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रिकार्ड में हेराफेरी कर किरायेदार को मकान मालिक बनाने वाला निगम कर्मचारी गिरफ्तार

रिकार्ड हेराफेरी कर किरायेदार को मकान स्वामी बनाने वाले नगर निगम कर्मचारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मकान मालिक बना किरायेदार किसी और को मकान का बैनामा भी कर चुका है।

By BhanuEdited By: Updated: Sat, 01 Feb 2020 11:23 AM (IST)
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रिकार्ड में हेराफेरी कर किरायेदार को मकान मालिक बनाने वाला निगम कर्मचारी गिरफ्तार
रुड़की, जेएनएन। रिकार्ड हेराफेरी कर किरायेदार को मकान स्वामी बनाने वाले नगर निगम कर्मचारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मकान मालिक बना किरायेदार किसी और को मकान का बैनामा भी कर चुका है। माना जा रहा है कि मामले में अभी कुछ और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

साकेत कॉलोनी निवासी पंकज सिंघल का एक मकान कानूनगोयान मोहल्ले में है। यह मकान उनकी दादी स्व. कलावती के नाम पर है। मकान में किरायेदार सुरेश कुमार रह रहा था। सुरेश कुमार ने नगर निगम कर्मचारी के साथ मिलकर मकान को अपने नाम पर चढ़वा लिया था। 

निगम कर्मचारी ने कर अनुभाग के रजिस्टर में कलावती का नाम काटकर सुरेश कुमार का नाम लिख दिया था। इसके बाद किरायेदार सुरेश कुमार ने छह जून 2019 को इस मकान का बैनामा किसी अन्य व्यक्ति को कर दिया था। पंकज सिंघल को जब इस बात की जानकारी हुई तो उसने निगम अधिकारियों से इसकी शिकायत की। साथ ही एसआइटी देहरादून को भी मामले की शिकायत की। 

नगर निगम ने जांच समिति बनाकर पूरे मामले की जांच कराई। इसके बाद कर अनुभाग के आरोपित कर्मचारी शिवकुमार कश्यप को निलंबित कर दिया गया। एसआइटी ने अपनी जांच पूरी कर एसएसपी हरिद्वार को रिपोर्ट दी। एसएसपी के निर्देश पर कोतवाली रुड़की पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। 

मामले की जांच कर रहे एसआइ बारू सिंह चौहान ने आरोपित कर्मचारी शिवकुमार कश्यप को गिरफ्तार कर लिया। वहीं उन्होंने कर अनुभाग के अभिलेख भी देखे और कर निरीक्षक रविंद्र पंवार से मामले की जानकारी ली। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अमरजीत सिंह ने बताया कि मामले में अभी और गिरफ्तारी होनी है।

फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र मामले में भी हो सकती है गिरफ्तारी

फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र मामले की भी पुलिस जांच कर रही है। मकान स्थानांतरण के साथ ही मकान स्वामी स्व. कलावती का आरोपितों ने फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया था। प्रमाण पत्र बनवाने में दो पार्षदों की भूमिका भी संदिग्ध है। पंकज सिंघल ने बताया कि उनकी दादी की मृत्यु 20 अप्रैल 1975 को हुई थी। इसका प्रमाण पत्र भी उनके पास है। 

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सीएमओ हरिद्वार ने इस प्रमाण पत्र की प्रति जारी की थी। लेकिन, नगर निगम रुड़की के जन्म-मृत्यु अनुभाग ने हेराफेरी कर 24 दिसंबर 1971 में उनकी दादी की मृत्यु दर्शाई है। इसके लिए दो पार्षदों ने संस्तुति की थी। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अमरजीत सिंह ने बताया कि मामले से जुड़े हर बिंदु पर पड़ताल की जा रही है।

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