Haridwar Kumbh Mela 2021: ज्वालापुर से 27 फरवरी को निकलेगी जूना अखाड़ा की पेशवाई
Haridwar Kumbh Mela 2021 कुंभ मेले के लिए जूना अखाड़ा आह्वान अखाड़ा और अग्नि अखाड़ा के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने शुक्रवार को नगर प्रवेश भूमि पूजन धर्मध्वजा व पेशवाई की तिथियां घोषित कर दी। 27 फरवरी को ज्वालापुर से जूना अखाड़े की पेशवाई निकलेगी।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 09 Jan 2021 10:40 PM (IST)
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 कुंभ मेले के लिए जूना अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा और अग्नि अखाड़ा के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने शुक्रवार को नगर प्रवेश, भूमि पूजन, धर्मध्वजा व पेशवाई की तिथियां घोषित कर दी। 27 फरवरी को ज्वालापुर से जूना अखाड़े की पेशवाई निकलेगी।
शनिवार को आह्वान अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत सत्यागिरि, अग्नि अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत साधनानंद ब्रहमचारी, जूना अखाड़े की निर्माण मंत्री श्रीमहंत शैलजा गिरि, थानापति नीलकंठ गिरि आदि ने विद्वान पंडितों की उपस्थिति में श्रीमहंत हरिगिरि महाराज से मुहूर्त निकालने के लिए मंथन कर तिथियों की घोषणा की। श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने तिथियों की घोषणा करते हुए बताया जूना अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा व अग्नि अखाड़ा तीनों एक साथ शाही स्नान करते है। इन तीनों की धर्मध्वजा व छावनी जूना अखाड़े के परिसर में ही स्थापित होती है।
लिहाजा 25 जनवरी को जूना अखाड़े की अगुवाई में आह्वान अखाड़ा व अग्नि अखाड़ा नजीबाबाद हरिद्वार मार्ग से नगर प्रवेश करेगा। इससे पूर्व कांगड़ी ग्राम में श्री प्रेमगिरि आश्रम में समस्त देवताओं, मां गंगा, मां चंडी देवी, सिद्ध कालीपीठ, गौरीशंकर महादेव, मायादेवी, दक्षमहादेव की पूजा अर्चना करेगा। 16 फरवरी 2021 को भूमि पूजन के बाद तीनों अखाड़े अपनी अपनी धर्म ध्वजा स्थापित करेंगे। 27 फरवरी को पांडेवाला ज्वालापुर से जूना अखाड़े तक अग्नि अखाड़े की पेशवाई जूना अखाड़ा पहुंचकर अपनी अपनी छावनियों में प्रवेश करेगा। आह्वान अखाड़ा एक मार्च को अपनी पेशवाई निकालेगा।
आह्वान अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत सत्यगिरि महाराज ने बताया उनके अखाड़े की पेशवाई जुलूस भी पांडेवाला ज्वालापुर से प्रारम्भ होगा और जूना अखाड़ा मायादेवी पहुचेगा। उन्होंने बताया शाही स्नान तीनों अखाड़े एक साथ ही करेगे। श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने बताया प्राचीन परंपरानुसार शाही स्नान तीनों अखाड़े मिलकर एक ही समय में करते हैं। परंपरा के अनुसार जूना अखाड़ा सबसे आगे रहता है, उसके पीछे आह्वान अखाड़ा और उसके पीछे अग्नि अखाड़ा स्नान करता है। इस बार पहली बार इन अखाड़ों के अतिरिक्त किन्नर अखाड़ा और दंडी स्वामी भी जूना अखाड़े के साथ शाही स्नान करेंगे।
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