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'हत्यारा' टस्कर बना राजाजी का राजा, कैसे ये जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर

राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क का हत्यारा हाथी अब पालतू बन चुका है। पार्क के अधिकारी और कर्मचारी अब उसे हत्यारा नहीं बल्कि प्यार से राजा बुलाते हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 24 Jun 2019 08:05 PM (IST)
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'हत्यारा' टस्कर बना राजाजी का राजा, कैसे ये जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर
हरिद्वार, बसंत कुमार। कभी आतंक का पर्याय बन चुका राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क का 'हत्यारा' हाथी अब पालतू बन चुका है। पार्क के अधिकारी और कर्मचारी अब उसे हत्यारा नहीं, बल्कि प्यार से 'राजा' बुलाते हैं। पार्क प्रशासन और असम के चार महावतों के प्रशिक्षण की मदद से हाथी को पालतू बनाया गया है। 

राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के लगभग 18 वर्षीय वयस्क टस्कर ने जनवरी 2018 में दो लोगों को पटककर मार दिया था। इसके बाद उसे 19 जनवरी 2018 को ट्रैंकुलाइज किया गया। बाद में टस्कर को रेडियो कॉलर लगाकर जंगल में छोड़ दिया था, लेकिन टस्कर ने प्रवृत्ति नहीं बदली। उसने भेल क्षेत्र में नवंबर में एक कर्मचारी को मार दिया। टस्कर को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन चला था, कई दिन बाद 23 नवंबर को हत्यारे टस्कर को फिर से ट्रैंकुलाइज किया गया, लेकिन अबकी बार टस्कर को जंगल में छोडऩे की बजाए पार्क के अंदर करीब बीस किलोमीटर एकांतवास में स्थित मिठावाली कैंप में भेजा गया। जहां उसे तीन माह तक यहां लकड़ी के बनाए गए क्रॉल में रखा गया। जहां असम से आए चार महावतों ने उसे प्रशिक्षण दिया।  

इसके बाद 15 अप्रैल से टस्कर को आबादी क्षेत्र के चाली में लाया गया। जहां भी टस्कर को पालतू बनाने के लिए लगातार प्रशिक्षित किया गया। सात माह की मेहनत के बाद हत्यारे टस्कर को पालतू बना दिया गया है। पार्क प्रशासन की ओर से पालतू बनने पर टस्कर को 'राजा' नाम दिया गया है। हालांकि अभी भी उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो जुलाई तक चलेगा। 

चीला राजाजी टाइगर रिजर्व के रेंजर अनिल पैन्युली ने बताया कि टस्कर अब तक न केवल पालतू बन चुका है, बल्कि महावतों के इशारों पर नाचता है। इसे पार्क प्रशासन की ओर से उसे अब जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा। वह अब चीला कैंप का सदस्य बनकर रहेगा। साथ ही, अब कैंप में छोटे-बड़े हाथियों की संख्या सात हो गई है। 

वहीं, पशु चिकित्सक डॉ. अदिति शर्मा ने बताया कि ट्रैंकुलाइज किए गए टस्कर ने पालतू हाथियों की तरह खाने पीने में कोई ज्यादा परेशान नहीं किया, उसने एक महीने के अंदर ही अन्य पालतू हाथियों की तरह खाना-पानी शुरू कर दिया है। टस्कर अब पूरी तरह से सामान्य हाथियों की तरह कैंप में रह रहा है।

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