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रुड़की नगर निगम चुनाव: 20 साल से रुड़की में निर्दलीय का रहा कब्जा, पढ़िए पूरी खबर

रुड़की शहर में पिछले 20 साल से हर पांच साल बाद इतिहास दोहराया जा रहा है। इस बार इतिहास छह साल में दोहराया गया है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 25 Nov 2019 10:06 AM (IST)
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रुड़की नगर निगम चुनाव: 20 साल से रुड़की में निर्दलीय का रहा कब्जा, पढ़िए पूरी खबर
रुड़की, जेएनएन। रुड़की शहर में पिछले 20 साल से हर पांच साल बाद इतिहास दोहराया जा रहा है। इस बार इतिहास छह साल में दोहराया गया है। दो बार नगर पालिका का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीता तो महापौर के चुनाव में भी निर्दलीय ही दो बार जीतकर आए हैं।

राज्य गठन के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश कौशिक चुनाव मैदान मे उतरे। इस चुनाव में उन्होंने जबरदस्त जीत हासिल की। इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए। उनका कार्यकाल पूरा हुआ तो प्रदीप बत्रा ने बतौर निर्दलीय नगर पालिका का चुनाव लड़ा और जीत गए। नगर पालिका का चुनाव जीतने के बाद वह साढ़े चार साल तक पालिका चेयरमैन रहे, इसके बाद रुड़की को नगर निगम का दर्जा दे दिया गया। 

इसके बाद प्रदीप बत्रा भी कांग्रेस में शामिल हो गए और विधायक का चुनाव लड़ा और जीत गए। वर्ष 2013 में रुड़की नगर निगम का पहला चुनाव हुआ। इस चुनाव में नगर पालिका की राजनीति करने वाले एवं पूर्व सभासद यशपाल राणा चुनाव मैदान में उतरे। उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी को चुनाव हराकर जीत हासिल की। 

यशपाल राणा को भाजपा में लाने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। इस बार के चुनाव में यशपाल खुद तो चुनाव नहीं लड़ सके। उनको अयोग्य करार दिया गया, लेकिन उनके भाई रिशू राणा भी कांग्रेस के टिकट पर नहीं जीते सके। भाजपा से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे बतौर निर्दलीय प्रत्याशी उतरे गौरव गोयल ने फिर इतिहास को दोहराते हुए जीत हासिल की है। 

रुड़की नगर निगम के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी आगे

रुड़की नगर निगम के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी गौरव गोयल ने चौथे राउंड में ढाई हजार वोटों की बढ़त बनाई हुई है। 32 वार्डों के परिणाम घोषित हो गए हैं। जिसमें 15 निर्दलीय पार्षद जीते हैं। जबकि भाजपा के टिकट पर 14 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। कांग्रेस के दो और बसपा का एक पार्षद जीता है।

रुड़की नगर निगम के चुनाव में 22 नवंबर को वोट डाले गए थे। कांग्रेस, भाजपा एवं बसपा समेत महापौर पद पर दस उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। रविवार को सुबह आठ बजे से मतगणना शुरू हुई। जिसमें चार राउंड में गिनती होनी थी। पहले राउंड में भाजपा से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे निर्दलीय महापौर प्रत्याशी गौरव गोयल 8342 वोट लेकर लीड बना ली। दूसरे नंबर पर भाजपा उम्मीदवार मयंक गुप्ता 6647 और कांग्रेस के रिशु राणा 5110 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। दूसरे राउंड भी निर्दलीय प्रत्याशी गौरव गोयल ने 4130 से बढ़त बना रहे। 

इसके बाद तीसरे राउंड में भी निर्दलीय प्रत्याशी गौरव गोयल ने 7772 वोटों के अंतर से बढ़त बनाई। इसके बाद चौथे राउंड में निर्दलीय प्रत्याशी गौरव समाचार लिखे जाने तक ढाई हजार की बढ़त बनाए हुए है। कांग्रेस दूसरे और भाजपा तीसरे नंबर पर रही है। बसपा प्रत्याशी की हालत भी बेहद खराब है। 32 वार्डों के चुनाव परिणाम भी आ गए है। भाजपा के 14, निर्दलीय 15, कांग्रेस के दो और बसपा का एक प्रत्याशी चुनाव जीता है। देर रात तक सभी परिणाम घोषित होने की उम्मीद है।

भाजपा को ले डूबी मतदाताओं की नाराजगी, भितरघात

भाजपा प्रत्याशी मयंक गुप्ता को लेकर मतदाताओं की नाराजगी लगातार बनी हुई थी, लेकिन भाजपा इसको भांप नहीं पाई। यहां तक की पार्टी का कॉडर वोट बैंक भी खिसककर निर्दलीय के पाले में ही पहुंच गया। मयंक गुप्ता ने सत्ता एवं संगठन में मजबूत पकड़ बनाई। इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन शहर के अंदर प्रत्याशी को लेकर जबरदस्त नाराजगी थी। भाजपा के कॉडर वोट बैंक ने भी विरोध करना शुरू कर दिया।

स्थिति यह रही कि नगर विधायक प्रदीप बत्रा के वार्ड से ही भाजपा को करारी शिकस्त मिली। विधायक के तमाम प्रयास के बावजूद मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी को पसंद ही नहीं किया। 19 नवंबर को सीएम ने बीटीगंज में आयोजित जनसभा के दौरान कहा था कि गलतियां हो जाती है। मयंक गुप्ता से भी गलती हुई होगी, उनको माफ कर देना लेकिन रुड़की के मतदाताओं ने भाजपा को नकार दिया।

शहर के अंदर तो भाजपा को करारी शिकस्त मिली लेकिन शहर के बाहर आउटर के बीस वार्ड में भाजपा कोई करिश्मा नहीं दिखा पाई। पहली बार इन क्षेत्रों में नगर निगम के लिए वोट डाले गए, लेकिन भाजपा के बजाए यहां पर भी निर्दलीय प्रत्याशी ही बढ़त बनाकर चलते रहे। वहीं निष्कासन की चाबुक चलाकर भाजपा ने कार्यकर्ताओं को डर दिखाने की कोशिश की, लेकिन कार्यकर्ताओं ने अंदर खाने पार्टी के बागी को ही वोट किया।

अपने वार्ड में भी भाजपा प्रत्याशी को नहीं जीता पाए विधायक

पार्षद पद के उम्मीदवारों में अन्य दलों की तुलना में भाजपा का प्रदर्शन तो शानदार रहा है, लेकिन पार्टी के विधायक अपने वार्ड में भी पार्टी के उम्मीदवार को नहीं जीता सके। इस वार्ड से पार्षद पद पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है। रुड़की नगर निगम के चुनाव में सबकी निगाह विधायक प्रदीप बत्रा के जादूगर वार्ड पर लगी हुई थी। यहां पर पांच लोगों ने टिकट की मांग की थी। भाजपा की ओर से सतवीर सिंह को यहां पर टिकट दिया गया। कांग्रेस की ओर से यहां पर पूर्व पार्षद किरण भाटिया को उतारा गया था। एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी विरेंद्र गुप्ता ने भी यहां से चुनाव लड़ा। विरेंद्र गुप्ता ने इस भाजपा व कांग्रेस को पछाड़कर वार्ड से जीत हासिल की है। यहां पर भाजपा प्रत्याशी की हार किसी के गले नहीं उतर पा रही है। यह वार्ड विधायक प्रदीप बत्रा का अपना वार्ड है। इसके अलावा भाजपा के कई दिग्गज नेता भी इसी वार्ड में रहते हैं।

पांचवीं बार जीते रविंद्र खन्ना

नगर निगम चुनाव में पार्षद पद के प्रत्याशी रविंद्र खन्ना ने पांचवीं बार चुनाव जीत लिया है। वह शहर के पहले ऐसे पार्षद हैं जो लगातार पांच बार चुनाव जीते। वह तीन बार सभासद दो बार पार्षद चुने गए हैं। सिविल लाइंस निवासी रङ्क्षवद्र खन्ना पहले सत्ती मोहल्ला से सभासद पद के लिए चुनाव लड़ते थे। नगर निगम बनने के बाद उन्होंने सिविल लाइंस क्षेत्र से पार्षद का चुनाव लड़ा और इसमें भी वह विजयी रहे। इस बार फिर से रविंद्र खन्ना ने सिविल लाइंस वार्ड नंबर-सात से पार्षद पद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उनका कहना है कि लोगों का प्यार और सहयोग उन्हें हमेशा मिलता है। जिसके कारण वह जीत जाते हैं। वहीं लगातार तीन बार से नगर निगम पार्षद पद के चुनाव में जीत हासिल करने वाले दिनेश शर्मा को इस बार हार का सामना करना पड़ा। वह लगातार तीन बार से नगर निगम का चुनाव जीतते आ रहे थे।

खुद जीत गए, लेकिन पत्नी चुनाव हार गई

रुड़की नगर निगम के चुनाव में भाजपा से बगावत कर मेयर और दो वार्डों से चुनाव लड़ने वाले चंद्रप्रकाश बाटा एक वार्ड से खुद जीत गए है, जबकि दूसरे वार्ड से उनकी पत्नी चुनाव हार गई है। प्रचार ना करने के बावजूद मेयर पद पर 22 सौ वोट प्राप्त किए हैं। रुड़की नगर निगम के चुनाव में भाजपा नेता चंद्रप्रकाश बाटा ने मेयर पद के लिए टिकट मांगा था। पार्टी ने टिकट मयंक गुप्ता को दे दिया। इस पर बागवत करते हुए चंद्रप्रकाश बाटा ने मेयर पद नामांकन दाखिल कर दिया। दो वार्डों से बतौर निर्दलीय नामांकन भी कर दिया। इसके बाद भाजपा की ओर से उनको मनाने की कोशिश की गई, उनको मेयर पद के लिए चुनाव चिह्न आवंटित हो गया। 

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सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, डीसीबी चेयरमैन प्रदीप चौधरी उनको मनाने में कामयाब रहे। उन्होंने मेयर पर भाजपा प्रत्याशी मयंक गुप्ता का समर्थन किया, लेकिन वार्डों में उन्होंने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव प्रचार जारी रखा। पूर्वी अंबर तालाब से चंद्रप्रकाश बाटा ने निर्दलीय प्रत्याशी का चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी राकेश को करारी शिकस्त देते हुए फिर से पार्षद पद पर जीत हासिल की। वहीं वर्ल्‍ड बैंक कालोनी से चंद्रप्रकाश बाटा की पत्नी सीमा वर्मा खुद तो चुनाव नहीं जीत पाई, लेकिन पिछली बार के भाजपा के पार्षद दिनेश शर्मा की राह में रोड़े जरूर खड़े कर दिए। दिनेश शर्मा 45 वोट से कांग्रेस प्रत्याशी से चुनाव हार गए। जबकि सीमा वर्मा को 191 मत प्राप्त हुए हैं। मेयर पद में भी बिना किसी प्रचार के वह 22 सौ वोट ले बैठे।

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