सुध ही नहीं: बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे सुमन नगर के नागरिक
हरिद्वार के बहादराबाद विकासखंड के सुमन नगर के नागरिक आज भी बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 09 Apr 2019 08:43 PM (IST)
बहादराबाद, करन सिंह चौहान। टिहरी बांध परियोजना से विस्थापित किए गए बहादराबाद विकासखंड के सुमन नगर के नागरिक आज भी बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं। कॉलोनी में न तो पेयजल का समुचित इंतजाम है और न ही पथ प्रकाश आदि का प्रबंध। पशु अस्पताल जर्जर होकर खंडहर में तब्दील हो गया है तो पोस्ट ऑफिस की हालत भी खस्ता है। ऐसे में इनके भवन केवल शोपीश बनकर खड़े हैं। नागरिकों की सुध लेने को न तो जनप्रतिनिधि संवेदनशील और न प्रशासन गंभीर। ऐसे में यहां के नागरिक आज भी बुनियादी सुविधाओं की जद्दोजहद कर रहे हैं।
टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित विस्थापित कई परिवार पथरी के सुमन नगर में पुनर्वासित किए गए। मगर यहां बसे परिवार बिजली, पानी के साथ ही अन्य बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं। लोकसभा, विधानसभा चुनाव में कॉलोनी में जनसंपर्क के लिए पहुंचने वाले जनप्रतिनिधि उन्हें दिलासा तो दिलाते हैं मगर भरोसे पर खरा नहीं उतरते। इस कॉलोनी में टिहरी डैम से जलमग्न हुए गांव देवल, बिलयासोड़, प्लासा, खांड बिड़कोट आदि के 300 परिवारों को 1988 में बहादराबाद विकासखंड के पथरी नदी के किनारे बसाया गया था। विस्थापितों ने इस क्षेत्र में कृषि के सहारे अपने परिवारों का पालन पोषण का सपना संजोया।
करीब 31 साल बाद उन्हें लगता है कि सरकारों ने उनके साथ धोखा किया है। पथरी रोह के पास उन्हें कृषि के लिए जमीन आवंटित की गई लेकिन वह रेतीली और बंजर जमीन है। गंगनहर नजदीक होने पर भी खेतों में सिचाई का प्रबंध नहीं है। जनप्रतिनिधि चुनाव आते ही विस्थापितों को तरह तरह के सपने दिखाते हैं, परंतु चुनाव जीतने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि उनकी सुधि लेने नहीं आते। टिहरी बांध पुनर्वास समिति के पदाधिकारी भी सरकारों के रवैये से खफा हैं। सुमन नगर कॉलोनी में सुविधा के लिए ओवरहेड टैंक खराब होने से बेमतलब साबित हो रहा है। पोस्ट ऑफिस, पशु चिकित्सालय, बीज भंडार आदि का निर्माण किया गया था, लेकिन काफी अरसे से उन पर ताला लटका हुआ है। पानी के लिए लगे हैंडपंप से आने वाला पानी पीने लायक नहीं है। पानी को उबालकर पीना नागरिकों की मजबूरी बन गई है।
टिहरी बांध पुनर्वास समिति के अध्यक्ष शूरवीर सिंह ने बताया कि टिहरी में उन्हें पीने के पानी के साथ साथ कृषि भूमि की सिंचाई के लिए पानी मुफ्त में मिलता था, पर यहां गंगनहर के करीब होने पर भी पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। कॉलोनी में पानी की टंकी, डाकघर, पशु चिकित्सालय, बीज भंडार आदि का निर्माण हुआ, लेकिन उन पर ताला जड़ा है। यहां के हालात देखकर सुविधाएं खुद बेमानी लग रही हैं। बताया 300 परिवारों में से 150 परिवार यहां से पलायन कर चुके है। बाकी परिवार बेबसी के आलम में जिंदगी की दुश्वारियां ङोल रहे हैं।
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