Haridwar News: महंत रामगोविंद दास हत्याकांड में फर्जी वसीयत बनाने वाले अधिवक्ता की तलाश, दो आरोपितों के फोन बंद
महंत रामगोविंद दास हत्याकांड में पुलिस ने फर्जी वसीयत तैयार कराने वाले अधिवक्ता की फोन और बैंक डिटेल खंगालनी शुरू कर दी है। आरोप है कि इस अधिवक्ता ने महंत के फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक से 10 लाख रुपये भी निकाले थे। पुलिस ने इस मामले में पहले से चिन्हित छह में से चार आरोपितों को पहले ही पकड़ लिया है जबकि दो अभी भी फरार हैं।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। श्रद्धा भक्ति आश्रम ज्ञानलोक कालोनी कनखल के महंत रामगोविंद दास की हत्या मामले में पुलिस फर्जी वसीयत तैयार कराने वाले अधिवक्ता की फोन डिटेल खंगाल रही है, उसकी बैंक डिटेल और उस दौरान की गई सौदेबाजी की भी जांच हो रही है।
पुलिस ने इस मामले में जिन-जिन बैंकों में महंत का खाता था और महंत की हत्या के बाद आरोपितों ने अधिवक्ता सहित अन्य लोगों के भुगतान आदि के लिए जिन-जिन बैंकों से लेन-देन किया, उन्हें नोटिस जारी कर लेन-देन के पूरी जानकारी सहित सीसीटीवी कैमरे की फुटेज मांगी है। उधर, पुलिस ने इस मामले में पहले से चिन्हित छह में फरार चल रहे दो आरोपितों की पकड़ को अभियान तेज कर दिया है। पुलिस पकड़ से बाहर चल रहे बागपत और शामली उप्र निवासी प्रदीप और सौरभ के फोन बंद आ रहे हैं, पुलिस ने इनकी पकड़ को अपना मुखबिर तंत्र तेज कर दिया है।
गंगा में चला सर्च अभियान
ब्रह्मलीन महंत रामगोविंद दास के शव की तलाश को तीसरे दिन भी गंगा में सर्च अभियान चलाया पर, उसके हाथ मायूसी लगी। माना जा रहा है कि करीब पांच माह बीतने के कारण बोरे में बंद शव या तो बह कर दूर निकल गया है या फिर नष्ट हो गया है। कनखल थानाध्यक्ष मनोज नौटियाल ने बताया कि शव की तलाश जारी रहेगी।
शव बोरे में भरकर गंगा में फेंका था
श्रद्धा भक्ति आश्रम ज्ञानलोक कॉलोनी कनखल के महंत रामगोविंद दास की हत्या दिल्ली निवासी कपड़ा कारोबारी अशोक कुमार ने अपने साथियों के साथ मिलकर पिछली एक जून को महंत रामगोविंद दास की हत्या करने के बाद उनका शव बोर में भरकर गंगा में फेंक दिया था। महंत को पहले नशे का इंजेक्शन देकर बेहोश किया, उसके बाद आरोपितों ने गला दबाकर उन्हें मार डाला। साथ ही आश्रम और आसपास यह बात फैला दी कि महंत धर्म के प्रचार के लिए अयोध्या सहित अन्य जगहों पर गए हुए हैं।महंत का फोन और चेकबुक सब कब्जे में ली थी
घटना का मास्टरमाइंड दिल्ली निवासी अशोक कुमार ने महंत का फोन, उनकी चेकबुक और 50 लाख की एफडी अपने कब्जे में ले ली थी। महंत के फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक से 10 लाख रुपए भी निकाले गए। साथ ही 50 लाख की एफडी भुनाने और आश्रम को दस करोड़ में बेचने की भी साजिश तैयारी में था। इसके लिए मास्टरमांड अशोककुमार ने महंत की हत्या के बाद आश्रम पर बैठाए गए फर्जी साधु कानपुर निवासी योगी रामगोपाल नाथ उर्फ गोपाल सिहं पुत्र स्व. मनफूल सिहं निवासी ग्राम कोहरा थाना सजेती तहसील घाटमपुर जिला कानपुर नगर उत्तर प्रदेश के नाम पर प्रॉपर्टी डीलर संजीव त्यागी के जरिए एक नामी अधिवक्ता की मदद से आश्रम की फर्जी वसीयत तैयार करा ली।
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