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Navratri 2024: सुबह का मुहूर्त छूट गया है तो दूसरे मुहूर्त में घट स्‍थापना कर सकते हैं आप, प्राप्त होगीं सभी सिद्धियां

Navratri 2024 शारदीय नवरात्रि 2024 की शुरुआत हो गई है। मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आई हैं। श्रद्धालु प्रथम नवरात्र पर कलश स्थापना करके मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें और फिर उनका षोडशोपचार पूजन करें। जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। साथ ही नवरात्रि के दौरान पड़ने वाले विशेष योगों के बारे में भी जानें।

By Rena Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 03 Oct 2024 01:48 PM (IST)
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Navratri 2024: नौ दिन मां दुर्गा की उपासना से प्राप्त होती हैं सभी प्रकार की सिद्धियां

जागरण संवाददाता, रुड़की। Navratri 2024: मां दुर्गा के शारदीय नवरात्र आज से प्रारंभ हो गए हैं। नौ दिन मां दुर्गा की उपासना से सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आई हैं। उनके आने से नवरात्र सभी के लिए शुभ होंगे। हालांकि, ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि मां दुर्गा की घोड़े पर विदाई होने से प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ेगा।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि शारदीय नवरात्र के नौ दिन शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा पृथ्वी लोक पर वास करती हैं। इन दिनों मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।

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षोडशोपचार पूजन करें

उन्होंने बताया कि गुरुवार को श्रद्धालु प्रथम नवरात्र पर कलश स्थापना करके मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें और फिर उनका षोडशोपचार पूजन करें।

उन्होंने बताया कि ब्रह्म पुराण के अनुसार इन नौ दिनों में मां दुर्गा की उपासना करने से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। साथ ही हर प्रकार की विपत्ति से छुटकारा मिलता है।

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ज्योतिषाचार्य रमेश सेमवाल ने बताया कि इस बार नवरात्र में सर्वार्थ सिद्धि योग, इंद्रयोग, आयुष्मान योग, आनंद योग, मानस योग, ध्वज योग, शोभन योग आदि पड़ना बहुत शुभ रहेगा। उन्होंने कहा कि नवरात्र का व्रत करने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है।

कलश स्थापना के लिए ये मुहूर्त रहेंगे शुभ

  • आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि गुरुवार को कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह 6:30 बजे से लेकर के 8:00 के मध्य शुभ चौघड़िया में रहेगा।
  • इसके बाद 11:45 से अपराह्न 3:00 बजे के मध्य इस समय अवधि में चर लाभ और अमृत की चौघड़िया एवं अभिजीत मुहूर्त विद्यमान रहेगा।
  • ऐसे में कलश स्थापना के लिए ये समयावधि श्रेष्ठ होगी।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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