुक्की हुई और भगदड़ मच गई। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।

भगदड़ के बीच लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। जब तक खुद को संभालते भीड़ का रेला उनके ऊपर से गुजरता चला गया। इसके साथ ही वहां कोहराम मच गया। इनमें महिलाएं भी शामिल थीं। घायलों की चीख-पुकार मच गई। लोग अपने नातेदार-साथियों की तलाश में बदहवास भागने लगे। घायलों को शताब्दी महोत्सव नगर में बने अस्थायी बेस अस्पताल में ले जाया गया।

आयोजकों ने हादसे की बात छिपाई

समारोह स्थल के बाहर चार घंटे तक अफरा-तफरी मची, लेकिन अंदर धार्मिक अनुष्ठान चलते रहे। विघ्न न पड़े, इसलिए आयोजकों ने हादसे की बात छिपाए रखी। प्रशासन भी घटना के बारे में गलत जानकारी देता रहा।

जिसके बाद गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या ने हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए आगे के सभी कार्यक्रम रद कर दिए। उन्होंने हादसे के लिए जिला प्रशासन और पुलिस को दोषी ठहराया।

शांतिकुंज की तरफ से मृतक आश्रितों को दो-दो लाख रुपये देने की घोषणा की गई। तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री की ओर से भी इतनी ही धनराशि देने का एलान किया गया।

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