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संत की कलम से: भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है कुंभ- पंडित सुनील मिश्रा

Haridwar Kumbh 2021 कुंभ करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था और भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है। हर कुंभ की भांति आसन्न कुंभ मेला भी संत और महापुरुषों के आशीर्वाद से निर्विघ्न संपन्न होगा। कुंभ स्नान से जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है।

By Sumit KumarEdited By: Updated: Thu, 21 Jan 2021 11:03 PM (IST)
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(पंडित सुनील मिश्रा, पुजारी महामृत्यंजय मंदिर, हरिहर आश्रम कनखल)
Haridwar Kumbh 2021 कुंभ करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था और भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है। हर कुंभ की भांति आसन्न कुंभ मेला भी संत और महापुरुषों के आशीर्वाद से निर्विघ्न संपन्न होगा। कुंभ स्नान से जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है। हजारों गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यह आस्था और विश्वास का सबसे बड़ा पर्व है।

सनातन संस्कृति और लोक आस्था का महापर्व कुंभ अलौकिक छटा और विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है। शाही स्नान का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होता है। क्षीर सागर में शेषनाग की रस्सी से किए गए समुद्र मंथन के दौरान निकलीं अमृत की बूंदें हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिरी थी। इसलिए इन स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है। धर्मनगरी हरिद्वार में इस बार बारह वर्षों की बजाए 11 वर्ष में ही कुंभ का विशेष योग बन रहा है। संत महात्मा से लेकर श्रद्धालु भी कुंभ आयोजन का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

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कुंभ मेले में निकलने वाली अखाड़ों की पेशवाई आस्था का केंद्र होती है। मनुष्य को यदि परमात्मा की प्राप्ति करनी है और अपने जीवन को भव सागर से पार लगाना है तो कुंभ मेले के दौरान पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर स्वयं को पुण्य का भागी बनाएं। कुंभ मेले के दौरान स्नान कर संत महापुरुष विश्व कल्याण की कामना करते हैं और संपूर्ण विश्व को एक सकारात्मक धार्मिक संदेश प्रदान करते हैं।

(पंडित सुनील मिश्रा, पुजारी महामृत्यंजय मंदिर, हरिहर आश्रम कनखल) 

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