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Haridwar News: जूना अखाड़ा ने थानापति राजेंद्र गिरि को किया निलंबित, जांच में आरोप सही पाए जाने पर होगी बर्खास्तगी

Haridwar News जूना अखाड़ा ने थानापति राजेंद्र गिरि को पीपी मामले में निलंबित कर दिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने संगठित अपराध हत्या और रंगदारी वसूली के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे माफिया प्रकाश पांडेय पीपी को जेल में दीक्षा दी थी। जांच में आरोप सही पाए जाने पर उन्हें अखाड़े से बर्खास्त कर दिया जाएगा।

By Anoop kumar singh Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sat, 14 Sep 2024 07:47 AM (IST)
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श्रीमहंत हरि गिरि अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा, राष्ट्रीय महामंत्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद : जागरण

अनूप कुमार सिंह, हरिद्वार। उत्तराखंड की अल्मोड़ा जेल में संगठित अपराध, हत्या व रंगदारी वसूली आदि गंभीर मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे माफिया प्रकाश पांडेय 'पीपी' (अब प्रकाशानंद गिरि) को जेल में कंठी-माला पहना दीक्षा देने वाले जूना अखाड़ा के थानापति राजेंद्र गिरि को श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा ने पद से निलंबित कर दिया है। जांच में उनपर लगे आरोप सत्य पाए जाने पर उन्हें अखाड़े से बर्खास्त कर दिया जाएगा।

श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि ने पूछे जाने पर इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि थानापति राजेंद्र गिरि ने न तो जूना अखाड़ा प्रबंधन और न ही अपने वरिष्ठों को से इसकी पूर्व अनुमति ली थी, न ही कोई जानकारी दी। कहाकि राजेंद्र गिरि को अखाड़े की ओर की जा रही मामले की जांच पूरी होने तक तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

जांच के रिपोर्ट आने के बाद राजेंद्र गिरि और उनके साथियों पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। आरोपों की पुष्टि होने पर उन्हें जीवनपर्यंत के लिए अखाड़े से बाहर कर दिया जाएगा।

अल्मोड़ा जेल में ली थी दीक्षा

आरोप है कि पीपी ने साधु बन प्रयागराज कुंभ के बहाने जेल से बाहर आने की योजना के तहत अल्मोड़ा जेल में दीक्षा ली थी। इस काम में उसका सहयोग श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा के थानापति राजेंद्र गिरि और उनके 11 साथियों ने किया था। इन्हीं 11 में से तीन ने जेल के भीतर जाकर पीपी को दीक्षा दी थी, जिसके बाद राजेंद्र गिरि ने पीपी को अंसेश्वर मठ, मुनस्यारी माता का मठ, गंगोलीहाट में लमकेश्वर, यमुनोत्री में भैरव और भद्रकाली मंदिर का उत्तराधिकारी यानी मठाधीश भी घोषित कर दिया। उन्होंने अल्मोड़ा जेल के बाहर पत्रकारवार्ता आयोजित कर इसकी घोषणा की थी। इसे लेकर जूना अखाड़ा प्रबंधन राजेंद्र गिरि ने नाराज था, उन्होंने यह सब करने से न तो अखाड़ा प्रबंधन और न ही अपने वरिष्ठों को विश्वास में लिया था।

निजी लाभ के वशीभूत होकर उठाया कदम

आरोप है कि राजेंद्र गिरि ने पीपी के साथ मिलीभगत कर निजी लाभ के वशीभूत होकर यह कदम उठाया था। श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा के थानापति राजेंद्र गिरि रानीखेत में उसी क्षेत्र के मूल निवासी हैं, जहां का माफिया पीपी भी मूल निवासी है। वहीं इस काम की योजना बनी थी, जिसके बाद थानापति राजेंद्र गिरि ने साथी साधुओं संग पीपी को जेल में दीक्षा देने का काम किया। आरोप है कि इसके लिए संबंधितों को लोभ-प्रलोभन भी दिया गया, जिसकी जांच अखाड़े के कमेटी कर रही है।

जांच के बाद अगला कदम

श्रीमहंत हरिगिरि ने बताया कि अखाड़ा प्रबंधन की जांच में प्रथम दृश्ट्या इन बातों की सत्यता प्रमाणित होने पर अखाड़ा प्रबंधन ने एक राय होकर थानापति राजेंद्र गिरि को उनके पद से निलंबित किए जाने के निर्णय में थानापति राजेंद्र गिरि के गुरु और वरिष्ठों की सहमति भी शामिल है। वह जांच पूरी होने तक निलंबित रहेंगे। आगे की कार्रवाई जांच रिपोर्ट के आधार पर होगी। बताया कि राजेंद्र गिरि के साथ पीपी को अल्मोड़ा जेल में दीक्षा देने गए अन्य साधु कौन और किस अखाड़े से हैं, पता लगाया जा रहा है। अगर वह भी जूना अखाड़ा के हुए तो उन पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

कमेटी के प्रमुख सदस्य

श्रीमहंत हरिगिरि ने कहाकि जेल प्रशासन का उत्तरादायित्व बनता था कि वह इस तरह की अनुमति मांगने वालों की सत्यता को प्रमाणित कराने के बाद ही अनुमति देते। बताया कि श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा के बागेश्वर जिले में बागेश्वर के बागनाथ मंदिर के पास में स्थित जूना अखाड़ा के स्थानीय मठ के श्रीमहंत शंकर गिरि मामले की जांच कर रहे हैं। श्रीमहंत शंकर गिरि पीपी मामले में बनी जूना अखाड़े की सात सदस्यीय जांच कमेटी के प्रमुख सदस्य हैं और जांच समिति के सहयोग से यह काम कर रहे हैं।

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