हरिद्वार में श्रद्धा का सैलाब, अंतिम दिन परम वैभव के शिखर पर Kanwar Mela; तस्वीरें देख कह उठेंगे बम-बम भोले
Kanwar 2024 आज गुरुवार को कांवड़ यात्रा का अंतिम दिन है। शिवभक्त कांवड़ तीर्थ यात्रियों के केसरिया रंग में रंगी धर्मनगरी इन दिनों सिंदूरी आभा बिखेर रही है। बम-बम भोले के जयघोष से गूंज रही रही धर्मनगरी में अपने चरमकाल पर पहुंचा कांवड़ मेला परम वैभव के शिखर पर विराजमान हो गया है। शुक्रवार दो अगस्त को महाशिवरात्रि है शिवालयों में जलाभिषेक को शिवभक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Kanwar 2024: हरि के द्वार, हरिद्वार में गंगा की गोद में श्रद्धा और आस्था का सैलाब उमड़ा पड़ा है, शिवभक्त कांवड़ तीर्थ यात्रियों के केसरिया रंग में रंगी धर्मनगरी इन दिनों सिंदूरी आभा बिखेर रही है।
आज गुरुवार को कांवड़ यात्रा का अंतिम दिन है। कदम-कदम पर कांवड़ तीर्थ यात्रियों की चहलकदमी है, जितनी आकर्षक कांवड़ सजी हैं, उतने ही निराले अंदाज कांवड़ तीर्थ यात्रियों के भी दिख रहे हैं।
कांवड़मयी हुई धर्मनगरी का नजारा अद्भुत और अलौकिक बना हुआ है। बम-बम भोले के जयघोष से गूंज रही रही धर्मनगरी में अपने चरमकाल पर पहुंचा कांवड़ मेला परम वैभव के शिखर पर विराजमान हो गया है। शक्ति भक्ति में लीन शिवभक्त कांवड़ यात्री अपनी धुन में मगन अपने पुनीत लक्ष्य की ओर लंबे-लंबे डग भरते जा रहे हैं।
बड़ी संख्या में हरिद्वार में मोटरसाइकिल डाक कांवड़ का आना जारी है। आज #kanwarmela का अंतिम दिन है। कल महाशिवरात्रि के दिन जलाभिषेक होना है।#KanwarYatra2024 pic.twitter.com/eS5McNB4pD— Neha Bohra (@neha_suyal) August 1, 2024
तिल रखने की भी जगह नहीं
आस्था के इस रंग में रंगने को हर कोई आतुर और लालायित है। कांवड़ पटरी, हरकी पैड़ी, सुभाष घाट, कनखल और हाइवे सहित सभी जगहों पर तिल रखने की भी जगह नहीं थी।
शुक्रवार दो अगस्त को महाशिवरात्रि है, शिवालयों में जलाभिषेक को शिवभक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी। इसके चलते धर्मनगरी में चारों ओर शिवभक्त कांवड़ यात्रियों का रेले का टोलियों के रूप में आना और जाना पूरे दिन लगातार बना रहा।
पूरे शहर में शिवभक्त कांवड़ यात्रियों की टोलियां विचरण करती रही। धर्मनगरी के पौराणिक मठ-मंदिरों में भी इनकी भारी भीड़ है, मंदिरों के दर्शन कर वे अभिभूत हो रहे हैं। डाक कांवड़ की वापसी होने के कारण दक्षेश्वर महादेव मंदिर, मनसा देवी मंदिर, चंडीदेवीे मंदिर, नीलेश्वर महादेव मंदिर, बिल्वकेश्वर महादेव आदि मंदिरों में इनकी खासी भीड़ रही।
वापसी करने वाले कांवड़ तीर्थ यात्रियों का सुबह दक्ष मंदिर सहित अन्य शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने के बाद वापसी का क्रम एकदम से तेज हो गया। इसके चलते हाइवे पर डाक कांवड़ वाहनों का रैला आने से यातायात बढ़ गया। पुलिस को इसे सामान्य बनाने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
भोले की धुन पर थिरक रहे कांवड़ तीर्थ यात्रियों का डांस करना सभी को भा रहा है। अब तक धर्मनगरी पहुंचने और गंगाजल लेकर लौटने वाले कांवड़ जात्रियों का आंकड़ा तीन करोड़ के पार पहुंच गया।
बड़ी-बड़ी कांवड़ में छाया है देशभक्ति का रंग
भोले की भक्ति के साथ देशभक्ति के रंग से सराबोर चारों तरफ रंग-बिरंगी कांवड़ का रंग बिखरा हुआ है, कहीं चार-मंजिला कांवड़ तो दस मंजिला। कांवड़ को लेकर अकेले भी चल रहे हैं तो टोली की टोली भारी-भरकम कांवड़ को लेकर साथ चल रही है।
पैदल कांवड़ यात्रियों के कांधों और कांवड़ वाहनों पर स्थापित विशालकाय शिव शंकर की मूर्ति, नजारा एकदम जुदा है। हर तरफ कांवड़ यात्री ही छाए हुए हैं। महिला कांवड़ यात्री भी खासी संख्या में हैं। कांवड़ पटरी में तो दिन-रात एक जैसा लग रही है।
डाक कांवड़ के दौर में भी पटरी पर अबाध गति से उनका रैला पग-पग बढ़ाते अनवतरत चलायमान है। ऐसा ही नजारा हरकी पैड़ी, मुख्य कांवड़ मेला बाजार में भी बना हुआ है। अपने अंतिम सोपान की ओर बढ़ रहे कांवड़ मेला में कांवड़ पटरी मार्ग पर कांवड़ यात्रियों की भीड़ डाक कांवड़ के कारण मेले के आरंभिक दिनों की अपेक्षा अब धीरे-धीरे कर कम होती जा रही है।
शहर के अन्य हिस्सों में भी कांवड़ यात्रियों का रैला निकल रहा है, पूरी की पूरी कांवड़ पटरी मार्ग पर बम-बम भोले के जयघोष भी चारों पहर गूंज रहे हैं। महाशिवरात्रि पर महादेव के जलाभिषेक के साथ ही मेले का समापन हो जाएगा। जिला व पुलिस प्रशासन ने सारी व्यवस्था अच्छे से संभाली हुई है। उमस और गर्मी के बीच पुलिस और प्रशासनिक कर्मियों ने भोले के भक्तों की सेवा-सुविधा और सम्मान में कोई कमी नहीं रहने दी है।
भोले की ससुराल कनखल में भोले का डेरा
हरकी पैड़ी पर जल भरने के बाद कांवड़ यात्री आशुतोष की ससुराल कनखल का भी रुख कर रहे हैं। दक्षेश्वर महादेव मंदिर, दरिद्र भंजन, तिल भांडेश्वर आदि मंदिरों के जलाभिषेक को बुधवार को पूरे दिन भोले के भक्तों का जमावड़ा लगा रहा। शुक्रवार तक यह स्थिति रहने वाली है। श्रावण मास की महाशिवरात्रि को जलाभिषेक बाद श्रद्धालुओं के कांवड़ लेकर गंतव्यों को रवाना होने के बाद इसमें सुधार होगा।